यहां 5 दिन महिलाएं नहीं पहनती हैं कपड़े – वजह है अनोखी

Himachal Pradesh के मणिकर्ण घाटी के पीणी गांव में हर साल शादीशुदा महिलाएं सावन के 5 दिन निरवस्त्र रहती हैं. आपको ये सुनकर हैरानी जरूर हो रही होगी, लेकिन ये सच है. इस गांव में ये प्रथा सदियों से चली आ रही है. इस प्रथा के दौरान गांव की महिलाएं सावन में 5 दिनों तक कपड़े नहीं पहनती हैं. इन पांच दिनों में पीणी गांव में बाहरी शख्स के आने पर मनाही होती है. गांव वालों की मानें तो अगर कोई महिला इस प्रथा का पालन नहीं करती है और इस दौरान कपड़े पहन लेती है तो उसे कोई अशुभ समाचार सुनने को मिलता है या उसके घर में कोई अप्रिय घटना घट जाती है. इसीलिए इस परंपरा का गांव वाले सख्ती से पालन करते हैं और गांव के हर घर की महिलाएं इसे निभाती हैं.

पांच दिनों तक पति-पत्नी नहीं करते हैं बात-

मान्यताओं के अनुसार इन 5 दिनों में पति-पत्नी आपस में बात नहीं करते हैं. इस प्रथा में पति-पत्नी एक-दूसरे को देख कर मुस्कुरा भी नहीं सकते हैं. इस दौरान वो एक दूसरे से दूर रहते हैं. वहीं पुरुषों को इन 5 दिनों में शराब पीने की मनाही होती है. वहीं मांस के सेवन पर भी पाबंदी होती है. इस परंपरा को 17 अगस्त से 21 अगस्त तक निभाया जाता है. इस प्रथा के बारे में पढ़ने के बाद आपके दिमाग में भी ये सवाल आ रहा होगा कि क्या इस दौरान महिलाएं बिना कपड़ों के बाहर घूमती हैं? तो हम आपको बता दें कि ऐसा नहीं है. इन पांच दिन महिलाएं घर पर रहती हैं. वो इन दिनों घर से बाहर नहीं जाती हैं. गांव में इस दौरान किसी बाहरी व्यक्ति के आने पर भी पाबंदी होती है.

क्यों किया जाता है इस प्रथा का पालन-

मान्यताओं के अनुसार सदियों पहले इस गांव पर राक्षसों ने कब्जा जमा लिया था. राक्षसों का निशाना गांव की सुंदर कपड़े पहनने वाली शादीशुदा महिलाएं होती थीं. वो इन्हें अपने साथ ले जाते थे. राक्षसों से गांव वालों की रक्षा करने के लिए ‘लाहुआ घोंड’ नाम के देवता प्रकट हुए. देवता ने राक्षसों को हरा दिया.
तभी से गांव वालों का मानना है कि आज भी अगर महिलाएं सुंदर कपड़े पहनेंगी तो उन्हें राक्षस उठाकर ले जा सकते हैं, इसलिए महिलाएं बिना कपड़ों के रहती हैं. अगर कोई महिला अपने शरीर को ढकना चाहती है तो वह बस ऊन से बना एक पटका यूज कर सकती है.

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