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सीएम धामी का एक्शन : भू माफियाओं के खिलाफ उत्तराखंड सरकार हुई सख्त 

एमडीडीए और एसएसपी देहरादून को जारी हुई चिट्ठी
गढ़वाल कमिश्नर ने बड़े मामले में तीन दिन में मांगा जवाब
सूर्य कल्चरल ट्रस्ट के ट्रस्टी पंकज चड्ढा द्वारा शिकायत का है मामला

उत्तराखंड में भू माफियाओं द्वारा  अवैध कब्जे कर जमीनों पर आलिशान बिल्डिंग खड़ी करने वालों का दबंगई भरा मामला अक्सर सरकार , पुलिस और जिला प्रशासन के लिए चुनौती रहा है। देहरादून हो या फिर पहाड़ का कोई भी जिला , जमीनों के अवैध कब्जे पर शासन और प्रशासन भी बड़ी कार्यवाही करता रहा है।

लेकिन अवैध कब्जे अतिक्रमण और निर्माण पर जैसे लगता है भू माफियाओं पर कोई अंकुश ही नहीं है। ताजा मामला देहरादून का है जहां कमिश्नर गढ़वाल मंडल की एक चिट्ठी बताती है उत्तराखंड कि राजधानी देहरादून में किस तरह से जमीनों का खेल फल फूल रहा है। कमिश्नर दफ्तर से जो चिट्ठी मसूरी देहरादून विकास प्राधिकरण और देहरादून के एसएसपी को एक पत्र जारी हुई  है जिसमें कहा गया है कि सूर्य कल्चरल ट्रस्ट के ट्रस्टी पंकज चड्ढा द्वारा शिकायत दर्ज कराने के बाद भी इस ट्रस्ट के शिकायत पत्र पर अभी तक कोई भी जांच रिपोर्ट कमिश्नर कार्यालय को उपलब्ध नहीं कराई गई है , जिससे जांच कार्यवाही प्रभावित हो रही है।

गढ़वाल कमिश्नर सुशील कुमार की ये सख्त चिट्ठी बताती है कि किस तरह से सरकारी तंत्र में जमीन से जुड़े विवादित मामले सुस्त रफ्तार में आगे बढ़ते हैं।  क्योंकि जो 28 मार्च को जारी जो निर्देश आयुक्त सुशील कुमार ने एमडीडीए के वीसी और एसएसपी देहरादून को दिए हैं उसके मुताबिक कहा गया है कि प्रत्येक दशा में 3 दिन के अंदर जांच रिपोर्ट कार्यालय को उपलब्ध कराई जाए। जिससे इस गंभीर प्रकरण में आगे की आवश्यक कार्यवाही किया जा सके।

आपको बता दें कि कार्यालय आयुक्त गढ़वाल मंडल पौड़ी के तरफ से 28 मार्च को यह आदेशित चिट्ठी देहरादून में  एमडीडीए और एसएसपी कार्यालय को जारी की गई है।  इसमें यह भी कहा गया है कि प्रकरण में अंतिम निर्णय और जांच स्थल पर प्रत्येक दशा में अवैध निर्माण कार्य को रुकवा दिया जाए और मौके पर यथास्थिति बनाए रखने के लिए भी जरूरी कार्यवाही करना सुनिश्चित किया जाए। क्योंकि यह प्रकरण महत्वपूर्ण और समयबद्ध है  है लिहाजा कमिश्नर कार्यालय इन उल्लेखित अधिकारियों से व्यक्तिगत ध्यान देकर जरूरी कार्यवाही की अपेक्षा कर रहा है।

