मोदी सरकार अगले 6 महीने में क्या करने वाली हैं क्या आप जानते है ! 

सरफराज सैफी.                                                          न्यूज़ एंकर/ वरिष्ठ पत्रकार 

आजादी के बाद भारत ने विकास का लंबा सफर तय किया है। बंटवारे के बाद कई युद्ध, आतंकी हमले, सूखा, आपातकाल से लेकर कोरोना महामारी तक, कई तरह की कठिनाईयों का भारत ने सामना किया, लेकिन आज भी देश मजबूती से आगे बढ़ रहा है।जब हम 1947 से 2024 तक भारत की अविश्वसनीय यात्रा पर नजर डालते हैं, तो यह स्पष्ट है कि राष्ट्र की प्रगति असाधारण से कम नहीं रही है। सीमित संसाधनों और अनगिनत चुनौतियों के दिनों से लेकर विभिन्न क्षेत्रों में एक ग्लोबल लीडर बनने तक, भारत की कहानी दृढ़ता, महत्वाकांक्षा और निरंतर विकास की प्रेरणा की कहानी है।दरअसल वर्ष 1947 को भारत को ब्रिटिश हुकूमत से आजादी मिली थी। 15 अगस्त का दिन उन सभी क्रांतिकारियों को याद करने का दिन है, जिन्होंने भारत माता को अंग्रेजी दास्‍ता से मुक्ति दिलाने के लिए अपने प्राणों की आहुति दी थी।भारत में पहला स्वतंत्रता संग्राम सन् 1857 में लड़ा गया था, जिसमें असंख्य क्रांतिकारियों ने अपना बलिदान दिया था। इसके बाद तो देश के कोने-कोने में स्वतंत्रता के लिए अंग्रेजी शासन से लड़ाई शुरू हो गई। लाखों क्रांतिकारियों ने अंग्रेजों को खुली चुनौती दी। साथ ही बड़ी संख्या में स्वतंत्रता संग्राम सेनानियों ने महात्मा गांधी के नेतृत्व में अंग्रेजों से अहिंसक युद्ध लड़ा और 200 वर्षों के संघर्ष के बाद अंतत: भारत ने स्वतंत्रता को प्राप्त कर लिया।मशहूर लेखक डोमिनिक लैपीयरे और लैरी कॉलिन्स अपनी किताब ‘फ्रीडम एट मिडनाइट’ में 14 अगस्त 1947 के ऐतिहासिक दिन का चित्रण करते हुए लिखते हैं- ‘सैन्य छावनियों, सरकारी कार्यालयों, निजी मकानों आदि पर फहराते यूनियन जैक को उतारा जाना शुरू हो चुका था। 14 अगस्त को जब सूर्य डूबा तो देशभर में यूनियन जैक ने ध्वज-दण्ड का त्याग कर दिया, ताकि वह चुपके से भारतीय इतिहास के भूत-काल की एक चीज बनकर रह जाए। समारोह के लिए आधी रात को धारा सभा भवन पूरी तरह तैयार था। जिस कक्ष में भारत के वायसरायों की भव्य ऑयल-पेंटिंग्स लगी रहा करती थीं, वहीं अब अनेक तिरंगे झंडे शान से लहरा रहे थे।’चारों दिशाओं से लोग दिल्ली की ओर दौड़े चले आ रहे थे। तांगों के पीछे तांगे, बैलगाड़ियों के पीछे बैलगाड़ियां, कारें, ट्रकें, रेलगाड़ियां, बसें सब लोगों को दिल्ली ला रही थीं। लोग छतों पर बैठकर आए, खिड़कियों पर लटककर आए, साइकिलों पर आए और पैदल भी आए।मर्दों ने नई पगड़ियां पहनीं, औरतों ने नई साड़ियां। बच्चे मां-बाप के कंधों पर लटक गए। देहात से आए बहुत से लोग पूछ रहे थे कि यह धूम-धड़ाका काहे का है? तो लोग बढ़-बढ़ कर बता रहे थे- अरे, तुम्हे नहीं मालूम, अंग्रेज जा रहे हैं। आज नेहरूजी देश का झंडा फहराएंगे। हम आजाद हो गए।

