विशेष रिपोर्ट – फ़िरोज़ गाँधी
कमल पहाड़ में खिलेगा तो रंगत कुछ और होगी , अगर पिछड़ा तो हालात कुछ और पटकथा लिखेगी जिस दिन से मतदान खत्म हुए हैं तभी से ये कयास तेज़ हो गए हैं कि उत्तराखंड में पार्टी स्टेट प्रेजिडेंट मदन कौशिक की कुर्सी पर संकट कहे या फेरबदल लेकिन कुछ तो होगा ही प्रदेश अध्यक्ष समेत कई महत्वपूर्ण पदाधिकारी 10 मार्च के बाद इधर से उधर या रुखसत किये जा सकते हैं. पार्टी के अंदरूनी सूत्र बताते हैं कि 7 मार्च को केंद्रीय मंत्री एवं उत्तराखंड चुनाव प्रभारी प्रहलाद जोशी ने देहरादून दौरे के दौरान इस संबंध में प्रदेश के नेताओं से उनकी रायशुमारी की है। बीजेपी नेता भी इस बात को दबी जुबां कह रहे हैं कि ये केंद्र का अधिकार है और बदलाव होता भी है, तो यह एक स्वाभाविक प्रक्रिया है.आपको याद दिला दें की पूर्व मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने पहले ही पार्टी के भीतर कलह और आरोपों के जांच की बात कह चुके है.
ये कोई नयी बात नहीं है कि वोटिंग के बाद कुछ नेताओं और कुछ विधायकों ने प्रदेश अध्यक्ष के साथ ही अन्य पर पार्टी के खिलाफ काम करने के गंभीर आरोप लगाए हों , उत्तराखंड में भाजपा के संग भी कुछ ऐसा ही हुआ जब पार्टी के भीतर अंतर्कलह खुलकर सामने आ गई और कौशिक को लेकर पार्टी के भीतर कई तरह की चर्चाएं शुरू हुईं.
अंदर ही अंदर कुछ तो है –
भाजपा प्रवक्ता ज़रूर कह रहे हैं कि अटकलों की बात पर उनका यही कहना है कि यह एक स्वाभाविक प्रक्रिया है और पार्टी समय समय पर पदाधिकारियों में बदलाव करती रहती है. संगठन में बदलाव को लेकर भाजपा समय समय पर अपने भीतर की स्थितियों का आकलन भी करती है और जरूरत के मुताबिक बदलाव करती रहती है….. हालांकि ये सब कुछ निर्भर करेगा उत्तराखंड के नतीजों पर , अगर भाजपा सत्ता में पुनः वापसी कर लेती है तो सभी भितरघात , विद्रोह और बगावत का पटाक्षेप भी हो सकता है।