उत्तराखंड को वीरों की भूमि भी कहा जाता है क्योंकि यहां की माटी ने कई वीर सपूतों को जन्म दिया है। यहां की धरती के कई लाल देश पर कुर्बान हुए हैं। उनकी कुर्बानियों की निशानी आज भी उनकी शहादत की कहानी बयां करती हैं। इन्हीं निशानियों में से एक है ‘विजयंत टैंक’ . अब यह टैंक राजधानी देहरादून के गढ़ी कैंट के चीड़बाग में स्थित युद्ध स्मारक ‘शौर्य स्थल’ की शान बढ़ाने वाला है।
दरअसल, प्रदेश के युवाओं में देशप्रेम और उत्साह बढ़ाने के लिए देहरादून के गढ़ी कैंट में स्थित शौर्य स्थल में भारत-पाकिस्तान युद्ध में दुश्मनों के छक्के छुड़ाने वाला ‘विजयंत टैंक’ स्थापित किया जाएगा। यहां पहले से मिग-21 लड़ाकू विमान और नौसेना के युद्धपोत की प्रतिकृति मौजूद है। अब ‘विजयंत टैंक’ भी इसमें चार चांद लगाएगा।
बता दें कि 1971 के जंग में विजयंत टैंक किसी बाहुबली से कम नहीं था। दुश्मनों को मार गिराने वाले विजयंत टैंक की ऑपरेशनल रेंज 530 किलोमीटर थी और यह 50 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से चलता था। इस टैंक में चार क्रू मेंबर बैठा करते थे। विजयंत टैंक 39,000 टन वजनी है और इसकी लंबाई 9.788 मीटर, चौड़ाई 3.168 मीटर व ऊंचाई 2.711 मीटर है। भले ही आज के दौर में विजयंत टैंक मैदान-ए-जंग से रूखसत हो गया है, लेकिन अभी भी यह वीर सपूतों की शहादत याद दिलाता है।