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क्या आप जानते हैं किसने की थी अमरनाथ गुफा की खोज ?

अमरनाथ यात्रा को हिंदू धर्म के प्रमुख तीर्थों में से एक है. अमरनाथ में बर्फ के शिवलिंग की पूजा का विधान है. हर साल लाखों लोग यहां शिवलिंग के दर्शन के लिए अमरनाथ यात्रा पर जाते हैं. अमरनाथ गुफा में बर्फ से बने पवित्र शिवलिंग के दर्शन करने के लिए भक्त जून से अगस्त के बीच कश्मीर हिमालय की ये यात्रा करते हैं. ऐसी मान्यता है कि बर्फ के शिवलिंग की जो पूरी श्रद्धा के साथ पूजा-आराधना करता है. भगवान शिव उसकी सभी मनोकामनाएं पूरी करते हैं. इसी स्थान पर भगवान शिव ने अपनी पत्नी देवी पार्वती को अमरत्व का मंत्र सुनाया था और उन्होंने कई वर्ष रहकर यहां तपस्या की थी. ऐसा कहा जाता है कि इसकी खोज किसी मुस्लिम ने की थी. आइए विस्तार से जानते हैं इसकी कहानी…

जानें किसने की थी खोज ?

अमरनाथ श्राइन बोर्ड की आधिकारिक वेबसाइट के अनुसार, अमरनाथ गुफा की खोज बूटा मलिक नाम के एक मुस्लिम गड़रिया ने की थी. जानवरों को चराते हुए जब बूटा की मुलाकात एक साधू से हुई. तो साधू ने उसे कोयले से भरा एक बैग दिया. बूटा ने घर पहुंचकर जब बैग खोलकर देखा तो कोयला सोने के सिक्कों के रूप में दिखा. उसके बाद बूटा उस साधू का धन्यवाद करने उस गुफा पहुंचा. हालांकि उस गुफा में वह साधू नहीं मिला. जब बूटा मलिक ने उस गुफा के अंदर जाकर देखा तो बर्फ से बना सफेद शिवलिंग चमक रहा था. इसके बाद से यह यात्रा शुरू हुई.

रिपोर्ट के मुताबिक, गुफा की खोज 1850 में खोज हुई और यात्रा शुरू होने के बाद मलिक के परिवार वाले वहां की देखभाल करते थे. लेकिन अब ऐसा नहीं है, क्योंकि साल 2000 में एक बिल जारी हुआ. जिसके नियमों के मुताबिक, परिवार को बाहर निकाल दिया गया. पहले परिवार को एक तिहाई हिस्सा मिलता था, लेकिन अब ऐसा नहीं है. श्राइन बोर्ड के गठन के बाद उसे एक तिहाई हिस्से से भी बेदखल कर दिया गया. वेबसाइट एक कहानी के अनुसार, कश्मीर घाटी पूरी तरह से पानी में डूबी हुई थी और कश्यप मुनि ने वहां नदियों का निर्माण किया और पानी कम होने के बाद घाटी का निर्माण हुआ. उसके बाद भृगु मुनि प्रवास पर गए जहां उन्होंने गुफा की खोज की थी. गुफा के बारे में शास्त्रों में लिखा भी गया है. इस पर ज्यादा ध्यान नहीं दिया गया और 150 साल बाद बूटा मलिक ने इसकी खोज की थी.

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