आर्यम इंटरनेशनल फाउंडेशन भारत के द्वारा ग्राम क्यारकुली स्थित भगवान शंकर आश्रम में श्री हनुमान जन्मोत्सव अत्यंत धूमधाम से सम्पन्न हुआ। इस अवसर पर हनुमत ध्वजारोहण , सम्पूर्ण बजरंग बाण प्रतिष्ठा, हनुमत सहस्त्रनाम पुष्प अर्चन और दिव्य वैदिक अग्निहोत्र किया गया।समारोह में देश भर से अनेक श्रद्धालुओं ने भाग लिया।
ट्रस्ट की अधिशासी प्रवक्ता माँ यामिनी श्री ने बताया कि परम प्रज्ञ जगतगुरु प्रोफेसर पुष्पेंद्र कुमार आर्यम जी महाराज के सानिध्य और मार्गदर्शन में समस्त समारोह अत्यंत हर्ष और उल्लास से सम्पन्न हुआ। इस अवसर पर श्रद्धालुओं को सम्बोधित करते हुए गुरु श्रेष्ठ ने स्पष्ट किया कि हनुमान भगवान शिव के ही एकादश अवतार हैं और सप्त चिरंजीवी में प्रमुख हैं । उन्होंने कहा कि लोग भूलवश उनके इस समारोह को जयंती बोल देते हैं जो ग़लत हैं जयंती उनकी होती हैं जिनका देहावसान होता हो श्री हनुमान अजर अमर हैं अतः इस अवसर को जन्मोत्सव कहना अधिक उचित है। श्री हनुमान अकेले ऐसे देवता भी हैं जो भारतीय हिंदू सभ्यता के दो महानतम काल खंड रामायण और महाभारत के साक्षी रहे हैं।
श्री आर्यम जी महाराज द्वारा इस अवसर पर सर्वप्रथम सम्पूर्ण बजरंग बाण की प्रतिष्ठा करके उसे विश्व भर के जन कल्याण हेतु लोकार्पित किया गया। उन्होंने बताया कि संत तुलसीदास द्वारा रचित बजरंग बाण प्रायः 21 और 24 पदों में ही उपलब्ध रहा है। उन्होंने अपने चित्रकूट प्रवास में हस्तलिखित सम्पूर्ण बजरंग बाण को अर्जित करके पुनः सम्पूर्ण 54 पदों के साथ पुनः प्रतिष्ठित किया है। आज इसका विधिवत पाठ करके इसे दुनिया भर के कल्याण हेतु लोकार्पित कर दिया गया। यह आश्रम में अपने आर्यम यूट्यूब चैनल पर गुरुवर की वाणी में अब सर्व सुलभ है ।कोई भी इसका श्रवण लाभ कर सकता है।
जन्मोत्सव के उपलक्ष्य में चमेली की कलम द्वारा अभिमंत्रित रूह चमेली, कुमकुम और गोरोचन की स्याही से अभिमंत्रित ध्वजारोहण उपरांत ध्वज प्रतिष्ठा की गई। एक हज़ार मंत्रों के साथ विभिन्न पुष्पों से भगवान हनुमान का स्तवन किया गया। वैदिक मंत्रो उच्चार के साथ दिव्य अग्निहोत्र सम्पन्न हुआ। गुलदाने के प्रसाद सहित भंडारा किया गया। इस आयोजन में देश भर से असंख्य भक्तों ने भाग लिया।
कार्यक्रम के आयोजन में कल्याणी श्री, शिवम्, प्रीतेश , सुनिल , रश्मि , गीता, प्रबुद्ध, पूजा, अलिंद्र वीर, ममता, वरुण भारद्वाज, साक्षी भारद्वाज, नवीन कुमार , कपिल , पंकज भदोलिया, गीतांजलि, किरण , रेनु , हरशु आदि का विशेष योगदान रहा।