रमजान मुबारक का महीना जब भी आता है तो छोटे छोटे बच्चे भी सहरी खाते और रोजा रखते। और मस्जिद में जाकर नमाज अदा कर करते हैं।
हालांकि 9 साल या उससे ऊपर के बच्चे और बच्चियों पर रोजा रखना फर्ज है। अगर कम उम्र के बच्चे रोजा रखते हैं तो उन्हें अल्लाह ताला की नजदीकी जल्द मिल जाती है। बच्चों के रोजा रखने का सवाब उनके मां-बाप को भी मिलता है।
रहमत और बरकत के पाक माह- ए-रमजान में बड़ों के साथ छोटे बच्चे भी रोजा रख रहे हैं। छोटे बच्चे भी मस्जिद में जाकर नमाज अदा कर रहे हैं। छोटे बच्चों में रोजा को लेकर काफी उत्साह है। सभी बालिग मर्द-औरत को रोजा रखना चाहिए। रमजान शांति, अमन, चैन व भाईचारे का महीना है। इस महीने में इबादत करने से बहुत लाभ मिलता है। अल्लाह रहमत के दरवाजे खोल देते हैं और शैतान को कैद कर देते हैं। शहर में कई ऐसे बच्चे है जो पहले दिन से रोजा रख रहे है। रमजान को लेकर बस्तियों में चहल-पहल बढ़ गयी है।
सुहान ( उम्र 4 साल )
इस बार मैंने पहली रोजा रखा है। बहुत अच्छा लग रहा हैं। अम्मी ने मेरा साथ दिया है। शाम को एक साथ बैठकर इफ्तार करना अच्छा लगता है।