रामदेव और बालकृष्ण का दावा, एक हफ्ते में आएगा ब्लैक फंगस का आयुर्वेदिक इलाज

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बाबा रामदेव और आचार्य बालकृष्ण.

बाबा रामदेव और आचार्य बालकृष्ण.

फंगल इन्फेक्शन को लेकर पतंजलि संस्थान की आयुर्वेदिक दवा के बारे में योग गुरु रामदेव और उनके सहयोगी बालकृष्ण दोनों ने दावा किया है कि दवा के सकारात्मक परिणाम आए हैं. अब फाइनल स्टेज का काम चल रहा है.

हरिद्वार. एलोपैथी बनाम आयुर्वेद के विवाद के बीच बाबा रामदेव और उनके घनिष्ठ सहयोगी आचार्य बालकृष्ण ने दावा किया है कि ​एक सप्ताह के भीतर फंगस के लिए आयुर्वेदिक दवा लॉंच की जाएगी. दोनों ने ही यह दावा भी किया कि पतंजलि आयुर्वेद लिमिटेड और पतंजलि योगपीठ में इस दवा को लेकर काम और ज़रूरी औपचारिकताएं लगभग पूरी हो चुकी हैं. ब्लैक, व्हाइट और येलो फंगस के लिए तैयार कर ली गई दवा का काम फाइनल स्टेज में चल रहा है. रामदेव ने कहा कि विवाद के बीच भी उन्होंने लोगों की सेवा से मुंह नहीं मोड़ा है और वह अपना काम कर रहे हैं.

कोरोना काल में ब्लैक फंगस के साथ ही अन्य प्रकार के फंगल इन्फेक्शन के मामले तेज़ी से बढ़े और घातक भी हुए. खबरों में बाबा रामदेव के हवाले से कहा गया कि इस दिशा में पतंजलि रिसर्च सेंटर और योगपीठ ने इस घातक बीमारी के लिए दवा विकसित करने का बीड़ा उठाया. एक खबर के मुताबिक इसके लिए बालकृष्ण के निर्देशन में रिसर्च सेंटर के प्रमुख डॉ. अनुराग वार्ष्णेय के नेतृत्व में शोध टीम बनाई गई.

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न्यूज़18 क्रिएटिव इमेज

कुछ ही हफ्तों में कामयाबी का दावा

रामदेव ने पतंजलि संस्थान द्वारा फंगल इन्फेक्शन की दवा विकसित कर लिये जाने पर अपनी रिसर्च टीम को बधाई देते हुए दावा किया कि इस टीम ने सिर्फ पांच से छह हफ्तों के भीतर दवा बना लेने का कारनामा किया. वहीं, बालकृष्ण ने कहा कि इस दवा से संबंधित शोध पूरा हो चुका है और अब सरकारी स्तर पर इसकी मंज़ूरी संबंधी औपचारिकताएं पूरी की जा रही हैं. उनके मुताबिक, इसमें एक से डेढ़ हफ्ते का समय लग सकता है.

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दो बातें इस संबंध में ध्यान देने की हैं. पहली यह ​कि पतंजलि ने कोरोना की पहली लहर के दौरान कोरोनिल दवा बाज़ार में उतारते हुए कोविड संक्रमण का प्रामाणिक इलाज का दावा किया था, लेकिन बाद में इस पर विवाद होने की सूरत में इसे ‘सपोर्टिंग मेडिसिन’ या ‘इम्यूनिटी बूस्टर’ के नाम दिया गया. दूसरी बात यह कि हाल में, बालकृष्ण ने एक टीवी चैनल से इंटरव्यू में यह भी कहा कि पतंजलि संस्थान में 500 से ज़्यादा वैज्ञानिकों की टीम है, जो लगातार शोध का काम करती है.





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