लखीमपुर खीरी में केंद्रीय गृह राज्य मंत्री अजय मिश्र टेनी के आरोपी पुत्र आशीष मिश्र ने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की मुश्किलें बढ़ा दी हैं। चुनाव नजदीक हैं और ऐसे में किसान संगठनों ने आर-पार की लड़ाई का एलान कर दिया है। राजनीतिक जानकारों का कहना है कि अब फैसला भाजपा को लेना है,वह भी 48 घंटे के भीतर। अब मंत्री टेनी हटेंगे या पुत्र सलाखों के पीछे जाएगा, भाजपा के केंद्रीय नेतृत्व को यह सब तय करना है। अगर 11 अक्तूबर तक किसान संगठनों की मांगें नहीं मानी जातीं तो 12 से न केवल यूपी में, बल्कि देशभर में आंदोलन शुरू होगा। किसानों ने एलान कर दिया है कि अंतिम अरदास के बाद लखीमपुर खीरी से शहीद किसानों के अस्थि कलश लेकर ‘शहीद किसान यात्रा’ निकाली जाएगी। यह यात्रा उत्तर प्रदेश के प्रत्येक जिले में पहुंचेगी। इसके साथ ही देश के प्रत्येक राज्य के लिए अलग-अलग अस्थि कलश यात्रा शुरू होगी। भले ही किसान संगठन समर्थन करें या न करें, लेकिन विपक्षी दल ने किसानों की आड़ में राजनीतिक कार्यक्रमों की घोषणा कर दी है।
निकालेंगे शहीद किसान यात्रा
हालांकि मुख्यमंत्री योगी कह चुके हैं कि वे किसी दबाव में आकर कोई फैसला नहीं लेंगे। साक्ष्यों के आधार पर कानूनी कार्रवाई होगी। विधानसभा चुनाव निकट हैं, इसलिए भाजपा नेतृत्व उत्तर प्रदेश को केवल योगी के भरोसे नहीं छोड़ सकता। किसानों का आंदोलन उग्र होता जा रहा है।
लखीमपुर खीरी का संदेश केवल यूपी तक सीमित नहीं है। देश का हर किसान इसके साथ जुड़ गया है। वाहनों से कुचल कर किसानों को मार दिया गया। अगर 11 अक्तूबर तक किसानों की मांगें नहीं मानी जातीं तो दशहरे पर पीएम, केंद्रीय गृह मंत्री और स्थानीय नेताओं के पुतले जलाए जाएंगे। उसके बाद 18 अक्तूबर को देश भर में सुबह 10 बजे से 4 बजे तक रेल रोकी जाएगी। 26 अक्तूबर को संयुक्त किसान मोर्चा, लखनऊ में लखीमपुर कांड के विरोध में एक विशाल किसान महापंचायत का आयोजन करेगा। इस घटना ने केंद्र सरकार और उत्तर प्रदेश सरकार, दोनों के चरित्र को बेनकाब कर दिया है। इतने बड़े हत्याकांड और उसमें भाजपा नेताओं के संलिप्त होने के स्पष्ट प्रमाण होने के बावजूद भाजपा, अपने नेताओं और गुंडों के खिलाफ कोई कदम उठाने के लिए तैयार नहीं है।