अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित बागेश्वर विधानसभा में चार बार से लगातार विधायक चुने जा रहे चंदन राम दास को आखिरकार नयी धामी कैबिनेट में जगह मिल ही गयी है। वह कद्दावर जनप्रतिनिधि के साथ ही संगठन में बेहतर तालमेल के लिए जाने जाते हैं। जनता में भी उनकी लोकप्रियता है। उनका लंबा राजनीतिक अनुभव व पार्टी और संगठन के प्रति निष्ठा की वजह से पर्यवेक्षकों को भी उनके नाम पर मुहर लगाने में कोई दिक्कत नहीं हुई। छात्र राजनीति से कैबिनेट मंत्री तक
दलित समुदाय का प्रतिनिधित्व करने वाले दास को संगठन में बेहतर तालमेल और जनाधार के लिए जाना जाता है. चंदन राम दास का राजनीतिक करियर 1980 में शुरू हुआ। वह 1997 में नगर पालिका बागेश्वर के निर्दलीय अध्यक्ष बने। इससे पूर्व एमबी डिग्री कॉलेज हल्द्वानी में बीए प्रथम वर्ष में निर्विरोध संयुक्त सचिव बने। 1980 से राजनीतिक जीवन की शुरुआत की। 2006 में पूर्व मुख्यमंत्री भगत सिंह कोश्यारी की प्रेरणा पर भाजपा में शामिल हुए। 2007, 2012, 2017 और 2022 में वह लगातार चौथी बार विधायक चुने गए।
आलाकमान से जताई थी मंत्री बनने की इच्छा
नए मंत्री बने दास जहां मृदभाषी हैं, वहीं विधानसभा में उनकी अच्छी पकड़ बताई जाती है। लेकिन तीन बार विधायक चुने जाने के बाद भी वह मंत्री नहीं बन सके थे। क्षेत्र के लोग भी इस बार आशान्वित थे कि यदि इस बार दास जीते तो मंत्री पद के भी दावेदार हो सकते हैं। इस चुनाव में बागेश्वर विधानसभा से टिकट को लेकर पूर्व जिपंअ दीपा आर्या भी दावेदार मानी जा रहीं थीं। दास को यह एक चुनौती थी। लेकिन संगठन और लोकप्रियता के कारण उन्हें टिकट मिलने में आसानी हुई।
लम्बे समय से उपेक्षित था बागेश्वर –
बागेश्वर जनपद को पिछले दस सालों से मंत्री पद विधिवत नहीं मिला था. हालांकि कपकोट के पूर्व विधायक शेर सिंह गड़िया को त्रिवेंद्र सरकार के अंतिम समय में दायित्व सौंपा गया था, लेकिन इसके कुछ ही दिन बाद त्रिवेंद्र के मुख्यमंत्री पद से जाते ही उनका पद भी समाप्त हो गया था. इसके अलावा, बागेश्वर से भाजपा विधायक रहे स्व. नारायण राम दास उप्र में आबकारी राज्य मंत्री रह चुके हैं.