अब बार-बार बिजली जाने से मिलेगी राहत और उत्तराखंड में इलेक्ट्रिक वाहनों के लिए चार्जिंग स्टेशन बनाएगा टीएचडीसी आपको बता दे, उत्तराखंड में जल्द ही आठ नई जलविद्युत परियोजनाएं शुरू होने जा रही हैं। इनसे करीब 3000 मेगावाट बिजली पैदा होगी। इनमें से चार परियोजनाएं कुमाऊं में और चार गढ़वाल संभाग में बनाई जाएंगी। इन परियोजनाओं के लिए विद्युत मंत्रालय से सैद्धांतिक सहमति प्राप्त कर ली गई है। अक्टूबर से नई परियोजनाओं पर काम शुरू होने की उम्मीद है।
टीएचडीसी के चेयरमैन और एमडी राजीव कुमार विश्नोई ने बताया कि उत्तराखंड में हाइड्रो प्रोजेक्ट से कुल करीब दस हजार मेगावाट बिजली उत्पादन संभव है। आठ परियोजनाओं की पहचान की गई है जो 3000 मेगावाट बिजली पैदा कर सकती हैं।इनमें कुमाऊं की धौली व काली गंगा क्षेत्र में चार और गढ़वाल में यमुना वैली में चार परियोजनाएं बनेंगी। परियोजनाओं का काम नई कंपनी करेगी। इस कंपनी का गठन एक माह में होने की उम्मीद है। इसमें टीएचडीसी की हिस्सेदारी 74% और राज्य सरकार का हिस्सा 26% होगा। टीएचडीसी हाइड्रो प्रोजेक्ट की तकनीक भी सरकार को देगा। नई परियोजनाओं पर उत्तराखंड सरकार भी गंभीर है।
परियोजनाओं पर करीब बीस हजार करोड़ रुपये खर्च किए जाएंगे। विश्नोई ने कहा कि वर्तमान में देश में लगभग 60% बिजली थर्मल पावर से, 30% वैकल्पिक ऊर्जा से और लगभग 10% हाइड्रो से उत्पन्न हो रही है। इससे पनबिजली को लेकर राज्य में अपार संभावनाएं हैं। टीएचडीसी अब उत्तराखंड में जलविद्युत परियोजनाओं का काम करेगी।
विश्नोई ने कहा कि टिहरी बांध ने 2013 की भीषण बाढ़ को रोकने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी। एक अध्ययन में यह स्पष्ट हुआ कि भागीरथी और भिलंगना नदियों की पूरी बाढ़ बांध में समा गई। अगर उन दो नदियों की बाढ़ अलकनंदा में मिल जाती तो गंगा में बाढ़ का स्तर सात मीटर और उससे ऊपर पहुंच जाता। यह ऋषिकेश और आगे के मैदानी इलाकों में तबाही मचा सकता था। बांध बनने से बाढ़ का प्रकोप कम हुआ है।
टीएचडीसी उत्तराखंड में इलेक्ट्रिक वाहनों के लिए चार्जिंग स्टेशन भी बना रहा है। हरिद्वार और देहरादून में एक-एक स्टेशन बनाया गया है, जबकि चारधाम यात्रा मार्ग पर कई स्टेशन बनाए जाने हैं। इसके लिए राज्य सरकार से जमीन का इंतजार है। गंगोत्री रूट पर चार और बद्रीनाथ रूट पर छह स्टेशन बनाने की योजना है।