देवभूमि : स्वर्ग की 7 सीढ़ियों वाली झील सतोपंथ ,की रहस्य्मयी कहानी

न्यूज़ वायरस के लिए फ़िरोज़ आलम गाँधी की रिपोर्ट

भारत के कई ऐसे राज्य है जो विभिन्न प्रकार के रहस्यमयी घटनाओं से भरे पड़े हैं । इनमें से एक भारत के उत्तराखंड राज्य के समीप स्थित एक रहस्यमई गांव है, जहां पर पांडवों ने स्वर्ग जाने का मार्ग चुना। यह घटना बहुत ही रहस्यमयी एवं प्रसिद्ध है। भारत के ऐसे कई सारे राज्य हैं, जहाँ पर बहुत से ऊंची एवं लंबे पहाड़ हैं। उन राज्यो में से एक उत्तराखंड भी है, जिसकी खूबसूरती अद्वितीय है। परंतु उत्तराखंड के बारे में एक अत्यंत रोचक घटना है जिसके पीछे एक राज छिपा हुआ है। यदि आप भी जानना चाहते हैं एक रोमांचक पौराणिक कथा के बारे में तो आइए शुरुआत करते हैं उत्तराखंड के माणा गांव से-

आज हम एक ऐसी रोचक पौराणिक कथा के बारे में आपको बताने वाले हैं, जो केवल एक घटना या कहानी ही नहीं बल्कि सच्चाई भी है। इस घटना के कई साक्ष्य भी मिले हैं जो यह प्रमाणित करते हैं कि उत्तराखंड के पास एक माणा नामक गांव है, जिसके विषय में यह बात काफी प्रसिद्ध है कि वहां से होकर पांडव स्वर्ग की ओर गए थे। इस मार्ग को स्वर्गारोहिनी के नाम से भी जाना जाता है।

इस गांव के बीच में दो पहाड़े थी और बीच में खाई थी, जिसे पार करना सब लोगों के बस की बात नहीं थी। जब इस रास्ते से पांडव स्वर्ग की ओर जा रहे थे तो उन्होंने सरस्वती नदी से आगे जाने का रास्ता मांगा लेकिन उन्होंने इंकार कर दिया। भीम ने दो बड़े चट्टानों के टुकड़ों को उठाकर यहां पर एक पुल का ही निर्माण कर दिया। बता दें कि इसी पुल से होकर पांडव स्वर्ग की ओर गए थे। इसलिए आज भी इसे “स्वर्ग का मार्ग” कहा जाता हैं।

उत्‍तराखंड की धरती पर तमाम ऐसी जगहें हैं, जिनका इतिहास हमारे धार्मिक ग्रंथों से जुड़ा है। ऐसी ही एक बेहद खास जगह है सतोपंथ झील ….. सतोपंथ यानी कि सत्‍य का रास्‍ता। मान्‍यता है कि महाभारत काल में पांडव इसी रास्‍ते से स्‍वर्ग की ओर गए थे। यही वजह है कि इस झील का नाम सतोपंथ पड़ गया। इसके अलावा यह भी बताया जाता है कि जब पांडव स्‍वर्ग की ओर जा रहे थे और एक-एक करके उनकी मृत्‍यु हो रही थी तो इसी स्‍थान पर भीम की मृत्‍यु हुई थी। इसलिए भी इस जगह का महत्‍व माना गया है।

अभी तक आपने गोल या फिर लंबाई के आकार वाली झील देखी होगी। लेकिन सतोपंथ झील का आकार तिकोना है। मान्‍यता है कि यहां पर एकादशी के पावन अवसर पर त्रिदेवों ब्रह्मा, विष्‍णु और महेश ने अलग-अलग कोनों पर खड़े होकर डुबकी लगाई थी। इसलिए इसका आकार त्रिभुजाकार यानी कि तिकोना है। झील के आकार की ही तरह इसके अस्तित्‍व को लेकर भी कई मान्‍यताएं हैं। इनमें से एक यह है कि सतोपंथ में जब तक स्‍वच्‍छता रहेगी त‍ब तक ही इसका पुण्‍य प्रभाव रहेगा। यही वजह है कि झील के रखरखाव का खास ख्‍याल रखा जाता है।

सतोपंथ झील से कुछ दूर आगे चलने पर स्‍वर्गारोहिणी ग्‍लेशियर नजर आता है। जिसे स्‍वर्ग जाने का रास्‍ता भी कहा जाता है। कहा जाता है कि इस ग्‍लेशियर पर ही सात सीढ़‍ियां हैं जो कि स्‍वर्ग जाने का रास्‍ता हैं। हालांकि इस ग्‍लेशियर पर अमूमन तीन सीढ़ियां ही नजर आती हैं। बाकी बर्फ और कोहरे की चादर से ढकी रहती हैं।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back To Top