चुनावी व्यंग विशेष – आशीष तिवारी
लोकतंत्र का जश्न मनाओ खूब बजाओ ताली जी
बढ़ा पलायन घटी नौकरी गाँव हो गए खाली जी
दलबदलू ड्रामेबाज़ नेताओं की फौज है खड़ी जी
गढ़वाल हो या कुमायूं कन्फ्यूजन बहुत है बड़ी जी
मुफ्त बिजली मुफ्त लेपटॉप फ्री पिलाएं दारू जी
किसी भी हद जाने को हैं
नेता आज उतारू जी लोकतंत्र का जश्न मनाओ खूब बजाओ ताली जी नेताओं के गाल पे देखो टपक रही है लाली जीस्कूल में है ना टीचर जी अस्पताल भी है खाली जी युवा छोड़ते गांव पहाड़ी आए कैसे खुशहाली जी खनन शराब और सत्ता बाटे , बेरोकटोक जंगल काटे सखी नदियां झरने सूखे , सिसक रही है हरियाली जी नेताओं के गाल पर फिर भी टपक रही है
लाली जी लोकतंत्र का जश्न मनाओ खूब बजाओ ताली जी जिस उम्मीद से आंदोलन में शहीदों ने खाई गोली जी
आज दशक दो पूरे हो गए हाथ है फिर भी खाली जी
आज हमारे नेताओं ने पहाड़ की हालत ऐसी कर दी है क़र्ज़ में डूबा उत्तराखंड और झोली अपनी भर ली है फिर आए हैं वोट मांगने नीयत है जिनकी काली जी लोकतंत्र का जश्न मनाओ खूब बजाओ ताली जी