14 अगस्त 1947 को पंडित जवाहर लाल नेहरू ने तब के संसद भवन से भारत के आज़ाद हो जाने की घोषणा की ‘ट्रिस्ट विद डेस्टिनी’ का भाषण देकर नेहरू ने आज़ादी के बाद के नए भारत का जिक्र किया। हर ओर खुशी की लहर थी। पूरा हिंदुस्तान इस ऐतिहासिक पल का साक्षी बनने संसद भवन पहुंचा था। वो पहली बार था जब भारत की आज़ादी का जश्न मनाया गया। नेहरू ने उस रात जो भाषण दिया वो आज भी 20वीं सदी का सबसे महान भाषण माना जाता है। 15 अगस्त 2024 को भारत एक बार फिर आजादी का जश्न मनाया गया। जवाहरलाल नेहरू आजाद भारत के पहले प्रधानमंत्री थे। लाल किले की प्राचीर से सबसे ज्यादा बार तिरंगा झंडा लहराने का अवसर उन्हें ही मिला था। नेहरू 1947 से लेकर 1964 तक भारत के प्रधानमंत्री रहे। इस दौरान उन्होंने स्वतंत्रता दिवस के अवसर पर लाल किले पर रिकॉर्ड 17 बार झंडा फहराया। नेहरू ने 1947 में लाल किले से 72 मिनट लंबा भाषण दिया था।

पीएम मोदी ने 11वीं बार लाल किले से देश को किया संबोधित

इस बार देश ने अपना 78वां स्वतंत्रता दिवस मनाया। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 78वें स्वतंत्रता दिवस के मौके पर 11वीं बार लाल किले से देश को संबोधित किया। इस बार उन्होंने सबसे लंबा भाषण देते हुए अपना ही रिकॉर्ड तोड़ दिया। पिछली बार पीएम ने लाल किले से 90 मिनट का भाषण दिया था।इस साल उन्होंने 98 मिनट का भाषण दिया।प्रधानमंत्री ने जब साल 2014 में देश को पहली बार लाल किले से संबोधित किया तो उन्होंने कुल 65 मिनट तक भाषण दिया। इसके बाद, साल 2015 में उन्होंने 86 मिनट तक देश को संबोधित किया। देश जब आजादी की 70वीं वर्षगांठ मना रहा था, उस दौरान पीएम मोदी ने देश को लाल किले से 94 मिनट तक संबोधित किया। यह उनके प्रधानमंत्री के रूप में रहने के दौरान लाल किले से दिया गया सबसे लंबा भाषण है।पीएम मोदी ने 2017 के स्वतंत्रता दिवस के मौके पर 57 मिनट, 2018 में 82 मिनट और 2019 में 92 मिनट तक देश को संबोधित किया। इसके बाद 2020 में 86 मिनट, 2021 में 88 मिनट, 2022 में 83 मिनट और 2023 में 90 मिनट तक पीएम मोदी ने लाल किले से भाषण दिया।अमेरिका, ईरान समेत कई देशों ने भारत को स्वतंत्रता दिवस की शुभकामनाएं दीं।अमेरिका के राज्य सचिव एंटनी ब्लिंकन ने दोनों देशों के रणनीतिक संबंधों के उज्ज्वल भविष्य की भविष्यवाणी की। साथ ही कहा कि दोनों देश एक गहरा रिश्ता साझा करते हैं, जो लोकतंत्र, स्वतंत्रता और मानव गरिमा के प्रति उनकी साझा प्रतिबद्धता पर आधारित है। इस साल स्वतंत्रता दिवस की थीम विकसित भारत @2047 था। अपने संबोधन में उन्होंने यूनिफॉर्म सिविल कोड, बांग्लादेश में जारी हिंसा, देश की बेटियों और एक लाख गैर-राजनीतिक युवाओं के मुद्दों पर बात की। उन्होंने देश की न्याय व्यवस्था पर भी बात की और कहा कि न्याय में विलंब हो रहा है जो कि चिंताजनक है। हमारे देश की न्याय व्यवस्था में सुधार की बहुत जरूरत है।

