उत्तराखंड शासन की मंजूरी के बाद आखिरकार प्रदेश के आईएएस अधिकारी के खिलाफ मुकदमा दर्ज कर लिया गया है. मामला आय से अधिक संपत्ति का है, लिहाजा इस मामले में विजिलेंस ने जांच करते हुए शासन से मंजूरी लेकर कार्रवाई की है. बता दें लखनऊ विकास प्राधिकरण के पूर्व सचिव वर्तमान में उत्तराखंड के समाज कल्याण विभाग के अपर सचिव हैं.
उत्तर प्रदेश में आय से अधिक मामले को लेकर लगातार कार्रवाई हो रही है. ऐसे ही एक पुराने मामले में उत्तर प्रदेश सरकार ने उत्तराखंड को एक आईएएस अधिकारी से जुड़े दस्तावेज सौंपे थे, जिसके बाद विजिलेंस ने मामले में शासन से अनुमति मांगी थी. अनुमति मिलने के बाद अब मामले में मुकदमा दर्ज कर दिया गया है. माना जाता है कि तत्कालीन सपा सरकार में रामविलास यादव काफी करीबी अधिकारी थे.
बताया जा रहा है कि विजिलेंस की तरफ से इस आईएएस अधिकारी से पक्ष जानने की कोशिश की जा रही थी, लेकिन विजिलेंस टीम की तरफ से बुलाए जाने के बावजूद भी अधिकारी विजिलेंस कार्यालय नहीं जा रहे थे. जाहिर है कि ये मामला आईएएस अधिकारी से जुड़ा है. ऐसे में शासन से अनुमति लेना जरूरी था. विजिलेंस ने प्रक्रिया को पूरा करते हुए इस मामले में मामला दर्ज किया है.
विजिलेंस टीम ने जांच करने पर अनियमितताओं और आय से अधिक संपत्ति के आरोपों को सही पाया. बताया गया है कि विजिलेंस द्वारा की जा रही जांच में रामविलास यादव ने सहयोग नहीं किया. जिसके बाद अब इस मामले में मुकदमा दर्ज कर लिया गया है.
जल्द बुलाए जाएंगे जांच के लिए
वरिष्ठ नौकरशाह रामविलास के मुकदमे की जांच शुरू हो गई है। विजिलेंस एसपी ने बताया कि उन्हें जल्द ही बयान दर्ज करने के लिए बुलाया जाएगा। इस मामले में शासन की ओर से भी निकट निगरानी की जा रही है। आने वाले कुछ महीनों में वह सेवानिवृत्त भी होने वाले हैं।
एलडीए के सचिव व मंडी परिषद में रही तैनाती
यादव की तैनाती लखनऊ में कई महत्वपूर्ण पदों पर रही। वह एलडीए में बतौर सचिव काफी लंबे समय तक रहे। इसके बाद उनकी तैनात मंडी परिषद अपर निदेशक के पद पर रही। जहां भर्ती घोटाला भी हुआ था। दावा किया जा रहा है कि सपा सरकार के करीबी आईएएस अधिकारियों में शामिल राम विलास यादव ने लखनऊ से लेकर प्रदेश के कई जिलों में करोड़ों रुपये की संपत्ति खड़ी की है .