
यूँ तो कहने को ये छोटी सी बात मान सकते हैं क्योंकि ये काम हम और आप कभी न कभी हालात से मज़बूरन कर ही देते हैं। लेकिन यही मामूली सी लापरवाही हमको बड़े संकट में भी डाल सकती है। हम बात कर रहे हैं टॉयलेट की , जो कभी कभी सही जगह न मिलने की वजह से हम नज़रअंदाज़ कर देते हैं और असहनीय न हो जाए तब तक टॉयलेट रोक कर रखते हैं। यही नहीं आजकल देर रात या ठंड और आलस या कई बार शर्म की वजह से भी लोग ऐसा करते हैं। लेकिन क्या आप जानते हैं कि आपकी ये गलत आदत काफी खतरनाक हो सकती है। यही नहीं आपकी ये आदत कई बीमारियों को जन्म भी दे सकती है।
ज्यादातर लोगों को किसी न किसी चीज से डर लगता है, जिसे फोबिया भी कहते हैं। किसी को ऊंचाई से, तो किसी को पानी में जाने से, या फिर किसी को सांप से डर लगता है। इन सब से अलग कुछ लोगों को टॉयलेट जाने से भी डर लगता है। इसे शाय ब्लैडर सिंड्रोम कहा जाता है। इन लोगों को अपने घर के अलावा किसी और जगह पर टॉयलेट यूज करने में हिचक महसूस होती है।
महिलाओं में ज्यादा देखी जाती है ये समस्या –
इस सिंड्रोम से पीड़ित लोगों को पब्लिक टॉयलेट का इस्तेमाल करने से डर लगता है, खासकर तब जब दूसरे लोग इनके आस-पास होते हैं। शाय ब्लैडर सिंड्रोम वैसे तो महिलाओं में आम है, क्योंकि अधिकतर समय महिलाएं शर्म या गंदे टॉयलेट की वजह से बाथरूम जाने से बचती हैं, लेकिन ये परेशानी पुरुषों और बच्चों में भी देखी जाती है। इंटरनेशनल पैरुरिसिस एसोसिएशन की एक रिपोर्ट अनुसार दुनिया में करीब 2 करोड़ लोग शाय ब्लैडर सिंड्रोम से जूझ रहे हैं। ये लोग आउटडोर पब्लिक गैदरिंग, ट्रैवलिंग या बाजार तक आने-जाने से भी कतराते हैं।
सर्दियों में ये समस्या और भी बढ़ जाती है। ठंड के चलते भी कुछ लोग बहुत देर तक टॉयलेट जाने से बचते हैं। सुनने में भले ही ये छोटी सी बात लगती हो, लेकिन ये समस्या कई और गंभीर बीमारियों का कारण बन सकती है। तो आप भी अगर ऐसी लापरवाही करते हैं तो अब ज़रा सम्हल जाएँ और अपनी सेहत से अनजाने में कोई खिलवाड़ न करें।