लाल किले की प्राचीर से प्रधानमंत्री मोदी ने साफ कर दिया है कि भ्रष्टाचार के खिलाफ लड़ाई जारी रहेगी। पीएम मोदी का कहना था कि मैं भ्रष्टाचारियों से निपटकर रहूंगा।पीएम मोदी का कहना था कि हम विश्व में जब समृद्ध थे, तब भी हमने दुनिया को युद्ध नहीं दिया। मैं विश्व समुदाय को विश्वास दिलाता हूं कि आप भारत के संस्कारों को समझिए। भारत के हजारों साल के इतिहास को समझिए। हमें संकट मत मानिए। इस भूमि में विश्व कल्याण का सामर्थ्य है।पीएम नरेंद्र मोदी ने कहा, यह भारत का स्वर्णिम कालखंड है। 2047 विकसित भारत की प्रतीक्षा कर रहा है।बाधाएं, रुकावटें और चुनौतियों को परास्त करते हुए नए संकल्प के साथ देश चलने के लिए प्रतिबद्ध है।पीएम मोदी ने कहा कि हमारे देश में यूनिफॉर्म सिविल कोड की चर्चा चल रही है। सुप्रीम कोर्ट ने भी यूनिफॉर्म सिविल कोड को लेकर चर्चा की है। अनेक बार आदेश दिए हैं। क्योंकि देश का एक बहुत बड़ा वर्ग मानता है कि जिस सिविल कोड को लेकर हम जी रहे हैं, वो सिविल कोड सचमुच में एक कम्युनल और भेदभाव करने वाला सिविल कोड है। अब हमें सेकुलर सिविल कोड की तरफ जाना होगा।पीएम मोदी ने डिजाइनिंग इंडिया का भी मंत्र दिया है।पीएम ने कहा, भारत अपनी बेस्ट क्वालिटी के लिए जाना जाएगा, इसके लिए हम डिजाइनिंग इंडिया पर बल देना है।पीएम मोदी ने कहा, हम दुनिया की बेस्ट प्रैक्टिसिस को आगे रखते हुए बढ़ना चाहते हैं। हर सेक्टर में नएपन की जरूरत है। टेक्नोलॉजी को जोड़ने की जरूरत है।प्रधानमंत्री मोदी ने कहा, मैं लाल किले से एक बार फिर अपनी पीड़ा व्यक्त करना चाहता हूं। एक समाज के तौर पर हमें महिलाओं पर हो रहे अत्याचारों के बारे में गंभीरता से सोचना होगा। देश में इसके खिलाफ आक्रोश है। मैं इस आक्रोश को महसूस कर सकता हूं। देश, समाज और राज्य सरकारों को इसे गंभीरता से लेना होगा। महिलाओं के खिलाफ अपराधों की त्वरित जांच हो, इन राक्षसी कृत्यों को अंजाम देने वालों को जल्द से जल्द सख्त सजा मिले। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि अब हम चाहते हैं कि हम आत्मनिर्भर बने। मैं हमारी सेना को हृदय से धन्यवाद करना चाहता हूं कि उन्होंने हजारों ऐसी चीजों की लिस्ट बनाई है, जो अब विदेशों से नहीं लाई जाएंगी। इसी कारण डिफेंस में हम आत्मनिर्भर बनते जा रहे हैं।

लाल किले की प्राचीर नरेंद्र मोदी ने बांग्लादेश में हिन्दुओं पर हुए हमलों और मंदिरों में तोड़फोड़ समेत कई जरूरी मसलों पर साफ साफ संदेश दिया । उन्होंने बांग्लादेश से निर्वासित शेख हसीना का नाम लिए बगैर साफ कहा कि बांग्लादेश में जो कुछ भी हुआ, उसको लेकर पड़ोसी देश के नाते चिंतित होना वाजिब है।हालांकि पीएम की टोन बहुत विनम्र थी पर बांग्लादेश के लिए यह कड़ा संदेश था। पीएम मोदी ने अपने 98 मिनट लंबे भाषण में बहुत कुछ ऐसा कहा जो अगले 6 महीनों में भारत सरकार करने का इरादा रखती है। उनके भाषण का लब्बो लुआब यह था कि जो लोग यह समझते हैं कि लोकसभा चुनावों में सीटें कम आने के चलते पीएम मोदी कमजोर पड़ गए हैं या केंद्र सरकार अब कोई ऐसे फैसले नहीं लेने वाली है जिस पर विवाद हो सकता है, तो वो लोग ये समझ लें कि ऐसा नहीं होने वाला है। मोदी ने सेक्युलर कोड, रिफॉर्म, बांग्लादेश को हिंदुओं की सुरक्षा के नाम पर संदेश आदि जैसी तमाम ऐसी बातें की हैं जो बताती हैं कि सरकार कहीं से कमजोर नहीं दिखना चाहती है

इतिहास साक्षी है कि किसी राष्ट्र का गौरव तभी जाग्रत रहता है जब वो अपने स्वाभिमान और बलिदान की परम्पराओं को अगली पीढ़ी को भी सिखाता है, संस्कारित करता है, उन्हें इसके लिए निरंतर प्रेरित करता है। किसी राष्ट्र का भविष्य तभी उज्ज्वल होता है जब वो अपने अतीत के अनुभवों और विरासत के गर्व से पल-पल जुड़ा रहता है। फिर भारत के पास तो गर्व करने के लिए अथाह भंडार है, समृद्ध इतिहास है, चेतनामय सांस्कृतिक विरासत है।हम भारत में हो रहे बड़े बदलावों और विकास कार्यों की दहलीज पर खड़े हैं। यह हर भारतीय के लिए उम्मीदों भरा दौर है, एक ऐसा दौर है जिसमें वे बेहतर जिंदगी और बेहतर देश का ख्वाब देख सकते हैं।

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