देहरादून : चैत्र नवरात्रि का त्योहार इस आज 9 अप्रैल, मंगलवार से शुरू हो रहा है. सनातन धर्म में नवरात्रि का विशेष महत्व है. इस अवधि में मां दुर्गा के नौ स्वरूपों की पूजा होती है. चैत्र नवरात्रि के पहले दिन घटस्थापना के साथ ही मां शैलपुत्री की पूजा की जाती है. शैलपुत्री, मां दुर्गा से 9 स्वरूपों में से पहला रूप हैं. कहा जाता है कि पर्वतराज हिमालय के यहां पुत्री के रूप में पैदा लेने के कारण इनका नाम शैलपुत्री पड़ा. ऐसे में आइए जानते हैं चैत्र नवरात्रि पहले दिन मां शैलपुत्री की पूजा-विधि, भोग, मंत्र और आरती.
चैत्र नवरात्रि के पहले दिन घटस्थापना के लिए शुभ मुहूर्त
चैत्र नवरात्रि घटस्थापना शुभ मुहूर्त- सुबह 6 बजकर 26 मिनट से 10 बजकर 35 मिनट तक
घटस्थापना अभिजित मुहूर्त- दोपहर 12 बजकर 15 मिनट से 1 बजकर 05 मिनट तक
चैत्र प्रतिपदा तिथि आरंभ- 8 अप्रैल को सुबह 11 बजकर 50 मिनट से
प्रतिपदा तिथि समाप्त- 9 अप्रैल को सुबह 8 बजकर 30 मिनट पर
मां शैलपुत्री पूजा विधि
चैत्र नवरात्रि के पहले दिन पूजा मंदिर या पूजन स्थल पर लाल रंग का कपड़ा बिछाकर उस पर दुर्गा की प्रतिमा या शैलपुत्री स्वरूप की तस्वीर लगाएं. इसके बाद मां शैलपुत्री के सामने सफेद आसन पर बैठें. ध्यान रहे कि पूजा करते वक्त आपका मुंह पूर्व, पर्व-उत्तर या उत्तर दिशा की ओर होना चाहिए. गंगाजल से शुद्ध होकर मां शैलपुत्री के समक्ष घी का दीया जलाएं. इतना करने के बाद एक पान का पत्ता लेकर उस पर 27 साबूत लौंग रखें. मां शैलपुत्री को बर्फी या सफेद वस्तु का भोग लगाएं. पूजन के दौरान ‘ओम् शैलपुत्र्यै नमः’ मंत्र का कम से कम 108 बार जाप करें. मंत्र जाप के बाद लौंग को लाल रंग के कलावे में बांधकर माला बना लें और उसे मां शैलपुत्री को अर्पित कर दें.
शास्त्रों में मां शैलपुत्री की पूजा के कई लाभ बताए गए हैं. मां शैलपुत्री की पूजा से जीवन की नकारात्मकता दूर हो जाती है. साथ ही मां शैलपुत्री की पूजा से मनोकामना पूरी होती है. इसके अलावा जो अविवाहित कन्याएं चैत्रन नवरात्रि के पहले दिन मां शैलपुत्री पूजा करती हैं, उन्हें उत्तम वर प्राप्त होता है. नवरात्रि के पहले की पूजा के दौरान साधन अपना ध्यान मूलाधार चक्र में लगाते हैं. जिससे वह जाग्रित होता है और साधन को सिद्धियां प्राप्त होती हैं.