ये CM की बैठक नहीं जहां अधिकारी कहें रामराज और CM मान लें, यहां तथ्यों पर बात होगी: नैनीताल हाईकोर्ट

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नैनीताल. कोरोना (corona) को लेकर हाईकोर्ट (high court) ने सरकार के डेथ ऑडिट पर सवाल उठाए हैं. कोर्ट ने सरकार को कहा है कि जो डेथ ऑडिट कोर्ट को बताया जा रहा है ये स्वीकार नहीं किया जा सकता है. कोर्ट सरकार के जवाब से इस कदर नाराज थी कि कोर्ट ने टिप्पणी तक कर दी कि ये कोई मुख्यमंत्री की मिटिंग नहीं है, जहां अधिकारी कहें कि रामराज है और मुख्यमंत्री मान लें. ये कोर्ट है. यहां तथ्यों पर बहस होगी.

कोर्ट ने सचिव स्वास्थ्य को अगली तारीख को शपथ पत्र के साथ ये बताने को कहा है कि तीसरी वेव (third wave) के लिये कितनी तैयारी है. कोर्ट ने पूछा है कि राज्य में कुल ऐसे कितन गांव हैं जहां सड़क नहीं हैं और ये गांव रोड़ से कितनी दूरी पर हैं. कोर्ट ने 108 व स्वास्थ्य विभाग के एंबुलेंस का ब्यौरा भी तलब करते हुए इनका तैनाती स्थल पूछा है. वहीं कोर्ट ने पूछा है कि तीसरी लहर के लिए बाल रोग विशेषज्ञों की जो हाई पॉवर कमेटी बनाई गई थी और उसने अपनी रिपोर्ट में जो संस्तुतियां दी हैं उनके अनुपालन का क्या स्टेटस है. राज्य में बच्चों के लिए कुल कितने वार्ड कितने अस्पतालों में हैं और उन में कितने पीडियाट्रिक बेड हैं.

चीफ जस्टिस कोर्ट ने राज्य के सभी सरकारी अस्पतालों में आईसीयू एनआईसीयू समेत दवा पर भी रिपोर्ट फाइल करने का आदेश दिया है. वहीं पौड़ी लवाली स्वास्थ्य केन्द्र में सुविधाओं की बहाली करने का कोर्ट ने आदेश देते हुए तीसरी लहर में डाक्टरों की कमी पड़ने पर सुरक्षा बल सेना के चिकित्सकों की सेवाल लेने के निर्देश दिये हैं. कोर्ट ने 28 जून तक सचिव स्वास्थ्य व सचिव पर्यटन को कोर्ट में उपस्थित होकर चारधाम के संबंध में राज्य कैबिनेट के निर्णय की जानकारी देने को कहा है. वहीं बच्चों के लिये खतरनाक मानी जा रही तीसरी लहर पर कोर्ट गम्भीर दिखी और दवा की कमी पर स्वास्थ्य सचिव को फटकार लगाते हुए कहा कि आप दवा तब खरिदेंगे जब तीसरी लहर आ जायेगी. कोर्ट ने सरकार द्वारा देहरादून अस्पताल में 10 वेंटिलेटर लगाने पर कहा कि अगर 80 बच्चे क्रिटिकल हो गये तो 70 को मरने के लिये छोड़ देंगे.

आपको बतादें कि दुष्यंत मैनाली सचिदानंद डबराल समेत अन्य ने हाईकोर्ट में जनहित याचिका दाखिल की है. कोर्ट से राज्य के लोगों को कोविड़ से बचाने की मांग की गई है तो तीसरी लहर के लिये सभी व्यवस्थाओं को दुरस्त करने की मांग कोर्ट से की गई है. कोर्ट ने पूर्व में इस मामले पर कई महत्वपूर्ण आदेश भी सरकार को दिये हैं.

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