मुझे नाजायज संतान साबित करने में लगी है कांग्रेस – सरिता आर्य

विशेष रिपोर्ट – महविश फ़िरोज़

उत्तराखंड विधानसभा चुनाव में अब प्रतिद्वंद्वियों को मात देने के लिए आरोप-प्रत्यारोप लगाने का सिलसिला शुरू हो गया है। नैनीताल विधानसभा सीट से भाजपा प्रत्याशी सरिता आर्य पर भी आरोप लगा है कि उन्होंने अपनी जाति के प्रमाण पत्र में हेराफेरी की। हालांकि सरिता आर्य पर यह आरोप काफी समय से लगते आ रहे हैं, मगर एक बार फिर से यह मुद्दा नैनीताल की सियासी गलियारों में उछलने लगा है। जिस पर जवाब देते हुए पूर्व विधायक सरिता आर्य मीडिया के सामने फूट-फूटकर रो पड़ीं और कहा कि बचपन से ही अपनी मां के साथ पली बढ़ी है। ऐसे में बार-बार उनकी जाति पूछ कर उन्हें पिता की नाजायज संतान कहलवाया जा रहा है।

सरिता ने कहा कि उनकी जाति पर सवाल उठाये जाने का मामला नया नहीं है। 2003 में पालिका चुनाव लड़ने के बाद से कई बार इसको लेकर सवाल उठाये गए है। 2012 में वह इसको लेकर हाई कोर्ट में उन्हें क्लीन चिट मिल चुकी है। अब चुनाव से ठीक पहले नैनीताल से बाहर गौलापार निवासी एक व्यक्ति को मोहरा बनाकर इस मुद्दे को उठाकर कांग्रेस षडयंत्र रच रही है। उन्होंने कांंग्रेस प्रत्याशी संजीव आर्य पर आरोप लगाया कि कहा भाजपा से टिकट मिलने के बाद उनके खिलाफ षडय़ंत्र रचकर उन्हें प्रताडि़त किया जा रहा है। जिसको लेकर उन्होंने तहसीलदार को पत्र लिखकर शिकायती पत्र का ब्योरा मांगा है।

पिता ने की थी दो शादियां
सरिता ने बताया कि उनके पिता ने दो शादियां की थी, मगर पिता के साथ रहने के बजाय बचपन से वह अपनी मां के साथ ही रही। मां अनुसूचित जाति की थीं। मां ने ही उनका पालन पोषण किया। 2012 में हाई कोर्ट पहुंचने के बाद कोर्ट ने भी उनकी माता के उनका भरण पोषण करने के कारण उनकी जाति को अनुसूचित जाति माना, मगर उनके खिलाफ षडयंत्र कर उनकी छवि को धूमिल किया जा रहा है।

ये है पूरा मामला
गौलापार के बागजाला निवासी हरीश चंद ने सरिता की जाति को लेकर सवाल उठाए हैं और तहसीलदार नवाजिस से इसकी शिकायत की है, जिसके बाद तहसीलदार ने जवाब देने के लिए सरिता आर्य को नोटिस भेजा है। तहसीलदार ने बताया कि शिकायत करने वाले बागजाला निवासी हरीश चंद ने अपने दावों के पक्ष में दस्तावेज उपलब्ध कराए हैं। आरटीआई के जरिए हासिल की गई सूचना के जरिए हरीश चंद ने दावा किया है कि सरिता सवर्ण जाति से संबंध रखती हैं। उनके भवाली स्थित जीबी पंत स्कूल के दस्तावेज मेें पिता का नाम कुलदीप सिंह दर्ज है, जो सिख समुदाय से थे और सवर्ण थे।

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