कोविड टेस्ट घोटाले की न्यायिक जांच हो, पता चल जाएगा घटना किसके कार्यकाल की है: त्रिवेंद्र रावत

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हरिद्वार कुंभ में फर्जी कोविड टेस्ट घोटाला सामने आने के बाद  हलचल मच गई है.

हरिद्वार कुंभ में फर्जी कोविड टेस्ट घोटाला सामने आने के बाद हलचल मच गई है.

Haridwar Kumbh Corona Testing Scam: हरिद्वार कुंभ में लाखों फर्जी कोविड टेस्ट का मामला उजागर होने के बाद हलचल मच गई है. पूर्व सीएम त्रिवेंद्र सिंह रावत ने मामले की अच्छी एजेंसी से न्यायिक जांच कराने की मांग की है.

देहरादून. हरिद्वार कुंभ (Haridwar Kumbh Mela) तो बीत गया, लेकिन उसकी तपिश अभी भी बनी हुई है. कुंभ में लाखों फर्जी कोविड टेस्ट का मामला उजागर होने के बाद हलचल मच गई है. मामले ने तूल पकड़ा तो अक्सर अपनी बात रखकर मीडिया के सवालों का जवाब दिए बिना चले जाने वाले सीएम तीरथ सिंह रावत (CM Tirath Singh Rwat) ने गुरुवार को फर्जी कोविड रिपोर्ट के सवाल पर कहा कि ये मामला पुराना है. मैंने तो 10 मार्च को शपथ ली थी और मामला सामने आया तो मैंने जांच के आदेश भी कर दिए थे.

तीरथ रावत के इस बयान ने बीजेपी के अंदर की सियासत को और तेज कर दिया. सीएम के इस बयान को सीधे तौर पर पूर्व सीएम से जोड़कर देखा जा रहा है. बयान के मायने तलाशें जाएं, तो ये घोटाला पूर्व सीएम त्रिवेंद्र रावत (EX CM Trivendra Singh Rawat) के कार्यकाल का बनता है. इस बारे में पूर्व सीएम त्रिवेंद्र रावत से जब पूछा गया तो उनका कहना था कि पहले भी बीजेपी की सरकार थी और अब भी बीजेपी की सरकार है. लेकिन एक घोटाला अगर सामने आया है, तो मैंने मुख्यमंत्री द्वारा एसआईटी जांच कराए जाने के बयान का स्वागत किया है.

त्रिवेंद्र रावत आगे कहते हैं कि निश्चित रूप से कोई भी घोटाला होता है, उसकी जांच होनी ही चाहिए. लेकिन मैं देख रहा हूं कि इस घोटाले को केवल और केवल आर्थिक घोटाले के रूप में देखा जा रहा है.  इसको पूर्ण रूप में देखा जाना चाहिए, क्योंकि यह महामारी से जुड़ा हुआ मसला है. इस महामारी में देश के लाखों लोग जान गवां चुके हैं. यह केवल आर्थिक भ्रष्टाचार नहीं है बल्कि एक महामारी में इस तरह कृत्य को 307 की श्रेणी का अपराध यानि ‘अटैम्पट टू मर्डर’ के रूप में देखा जाना चाहिए. इसलिए इस पर बहुत गंभीरता से, मैं तो कहूंगा कि इस पर न्यायिक जांच बैठानी चाहिए. ताकि दूध का दूध और पानी का पानी भी हो सके. ये कब की घटना है किसके कार्यकाल की घटना है, ये भी पब्लिक के सामने स्पष्ट हो जाना चाहिए कि आखिर कब इस तरह के लाखों फर्जी टेस्ट हुए.

त्रिवेंद्र सिंह रावत ने आगे कहा कि मुझे ऐसा ध्यान है कि कोर्ट ने 16-17 मार्च के बाद या 23-24 मार्च में इस तरह का कोई निर्देश स्टेट गवर्नमेंट को दिया था. लेकिन जहां तक मुझे ध्यान है कोविड टेस्ट कराने का ऐसा कोई टेंडर मेरे समय में  नहीं हुआ था. हां इतना जरूर है कि कुंभ का नोटिफिकेशन हमारे समय में हुआ था. जो 1 अप्रैल से लेकर के 30 अप्रैल तक का था. सीएम तीरथ द्वारा ये मामला पिछली सरकार से जुड़ा होने के बयान पर त्रिवेंद्र रावत ने कहा कि- सरकार सरकार होती. पोजीशन व्यक्ति की बदलती रहती है. कोई भी सरकार अगर उसमें घोटाला होता है तो जांच का विधान भी है. कब की गड़बड़ है, किसकी गड़बड़ है, ये जांच से ही पता चलेगा.





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