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– ख़बर का असर – मुख्यमंत्री धामी का भ्रष्ट्राचार पर ज़ोरदार प्रहार

कॉर्बेट नेशनल पार्क के निदेशक राहुल हटाये गए,तत्कालीन पीसीसीएफ जे. एस.सुहाग और डीएफओ किशन चंद निलंबित

सवाल जिनके जवाब अनसुलझे:

1.सम्पूर्ण वित्तीय और प्रशासनिक अधिकार निदेशक के पास सुरक्षित फिर भी तत्कालीन पीसीसीएफ जे. एस.सुहाग निलंबित और निदेशक मुख्यालय से अटैच, आख़िर कैसे

2. कपिल जोशी और अमित वर्मा की 500 पेजों की जांच रिपोर्ट में कौन कौन दोषी,पता नही

3. एक ही तारीख में एक ही अधिकारी द्वारा फाउंडेशन से दो करोड़ संबंधित कार्य के लिए अवमुक्त और उसी दिन शिकायती पत्र प्रेषित,विरोधाभास क्यों

4.आख़िर क्यों सीईसी ने वरिष्ठ अधिकारियो को तलब किया,29 अप्रैल को सीईसी के समक्ष पेश होना है मुख्य सचिव,प्रमुख सचिव वन और प्रमुख वन संरक्षक को

5. तत्कालीन डीएफओ अखिलेश तिवारी ने इस पूरे प्रकरण में क्या क्या भूमिका निभाई,कितने समय चार्ज उनके पास रहा और क्या क्या कार्य संपादन में उनकी भूमिका रही और किशनचंद को विरासत में क्या कुछ सौंपा

6. शासन के आला अधिकारियों ने किसे किसे और क्यों आशीर्वाद दिया, मौन मंथन की वजह

मोहम्मद सलीम सैफी
– न्यूज वायरस नेटवर्क –

19 अप्रैल को न्यूज़ वायरस समूह ने अपने हिंदी दैनिक अखबार में एक खबर प्रकाशित की और बुधवार तक मुख्यमंत्री कार्यालय से बड़ी कार्यवाही का पत्र जारी हो गया है।

खबर का बड़ा असर हुआ है उत्तराखंड वन विभाग में चल रहे बड़े गड़बड़झाले से जुड़ी जांच के मामले में , जहां दो आईएफएस अफसर सस्पेंड किये गए हैं तो वही कॉर्बेट नेशनल पार्क के निदेशक राहुल को मुख्यालय अटैच कर दिया गया है।

आपको बता दें कि न्यूज़ वायरस हिंदी दैनिक ने जिम कॉर्बेट में हुए विवादित निर्माण कार्य और तमाम अनियमितताओं से जुड़ी खबर प्रमुखता से प्रकाशित की थी । जिसका संज्ञान लेते हुए अब उत्तराखंड के धाकड़ मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने बड़ी और कड़ी कार्यवाही कर दी है। पहले पढ़ लीजिए पत्र में क्या लिखा है।

ये है खबर का पूरा ब्यौरा —

अब समझिए कि बुधवार शाम क्या हुआ है , शासन से जारी इस आदेश के पीछे एक लंबी सक्रिप्ट लिखी गयी है। जिसके बाद धामी सरकार ने वन विभाग में अवैध निर्माण समेत अनियमितताओं के मामले में तीन IFS अधिकारियों के खिलाफ बड़ी कार्रवाई कर दी है। सरकार ने दो आईएफएस अधिकारियों को जहां निलंबित किया है. वहीं, एक आईएफएस अधिकारी को देहरादून मुख्यालय अटैच किया गया है।

आपको बता दें कि उत्तराखंड वन विभाग में कॉर्बेट नेशनल पार्क के भीतर अवैध निर्माण समेत अनियमितताओं के मामले में सरकार ने सख्त फैसला लिया है। ऐसे में कैंपा की जिम्मेदारी संभाल रहे प्रमुख वन संरक्षक जेएस सुहाग को जहां निलंबित किया गया है तो वहीं पिछले दिनों आय से अधिक संपत्ति मामले में चर्चाओं में रहने वाले डीएफओ किशनचंद को भी सस्पेंड किया गया है।

लेकिन सूत्र बताते हैं कि जिम कॉर्बेट पार्क पर बनी इस चर्चित फिल्म की कहानी के मुख्य सूत्रधार को अटैच करके बड़ी राहत दे दी गयी है लेकिन क्यों और किसके इशारे पर, ये रहस्य है। सरकार ने कॉर्बेट नेशनल पार्क के निदेशक राहुल को देहरादून वन मुख्यालय में अटैच कर दिया है। बीते दिनों पाखरौ रेंज में अवैध निर्माण और कटान मामले में पूर्व सरकार पर कई सवाल खड़े किए गए थे और इस मामले की जांच भी की जा रही थी। खास बात यह है कि अब इस मामले में गलत कार्यों की पुष्टि होने पर मुख्यमंत्री धामी द्वारा अपने धाकड़ अंदाज में बड़ी कार्रवाई की गई है।