ये तो बात हुई आयुक्त की चिट्ठी की , अब बात करते हैं शिकायतकर्ता की तरफ से उनके वकील द्वारा दर्ज कराई गई रिपोर्ट की।  इस शिकायत पत्र में आरोप लगाया गया है कि काट मैकेंजी रोड स्थित क्यारकुली भट्टा गांव में भू माफियाओं द्वारा सरकारी कर्मचारियों के साथ मिलीभगत करके भूमि पर अवैध कब्जा किया गया है। इतना ही नहीं बिना स्थानीय प्राधिकरण , वन विभाग के अनापत्ति प्रमाण के सैकड़ों पेड़ों का अवैध कटान , अवैध खनन और अवैध निर्माण कार्य किया जा रहा है। जिसके लिए शिकायतकर्ता ने शिकायती पत्र सचिव मुख्यमंत्री को दिया लेकिन विडंबना है कि अब तक इस पर कोई भी प्रभावी कार्यवाही नहीं की गई है। हालांकि शिकायतकर्ता ने यह जरूर कहा कि मुख्यमंत्री को दिए पत्र पर सचिव मुख्यमंत्री ने जिलाधिकारी देहरादून और प्रभागीय वन अधिकारी देहरादून को आवश्यक कार्यवाही के लिए कहा था , लेकिन इस प्रकरण में कोई कार्यवाही समय पर नहीं हुई।  लिहाजा शिकायतकर्ता ने अपने वकील के माध्यम से उत्तराखंड के राज्यपाल को इस प्रकरण की शिकायत पत्र भेजा जिस पर राज्यपाल के कार्यालय से 10 जनवरी 2022 को आवश्यक कार्यवाही के लिए एक बार फिर चिट्ठी देहरादून के जिलाधिकारी दफ्तर पहुंच गई। 

सूर्या कल्चरल सोसायटी ट्रस्ट के दस्तावेजों के द्वारा षड्यंत्र कर भूमि को कब्ज़ाने की जो साजिश की गई है। उसको रोकने के लिए न्यास के विधिक न्यासी पंकज चड्ढा ने इस प्रकरण में वन संरक्षक यमुना सर्किल को भी पत्र लिखा।  शिकायतकर्ता ने अपने पत्र में यह भी बताया है कि दस्तावेजों व मौके की जांच करने पर वन संरक्षक यमुना व्रत उत्तराखंड में मुख्य साजिशकर्ताओं के विरुद्ध प्रशासनिक व विधिक कार्यवाही करने के लिए पत्र लिखा है जिसमें कि अब तक कोई कार्यवाही नहीं हुई है। वही शिकायतकर्ता का यह भी आरोप है कि भू माफियाओं के दबाव में विभागों द्वारा कई तथ्य छिपाए जा रहे हैं जिनमें प्रमुख हैं सूर्य कल्चरल सोसायटी ट्रस्ट के खसरा नंबर 63 के कागजों का इस्तेमाल करके खसरा नंबर 42 में कब्जा , अवैध निर्माण , खनन और पेड़ को कटान करना …..

आरोप लगाया गया है कि  इस प्रकरण में विभागों द्वारा कार्यवाही के नाम पर महज खानापूर्ति ही की जा रही है। वहीं मौके पर पेड़ों के अवैध कटान की संख्या और खनन को कम करके भी दिखाया जा रहा है। इस पूरे प्रकरण में भू-माफिया और सरकारी कर्मचारियों की मिलीभगत का भी आरोप पत्र में शिकायतकर्ता ने दर्ज कराया है। ऐसे में जब प्रदेश में  पुष्कर सिंह धामी की युवा सरकार प्रचंड बहुमत के साथ जनता के बीच काम कर रही है  तो देखना होगा कि आने वाले समय में इस गंभीर प्रकरण में धामी सरकार किस तरह की सख्त और पारदर्शी कार्यवाही करती है। क्योंकि जीरो टॉलरेंस की भाजपा सरकार में हर उस फरियादी  को उम्मीद है कि उसे इंसाफ मिलेगा जो अब तक उसे नहीं मिला। ये अलग बात है कि विभाग कोई भी हो या कोई भी कर्मचारी , अगर वह मिलीभगत के साथ भू माफियाओं के लिए काम कर रहा है तो उसे  सजा जरूर मिलनी चाहिए।

अब देखना यह होगा कि कमिश्नर की इस चिट्ठी के बाद एसएसपी देहरादून और एमडीडीए मिलकर इस बड़े और गंभीर प्रकरण की जांच क्या पूरी ईमानदारी से करता है क्योंकि सवाल सिर्फ विभागों का ही नहीं धामी सरकार की ईमानदार और पारदर्शी साख को बनाए रखने का भी है।  लिहाजा उम्मीद की जानी चाहिए कि अधिकारी अपने फर्ज और जनता की उम्मीदों पर खरे उतरेंगे और भू माफियाओं के चंगुल से इस तरह के बड़े मामलों में ईमानदारी के साथ इंसाफ कर पीड़ितों को न्याय दिलाएंगे

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