देवभूमि को कलंकित कर रहे भू माफिया – क्यारकुली भट्टा ट्रस्ट की जमीन खरीद फरोख्त में हो गया बड़ा फर्जीवाड़ा –

देहरादून सहित पूरे उत्तराखंड में ज़मीन से जुड़ा फर्जीवाड़ा हमेशा से प्रदेश की साख को नुक्सान पहुंचाता रहता है। समय समय पर सरकार और स्थानीय जिला प्रशासन भी इस गंभीर होती समस्या पर सख्ती भी करता है। भू माफिया हों या  फर्जीवाड़ा करने वाले शातिर दिमाग लोग , वो कहीं न कहीं ज़मीन पर बुरी नीयत गाड़ ही देते हैं। इसी कड़ी में बीते दिनों सामने ए एक मामले ने सबको चौंका दिया है और अब उसी सूर्या कल्चरल सोसाइटी ( ट्रस्ट) की बेची गयी संपत्ति की रजिस्ट्री पर रोक लगा दी गयी है। इस मामले में की गई शिकायत पर सीएम के आदेश के बाद हुई जांच में सहायक महानिरीक्षक निबंधन अरुण प्रताप सिंह ने बीते दिनों एक अहम आदेश जारी किया है।

प्रदेश के सभी डिप्टी रजिस्ट्रार को भेजे आदेश में कहा गया है कि सूर्या कल्चरल सोसायटी (ट्रस्ट) के द्वारा पूर्व में विक्रीत सम्पत्तियों (लेखपत्रों की तालिका सलंग्न) से सम्बन्धित लेखपत्र का पंजीकरण अस्थायी रूप से अग्रिम आदेशों तक रोके जाने के सम्बन्ध में तत्काल आवश्यक कार्यवाही करना सुनिश्चित करें।

गढ़वाल मंडल के अपर आयुक्त (प्रशासन) के पत्र का उल्लेख करते हुए कहा गया है कि सूर्या कल्चरल सोसाईटी (ट्रस्ट) की सम्पत्तियों से सम्बन्धित लेखपत्रो का पंजीकरण अस्थायी रूप से अग्रिम आदेशो तक रोके जाने के सम्बन्ध में आवश्यक कार्यवाही करने हेतु उन्हें निर्देशित किया गया था।

कार्ट मैकेंजी रोड , क्यारकुली भट्टा मसूरी स्थित ट्रस्ट की ज़मीन की खरीद फरोख्त में एक बड़ा फर्जीवाड़ा सामने आ रहा है। इसी इलाके में सरकारी जमीन खुर्द बुर्द किये जाने के एक मामले में सचिव अमित नेगी ने 27 दिसंबर को जांच के आदेश दिए थे। जमीनों के इस फर्जीवाड़े में सरकारी कर्मचारियों की मिलीभगत भी सामने आ रही है।

आपको यहाँ बताते चले कि जो खबर सूत्रों और मीडिया प्लेटफॉर्म पर तैर रही है उसके मुताबिक  2021 में सूर्या कल्चरल सोसायटी के ट्रस्टी बॉबी रावत ने अन्य ट्रस्टियों की अनुमति के बगैर देहरादून-मसूरी रोड पर क्यारकुली भट्टा के खसरा नंबर 42 व 63 जे दस्तावेजों को फर्जी तरीके से क्रय-,विक्रय किया गया। इस मामले में सूर्या कल्चरल सोसायटी के अन्य ट्रस्टी प्रीतम रोड, डालनवाला निवासी पंकज चड्ढा ने एक शिकायती पत्र दिया था। पत्र में कहा गया कि बिना अन्य ट्रस्टियों की अनुमति के बॉबी रावत ने 10 प्लाट बेच दिये। बॉबी रावत के साथ सुभाष शर्मा, विक्रम रावत व आनन्द रावत पर फर्जी तरीके से क्रय विक्रय कर कब्जा करने का आरोप लगाया गया था। इस शिकायती पत्र पर अपर आयुक्त के निर्देश के बाद हुई जांच में सहायक महानिरीक्षक निबंधन अरुण प्रताप सिंह ने बेची गयी संपत्ति की रजिस्ट्री पर अग्रिम आदेश तक रोक लगा दी।

लगभग 200 स्क्वायर मीटर के यह 10 प्लाट मिजान सिंह, गजे सिंह,सत्या सिंह, आनंद सिंह रावत व रंजीत सिंह को बेचे गए।

प्रदेश में इस तरह के फर्ज़ीवाड़े और ज़मीन घोटाले से लगातार प्रदेश की साख और ईमानदार बिल्डरों और ज़मीन व्यवसायियों की विश्वसनीयता पर भी सवाल खड़े होते रहते हैं।  जिसकी वजह से ग्राहक और प्रशासन दोनों को असहज स्थिति से दो चार होना पड़ता है। लिहाज़ा अब देखना होगा कि इस मामले में कब तक और किस किस गुनहगार तक पारदर्शी कार्यवाही का असर दिखाई देगा।

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