पिता को विलेन न बनाएं मां: बुरी आदतों को सुधारना भी एक कला है

बच्चों की परवरिश आसान नहीं होती। हर मां-बाप चाहते हैं कि उनके बच्चा संस्कारी बनें और अच्छा व्यवहार करें, लेकिन बच्चा जब गलत व्यवहार करने लगे। बिगड़ने की राह पर चलने लगे तो उसे संभालना आसान नहीं होता। ऐसे में खासतौर पर मां की जिम्मेदारी बढ़ जाती है कि वह अपने बिगड़ते बच्चे को सही राह पर लाएं, क्योंकि मां ही भावनात्मक तौर पर बेटे के ज्यादा करीब होती है।

यूपी के एक कॉलेज के मनोविज्ञान विभाग की प्रोफेसर का कहना है कि बिगड़ते बेटों को संभालना भी एक कला है। मां का बेटे से व्यवहार दोस्ताना हो। बेटे की जिस गलत आदत को सुधारना चाह रही है, पहले वह उससे उस विषय पर बात करे। फिर यह जानने की कोशिश करें कि बेटे के मन में क्या है। उस गलत व्यवहार को क्योंं अपनाया। किसी गलत आदत की किस बात ने उसे आकर्षित किया। जिसकी वजह से उसने वह हरकत करी। बात की तह में पहुंचना ही मां के लिए सफलता है। क्योंकि इसके बाद बेटे को समझाना और सुधारना आसान होगा।

सूझबूझ का परिचय दें

किसी भी मां को चाहिए कि वह अपने बिगड़ते बेटे को सही राह पर लाने के लिए बेहद सूझबूझ का परिचय दे। स्त्री में यह स्वाभाविक गुण होता है। जिसके जरिए वह बच्चे को सुधारने में कामयाब हो सकती है। बच्चे को वापस सही दिशा में लाने के लिए उसे अपनी इसी सूझबूझ का इस्तेमाल करना चाहिए।

बच्चे की बात ध्यान से सुनें

बच्चे को सुधारना तब आसान होगा, जब माता-पिता उसकी पूरी बात ध्यान से सुनेंगे। हर बच्चे को ये लगता है कि मां बाप अपनी बात ज्यादा सुनाते हैं और बच्चे की कम सुनते हैं। माता-पिता को ऐसा क्यों लगता है कि जोर-जबरदस्ती से बच्चा सुधारा जा सकता। जरूरत से ज्यादा डांटना बच्चे को जिद्दी बना देता है। किसी न किसी बात का प्रेशर भी बच्चों को जिद्दी बना सकता है। पता लगाएं कि बच्चे को क्या बात परेशान कर रही है, उसे जानने की कोशिश करें।

माता-पिता का आपसी व्यवहार

ज्यादातर मामलों में बच्चे अपने पिता की नकल करते हैं। उनके अच्छे और बुरे व्यवहार से सीखते हैं। यदि बच्चों के पिता चीख चिल्लाकर बात करेंगे या गलत आदतें उनके व्यवहार का हिस्सा होंगी, तो बच्चे भी किसी न किसी रूप में अनुसरण करेंगे। इसलिए जरूरी यह है कि माता पिता अपने आपसी व्यवहार को ठीक रखें। जिसका बच्चे पर पॉजिटिव असर हो।

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