होलिका दहन का पाकिस्‍तान से है सीधा नाता

भारत ही नहीं दुनिया के कई देशों में मौजूद भारतीय 25 मार्च को होली का जश्‍न मनाएंगे. होली पर रंगों की बौछार होगी तो लोग एक दूसरे को गुलाल और अबीर लगाते हैं. बता दें कि सनातन धर्म में हर त्‍योहार के पीछे एक पौराणिक था है. इसी तरह होली को लेकर भी एक कथा सुनी-सुनाई जाती है. इसे धर्म की अधर्म पर जीत के तौर पर मनाया जाता है. इस कहानी के तीन प्रमुख पात्र विष्‍णु भक्‍त प्रह्लाद, उनके पिता हिरण्‍यकश्‍प और बुआ होलिका है.

कथा के अनुसार, प्रह्लाद के पिता हिरण्‍यकश्‍यप भगवान विष्‍णु को अपना शत्रु मानते थे. उनकी बहन होलिका को आग में ना जलने का वरदान था. उन्‍होंने अपनी बहन को विष्‍णु भक्‍त प्रह्लाद को गोद में लेकर अग्नि में बैठने का आदेश दिया. जब होलिका प्रह्लाद को लेकर अग्नि में बैठीं तो वह खुद जल गईं और भक्‍त प्रह्लाद बच गए. बाद में जब प्रह्लाद को लेाहे के गर्म खंभे से बंधवाया तो भगवान विष्‍णु ने नरसिंह अवतार लेकर हिरण्‍यकश्‍यप का वध कर दिया. लेकिन, क्‍या आप जानते हैं कि ये सब पाकिस्‍तान में हुआ था. क्‍या आप जानते हैं कि वो जगह पाकिस्‍तान में कहां है? भक्‍त प्रह्लाद ने पिता के वध के बाद जिस जगह पर होलिका दहन हुआ था उसी जगह पर नरसिंह अवतार के सम्‍मान में मंदिर बनाया था. उन्‍होंने हजारों साल पहले जिस जगह मंदिर बनवाया था, वो जगह आज पाकिस्तान में पंजाब प्रांत के मुल्तान शहर में है. इस मंदिर का नाम प्रह्लादपुरी मंदिर है. एक समय तक ये मंदिर ऐतिहासिक स्मारक होता था. मंदिर के बारे में कहा जाता है कि यहीं पर प्रह्लाद की बुआ होलिका आग में भस्म हो गई थीं. आज मंदिर की जगह कूड़ा डालने के डंपिंग यार्ड में तब्‍दील हो गई है.

मान्‍यता है कि जहां आज प्रह्लादपुरी मंदिर है, वहीं पर हिरण्यकश्यप ने प्रहलाद को खंभे से भी बांधा था. यही पर भगवान नरसिंह ने खंभे से प्रकट होकर हिरण्‍यकश्‍यप का भी वध किया था. एक रिपोर्ट के मुताबिक, आज भी मुल्‍तान की एक हिंदू कार्यकर्ता ने बताया कि प्रह्लादपुरी मंदिर हजारों साल पुराना है. इस मंदिर के जीर्णोद्धार के लिए 1861 में लोगों ने चंदा भी इकट्ठा किया था.

बंटवारे के समय प्रह्लादपुरी मंदिर पाकिस्तान के हिस्से में चला गया. इसके बाद भी होली पर यहां भक्तों की भारी भीड़ जुटती थी. यहां पर 2 दिन तक होलिका दहन किया जाता था. इसके बाद 9 दिन तक होली मेला और रंगोत्‍सव मनाया जाता था. फिर 1992 में अयोध्‍या में विवादित ढांचा ढहाए जाने के बाद मुल्‍ताना में कुछ मुस्लिम कट्टरपंथियों ने प्रह्लादपुरी मंदिर तोड़ दिया. इसके बाद सरकार ने भी देखभाल नहीं की. कुछ साल पहले पाकिस्तान की एक अदालत ने मंदिर की मरम्‍मत का आदेश दिया था. हालांकि, अब तक इसे ठीक नहीं किया गया है.

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