एक ऐसे टीचर जिन्होंने घर-घर जाकर बच्चों को शिक्षा के लिए किया जागरूक 

आज हम आपको एक ऐसे टीचर के बारे में  बताते है, जिन्होंने घर घर जाकर बच्चों को शिक्षा की राह दिखाई।  2005 जब प्राथमिक विद्यालय कमालपुर में उनकी पोस्टिंग हुई उस वक्त स्कूल की हालत बहुत खराब थी , दीपक कुमार प्रधानाचार्य का कहना है. 2005 में जब मैं इस स्कूल में आया तब ये स्कूल नया नया बना था। और स्कूल की  बिल्डिंग के चारो और कच्चा था। किसी भी तरह की कोई भी सुविधा इस स्कूल में नहीं थी। प्रधानाचार्य का कहना है, मेरे सामने-सामने सब कुछ तैयार हुआ है। और मेरे मन में एक विचार भी था, की इन बच्चों के लिए में कुछ नया करूँ इन बच्चों को बेहतर शिक्षा दे सकू। उस समय में अकेला ही अपॉइंट हुआ था. 1 साल में अकेला ही रहा। और मेने नए एडमिशन किये उस समय तीन क्लॉस के बच्चों के एडमिशन कर लिए थे, तीनो क्लास में लगबग 60 बच्चे थे लेकिन उसके बाद भी मेरी मेहनत जारी रही , और मेरे साथ साथ बच्चों ने पढ़ाई में बहुत उत्साह दिखाया।

गांव कमालपुर में पहले एक प्राइवेट स्कूल था। लेकिन जब सरकारी स्कूल खोला गया तो कुछ दिन बाद ही प्राइवेट स्कूल बंद हो गया था। क्यू की सरकारी स्कूल में बच्चों को अच्छी शिक्षा मिलने लगी थी। ये हमारी सफलता ही कही जाएगी क्यू की हम बच्चों को ऐसी शिक्षा दे पाए जो लोगों ने ये विचार किया है, की हमें अपने बच्चो को प्राइवेट स्कूल में नहीं सरकारी स्कूल में भेजना चाहिए। लेकिन 2005 में उस समय स्कूल की फंडिंग भी कम होती थी 1 साल में लगभग 7 से 8 हजार रुपए आ जाया करते थे।  स्कूल के विकास के लिए उसी राशि में स्कूल में काफी कार्य करने पड़ते थे।  लेकिन अब पिछले 3 या 4 साल से सरकारी अनुदान में भी वृद्धि हुई है। और उसके बाद खास तोर पर ज्यादा परिवर्तन देखने को मिला है।

जहां तक शिक्षा की बात करे बच्चो के लिए सुविधाओं की वो सरकार धीरे धीरे सही कर रही है।  जो पहले छात्र वृद्धि दी जाती थी। बच्चों को और वो केस मिला करती थी .उससे बच्चे ड्रेस बनाये या न बनाये या फिर अपने काम में बच्चे किताब ख़रीदे न खरीदे तो इनमे थोड़ा सही नहीं हो पाता था।  लेकिन धीरे धीरे सरकार की नीतिया बदली। यहा स्टाफ भी आया लेकिन अभी भी में कहु यहां स्टाफ की कमी है क्यू की 3 क्लास है 6,7,8  जिनमे 150 बच्चें है, और हम तीन ही टीचर है. अगर इस स्कूल को 2 टीचर और मिल जाये तो और भी बेहतर बच्चों को शिक्षा दी जा सकती है। तीनो क्लास में 50-50 बच्चे है। और अब सुविधाओं की कोई ज्यादा समस्या नहीं है , ग्राम पंचायत द्वारा पहले स्कूल में टाइली करण करा दिया गया था। और बहार सीसी का निर्माण कर दिया गया था, और चारदीवारी का 2008 में ही निर्माण हो गया था ,और बाद में उसे ऊंचा करने का निर्माण ग्राम प्रधान ने किया। तो भौतिक सुविधाओं से तो ये लगभग ये  पूर्ण हो चुका है। लेकिन जहां तक बात करे शिक्षा की तो बच्चों की शिक्षा को लेकर मुझे स्टाफ कम है। कमालपुर गांव के ग्रामवासियों  का स्कूल को बहुत सहयोग मिलता है, कुछ गांव के लोगों ने स्कूल में कंप्यूटर सिलाई मशीन दान की है।  तो इस लिए हमारा स्कूल ब्लॉक मुजफराबाद में एक अच्छा स्कूल माना  जाता है।

अब से 3 साल पहले स्कूल को इंग्लिश मीडियम भी कर दिया गया था। और उसके बाद यह निमंत्रण परगरती देखने को मिल रही है। और अब तक गांव कमालपुर में जितने भी प्रधान रहे है. सब ने स्कूल को टोप पराइटी पर ही रखा है। और अभी की बात करे यहा प्राइमरी में स्मार्ट क्लास आ चुकी है। प्रोजेक्ट इन्वर्टर वगैरह यह लगे हुए है, और लगातार बच्चों को स्मार्ट क्लास यूज कराया जाता है , और जूनियर में स्पीकर वगैरह है। और दीक्षा अप्प जो सरकार द्वारा लॉन्ग किया गया था। तो पुरे देश में ही इस एप्प से बच्चो को सभी योजनाओ के लिए बताया जाता है, जिसमे कांटेक्ट मुहैया कराया जाता है सरकार द्वारा , इसके अलावा भी काफी एप्प है , यह तक की जो दिव्यांग बच्चे है उनकी रिपोर्ट के लिए एक समर एप्प विकसित किया गया है। सरकार द्वारा जो की सभी टीचर को अपने फ़ोन में अपडेट करना पड़ता है। और हम उसमें सारी डिटेल दिव्यांग बच्चों की रखते है. और उन्हें मिलने वाली सुविधाएं उनकी पढ़ाई की स्थिति रखते है। और अलग से समय समय पर एक टीचर उनके लिए आते है। जो उनकी देख भल करते है और उनकी समस्या का समाधान करते है।

और अब सरकारी योजनाओं की भी कोई कमी नहीं है ,और सकरी फंडिंग की भी कोई कमी नहीं है। और जो 19 बिंदु सरकार की प्रोइटी पर है , हर स्कूल में ये 19 सुविधाएं जरूर होनी चाहिये। अगर में अपने स्कूल में कहुँ 19 सुविधाएं में से 1 या 2 सुविधा ही रही है जैसे की बच्चों को खाना खाने के लिए किचन सेट है। दिव्यांग बच्चों के लिए टॉयलेट की आवश्यकता है। ग्राम प्रधान से इस बारे में लगातार बात होती रहती है ,तो अगले वर्ष तक ये सब सुविधा भी हमारे पास होगी। और जिला सहारनपुर में शिक्षा के स्तर पर हमारा स्कूल एक अच्छी भूमिका निभा रहा है।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back To Top