जेल में बंद कैदियों से मिलने के लिए क्या हैं नियम

देश में किसी भी आरोपी के जुर्म की सजा अदालत तय करती है. इस स्थिति में कई बार अदालत आरोपी को जेल भेजती है, तो कभी कुछ जुर्माने पर रिहा कर देती है. ये आरोपी के क्राइम और अदालत के फैसले पर निर्भर करता है. लेकिन सवाल ये है कि जेल में बंद कैदियों से मिलने के लिए क्या नियम होते हैं और जेल में बंद वीआईपी कैदियों के लिए क्या नियम हैं? आज हम आपको इन सवालों का जवाब बताएंगे.

जेल में मिलने के नियम

बता दें कि अगर कोई व्यक्ति जेल में बंद होता है तो उसको परिजनों से मिलने को लेकर कुछ नियम बने हैं. जेल मैनुअल के मुताबिक एक कैदी सप्ताह में दो बार आगंतुकों से शारीरिक रूप से या वीडियो कॉन्फ्रेंस के माध्यम से मिल सकता है. इसके अलावा उन्हें मिलने से पहले आगंतुकों के नाम बताने होंगे. इसके अलावा जेल प्रोटोकॉल के मुताबिक  एक कैदी दस विजिटर्स के नाम दे सकता है. इनमें से तीन लोग हफ्ते में दो बार एक ही समय में कैदी से मुलाकात कर सकते हैं. बता दें कि हर राज्य और सेंट्रल जेल के मुलाकात को लेकर अपनी अपनी नियमावली है.

जेल नियमावली के मुताबिक विचाराधीन कैदी को हफ्ते में एक बार और अपराधी (जो दोषसिद्ध हो चुका हो) को 15 दिन में एक बार मुलाकात करने की अनुमति है. पति, पत्नी, बच्चे, अन्य रिश्तेदार, मित्र और वकील मुलाकात करने के पात्र हैं. मुलाकात के समय एक साथ तीन लोगों को मिलने की अनुमति है. इसके अलावा दिल्ली की तिहाड़ जेल में शनिवार, रविवार और सरकारी अवकाश के दिन मुलाकात नहीं कराई जाती है. विजिटर्स को मिलने के लिए कोई शुल्क नहीं देना होता है. परिजनों से मिलने का समय सुबह 9.30 से एक बजे के बीच है. इसके अलावा वकील या अन्य कोई कानूनी सलाहकार दोपहर तीन से 3.30 बजे के बीच मिल सकता है.

जेल में मिलने की प्रकिया

हर राज्य के जेलों के नियम अलग-अलग हैं. जैसे राजस्थान में मुलाकाती को जेल से एक फॉर्म लेकर भरना होता है. ये फॉर्म जेल के गेट पर मौजूद एक लिपिक से दो रुपये में मिलता है. फॉर्म के साथ मुलाकाती का पहचान पत्र और फोटो भी लगता है. एक बार जब फॉर्म का सेट जमा हो जाता है, तो उन्हें अग्रिम कार्रवाई के लिए जेल के अंदर ऑफिस में भेजा जाता है. वहीं स्वीकृत और अस्वीकृत फॉर्मों को जेल के मुख्य गेट पर भेजा जाता है. इस प्रक्रिया में लगभग दो घंटे का समय लगता है. इसलिए मुलाकात करने वालों को दो घंटे पहले पहुंचने की सलाह दी जाती है. वहीं मुलाकात की अवधि 45 मिनट तक होती है.

क्या हैं नियम

बता दें जब कोई परिजन जेल में बंद अपने कैदी से मिलन जाते हैं, तो उनकी तलाशी ली जाती है. जैसे जिन वस्तुओं को जेल मैन्युअल के मुताबिक लेकर जाने की मनाही होती है, उनको नहीं लेकर जाने दिया जाता है. इसके अलावा मिलने का मकसद घरेलू या कानूनी होना चाहिए. वहीं मुलाकात भी जेल अधिकारी के सामने ही होती है.

इसके अलावा भारत सरकार द्वारा जेल में सजा काट रहे, कैदियों के परिजनों से मिलने के लिए एक सिस्टम तैयार किया गया है, जिसका नाम eMulakat System है. ई मुलाकात सिस्टम को केंद्र सरकार के राष्ट्रीय कारागार विभाग द्वारा तैयार किया गया है. इस सिस्टम के माध्यम से कैदियों के परिजन कैदियों से ऑनलाइन वीडियो कॉल कर सकते हैं. इसके अलावा कैदियों से मिलने के लिए ऑनलाइन रजिस्ट्रेशन भी कर सकते हैं. इसके अलावा भारत सरकार द्वारा ई मुलाकात सिस्टम के माध्यम से वीडियो कॉल करने की सुविधा भी उपलब्ध है.

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back To Top