यह है मामला

कालागढ़ टाइगर रिजर्व वन प्रभाग के अंतर्गत पाखरो में टाइगर सफारी के निर्माण के लिए पूर्व में स्वीकृति से अधिक पेड़ों का कटान कर दिया गया था। इसके अलावा इस क्षेत्र में सड़क, मोरघट्टी व पाखरो वन विश्राम गृह परिसर में भवन के अलावा जलाशय का निर्माण भी कराया गया।

इन कार्यों के लिए पीसीसीएफ एस सुहाग से कोई वित्तीय व प्रशासनिक स्वीकृति नहीं ली गई थी क्योंकि ये अधिकार सिर्फ पार्क निदेशक के कलम में होता है। इस संबंध में मिली शिकायतों के बाद गत वर्ष जब राष्ट्रीय बाघ संरक्षण प्राधिकरण (एनटीसीए) की टीम ने क्षेत्र का निरीक्षण किया, तब मामला प्रकाश में आया।

एनटीसीए ने शिकायतों को सही पाते हुए दोषी अधिकारियों के विरुद्ध कार्रवाई की संस्तुति की। इससे विभाग में हड़कंप मचा, लेकिन शुरुआत में केवल रेंज अधिकारी को हटाया गया। मामले ने तूल पकड़ा तो गत वर्ष 27 नवंबर को शासन ने तत्कालीन मुख्य वन्यजीव प्रतिपालक जेएस सुहाग से यह जिम्मेदारी वापस ले ली थी।

साथ ही कालागढ़ टाइगर रिजर्व वन प्रभाग के डीएफओ किशन चंद को विभाग प्रमुख कार्यालय से संबद्ध किया गया। यद्यपि, सीटीआर के निदेशक के विरुद्ध कार्रवाई न होने से प्रश्न उठ रहे थे। यह प्रकरण उच्च न्यायालय में भी चल रहा है।

विभागीय जांच में अनियमितता की पुष्टि

वन विभाग के मुखिया ने कुछ समय पहले इस प्रकरण की जांच के लिए पांच सदस्यीय विभागीय दल गठित किया। दल ने अपनी रिपोर्ट में कालागढ़ टाइगर रिजर्व वन प्रभाग में हुए निर्माण कार्यों और टाइगर सफारी के लिए पेड़ कटान में गंभीर प्रशासनिक, वित्तीय व आपराधिक अनियमितता परिलक्षित होने की पुष्टि की।

लेकिन इस कार्यवाही के साथ ही कुछ अनुत्तरित सवाल है जो हमारे सामने खड़े हो गए हैं । सूत्र बताते हैं कि वरिष्ठ आईएफएस अधिकारी कपिल जोशी और अमित वर्मा की अगुवाई में शासन ने जो टीम बनाई थी उस टीम ने 500 पेज की रिपोर्ट तैयार की थी जो कभी बाहर नही आई और जिसे नजरअंदाज किया गया है। मौजूदा कार्यवाही के बारे में सूत्र बताते हैं कि जिस वक्त यह सारे मामले चल रहे थे उस वक्त डीएफओ कालागढ़ के पद पर अखिलेश तिवारी कार्यरत थे , बावजूद इसके उन्हें इस मामले में पूरी तरह से अलग-थलग करते हुए क्लीन चिट दे दी गई। सवाल यह भी उठता है कि जब डायरेक्टर कॉर्बेट टाइगर रिजर्व के पास ही सारे प्रशासनिक और वित्तीय अधिकार थे तो उन्हें संरक्षण देते हुए मुख्यालय से अटैच कर क्यों बचाया गया ? उच्च स्तरीय सूत्रों की माने तो आनन-फानन में की गई इस कार्यवाही का मकसद दिल्ली में 29 अप्रैल को सीईसी की होने वाली पेशी से आला अधिकारियों और सरकार को तो बचाना है ही बल्कि वर्तमान मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी का भ्रष्ट्राचार के विरुद्ध सख्त रुख भी है क्योंकि धाकड़ धामी किसी भी स्तर पर,किसी भी अधिकारी द्वारा किए जाने वाले भ्रष्टाचार को जड़ से मिटाने के अभियान में जुटे है मगर फिर इस बड़ी कार्यवाही में भी शासन के अधिकारियों द्वारा किसी को तो बचा ही लिया गया है वो भी किसी ओर को बलि का बकरा बना कर इतिश्री कर ली गई ।

लेकिन इस कार्यवाही के बाद जितने भी सवाल खड़े हो रहे हैं उसका जवाब प्रदेश की जनता जानना चाहती है । क्या सारे गैर जिम्मेदार क्रियाकलापों और अनियमितताओं के लिए शासन ने इंसाफ की नज़र से सही चेहरों को चुना है ? आज नही तो कल शासन के दोषी भी न्यायप्रिय मुख्यमंत्री के समक्ष बेनकाब हो ही जाएंगे, सीईसी जो करेगी वो तो करेगी ही?????

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