बर्फ़बारी का मज़ा लेना है तो पहुंचिए औली की वादियों में

इस राज्य को जितना दिल से कुडतर ने संवारा है शायद वो खूबसूरती कहीं और आपको नहीं मिलेगी। यही वजह है कि देश भर से पर्यटक इसी देवभूमी को निहारने सर्दियों में पहुँचते हैं। ऐसे में बात अगर सर्दियों के सीजन की करें तो नये साल (new year 2023) पर बर्फबारी देखने का एहसास ही कुछ और है। भारत के ‘मिनी स्विट्जरलैंड’ औली की सैर इस ट्रिप को और भी रोमांचक बना देती है। इस हिल स्टेशन को घूमने के लिए देश ही नहीं बल्कि विदेशों से भी पर्यटक आते हैं. साल 2023 के पहले महीने में आप यहां ताजा बर्फबारी का लुत्फ उठा सकते हैं और बर्फ से ढके पहाड़ों को निहार सकते हैं.

यहां की खूबसूरती टूरिस्टों को मंत्रमुग्ध कर देती है. आप नये साल (Happy New Year 2023) पर स्विट्जरलैंड नहीं जा सकते, तो औली दिल्ली-एनसीआर से ज्यादा दूर नहीं है और आपके लिए एकदम परफेक्ट डेस्टिनेशन है. यहां की खूबसूरती के आगे स्विट्जरलैंड भी फेल है. एक बार यहां की सैर करके तो देखिये. उत्तराखंड में स्थित उत्तराखंड (Auli Hill station uttarakhand) समुद्र तल से 3,056 मीटर की ऊंचाई पर स्थित है.यह हिल स्टेशन बद्रीनाथ के रास्ते में स्थित है. यहां एशिया की सबसे लंबी केबल कार है जो कि 4 किमी लंबी है. इस केबल कार में बैठकर पर्यटक औली के अद्भुत प्राकृतिक दृश्यों का आनंद लेते हैं और बर्फ से ढकी चोटियों के दृश्य देखते हैं. देवदार और चीड़ के वृक्ष,सेब के बाग इस हिल स्टेशन की सुंदरता में चार चांद लगाते हैं. यहां से टूरिस्ट कई पर्वत श्रृंखलाओं को देख सकते हैं. औली के पास कई तीर्थस्थल हैं जिनमें आदि गुरु शंकराचार्य की तपस्तली जोशीमठ, नंदप्रयाग और रुद्रप्रयाग है.

त्रिशूल पर्वत

समुद्र तल से 23490 फीट ऊपर स्थित त्रिशूल पर्वत औली का प्रमुख आकर्षण है. इस पर्वत का नाम भगवान शिव के त्रिशूल से लिया गया है.

सोलधार तपोवन

सोलधार तपोवन औली का यह प्रमुख पर्यटन स्थल है.

नंदा देवी

नंदा देवी भारत का सबसे ऊंचा पर्वत है जिसकी ऊंचाई 7,817 मीटर है. इस चोटी को घेरे हुए नंदादेवी राष्ट्रीय उद्यान भी है जहां पर्यटक जा सकते हैं.

आर्टिफिशियल लेक

औली में टूरिस्ट आर्टिफिशियल लेक भी देख सकते हैं. यह दुनिया की सबसे ऊंची मानव निर्मित झीलों में से एक है.

जोशीमठ

जोशी मठ औली से 12 किलोमीटर की दूरी पर है. यह बद्रीनाथ और फूलो की घाटी का प्रवेशद्वार माना जाता है. जोशीमठ शहर को ‘ज्योतिर्मठ’ के नाम से भी जाना जाता है. यहां पर शंकराचार्य का मठ और अमर कल्प वृक्ष है. माना जाता है कि यह वृक्ष लगभग 2,500 वर्ष पुराना है.

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