Success Story: छात्र राजनीति ने बदली दिशा, इंजीनियरिंग छोड़ बने IAS

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शिवम प्रताप सेवा के साथ बच्चों को IAS की मुफ्त कोचिंग भी दे रहे हैं.

शिवम प्रताप सेवा के साथ बच्चों को IAS की मुफ्त कोचिंग भी दे रहे हैं.

Success Story: डॉक्टर बनने के लिए बायोलॉजी से 12वीं पास की लेकिन बाद में इरादा बदला तो मैथ्स लेकर इंजीनियरिंग की बाद में आईएएस बन गए.

पहले डॉक्टर (Doctor) बनने के इरादे से बायोलॉजी विषय से 12वीं कक्षा पास की, फिर लगा कि डॉक्टर नहीं इंजीनियर (Engineer) बनना चाहिए. तो कॉलेज में मैथ्स लेकर इंजीनियरिंग की. कॉलेज की पढ़ाई के दौरान छात्र राजनीति में आए और तब फैसला किया कि अब IAS बनना है. ये कहानी है हिमाचल प्रदेश कैडर से 2017 बैच में 56वीं रैंक (air-56) के साथ IAS बने शिवम प्रताप की. शिवम कहते हैं कि कई बार आप सोचते कुछ हैं, और होना कुछ अलग होता है. चलिए जानते हैं शिवम का IAS बनने तक का सफर:

उत्तराखंड के काशीपुर से हैं

शिवम प्रताप उत्तराखंड (Uttarakhand) के काशीपुर (Kashipur) के मवाडाबरा गांव से हैं. उनके पिता भारत संचार निगम लिमिटेड (BSNL) से रिटायर हो चुके हैं और माँ प्राइमरी स्कूल में शिक्षिका हैं. उनकी बड़ी बहन शिवाली प्रताप MBBS डॉक्टर थीं और MD की तैयारी कर रहीं थीं. उसी दौरान एक सड़क हादसे में उनकी मौत हो गई. अब वे घर में अकेले बेटे हैं.

पहले डॉक्टर और फिर इंजीनियर बनना चाहा थाशिवम पहले डॉक्टर बनना चाहते थे. इसके लिए उन्होंने काशीपुर के आर्मी स्कूल से बायोलॉजी विषय से 10+2 पास किया. इसके बाद उनका इरादा बदल गया और इसके बाद बायोलॉजी छोड़कर मैथ्स विषय लेकर पंतनगर यूनिवर्सिटी से 2013 में इलेक्ट्रॉनिक्स एंड कम्युनिकेशन इंजीनियरिंग की पढ़ाई पूरी की.

छात्र राजनीति ने बदल दी दिशा

इंजिनीरिंग की पढ़ाई के दौरान शिवम छात्र राजनीति (Student Politics) से जुड़े. पहले 2011 में वे छात्रसंघ के महासचिव बने और फिर 2012 में छात्रसंघ अध्यक्ष बने. बस यहीं से उनके कैरियर की दशा और दिशा दोनों बदल गए. उन्हें लगा कि वे इंजीनियरिंग के लिए बने ही नहीं हैं. उन्हें तो समाज के लिए कुछ करना है. तब उन्होंने फैसला किया कि वे सिविल सर्विसेज (Civil Services) में जाएंगे. 2013 में उनका TCS में कैंपस प्लेसमेंट भी हो गया था, लेकिन उन्होंने जॉइन नहीं किया.

तीसरे प्रयास में बने IAS

इंजीनियरिंग पूरी करते ही शिवम ने 2013 से ही UPSC की तैयारी शुरू कर दी. शिवम ने 2014 में पहला प्रयास किया, लेकिन तब प्री ही क्लियर कर पाए. 2015 में दूसरा प्रयास किया और इंटरव्यू तक पहुंचे. इसके बाद 2017 में तीसरा प्रयास किया और इस बार वे सफल हुए. उनकी ऑल इंडिया रैंक 56 रही और इस तरह वे 2017 बैच में IAS बन गए. शिवम अपनी सफलता का पूरा श्रेय माता-पिता और अपने भाई अभिषेक कुमार सिंह को देते है.

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2200 बच्चों को दे रहे हैं IAS की मुफ्त कोचिंग

शिवम प्रताप फिलहाल हिमाचल प्रदेश के चम्बा (Chamba) जिले में SDM पद पर तैनात हैं. वे अपनी सर्विस के साथ एक NGO ‘प्रोत्साहन’ के अंतर्गत 2200 बच्चों को मुफ्त IAS की कोचिंग (Coaching) करा रहे हैं. शिवम और उनके पिता अपनी सैलरी का आधा हिस्सा बच्चों की कोचिंग के लिए डोनेट करते हैं. इसके अलावा अपनी बहन के नाम पर हर साल UP और उत्तराखंड के 12वीं कक्षा के टॉपर्स को ‘डॉ. शिवाली सिंह प्रोत्साहन पुरस्कार’ भी देते हैं.




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