न्यूज़ वायरस के लिए महविश की रिपोर्ट
मेडिकल नेगलिजेंस यानी इलाज के दौरान लापरवाही पर सुप्रीम कोर्ट ने बड़ा फैसला सुनाया है। दरअसल पटियाला की एक महिला की गॉल ब्लैडर स्टोन निकालने के दौरान मौत हो गई थी। मामला 18 साल पुराना है। कोर्ट ने लेप्रोस्कोपिक सर्जन डॉ गुरमीत सिंह को इस केस का दोषी माना। डॉक्टर को मृतक महिला के परिवार को 25 लाख रुपए मुआवजे के तौर पर देने का आदेश दिया।
आज न्यूज़ वायरस पर जरूरत की खबर में जानते हैं कि मेडिकल नेगलिजेंस क्या है? इसके खिलाफ कैसे और कहां शिकायत की जा सकती है..
सवाल– मेडिकल नेगलिजेंस का मतलब क्या है ?
जवाब– जब कोई डॉक्टर या मेडिकल स्टाफ किसी मरीज के इलाज या देखभाल में लापरवाही करता है। जैसे कि गलत तरीके से दवा देना, गलत तरीके से सर्जरी, मेडिकल गाइडेंस गलत देना, सर्जरी के दौरान मरीज को नुकसान पहुंचाना ये सब मेडिकल नेगलिजेंस के अंदर आता है। क्योंकि, इसकी वजह से मरीज को नुकसान पहुंचता है और उसकी मौत तक हो जाती है।
सवाल– मेडिकल नेगलिजेंस हुआ है इसे कैसे तय किया जाता है ?
जवाब– कोई व्यक्ति किसी अस्पताल या डॉक्टर के पास इस उम्मीद के साथ जाता है कि वहां उसका सही तरीके से इलाज किया जाएगा। डाॅक्टर की ड्यूटी है कि वह यह तय करे कि मरीज का इलाज कैसे करना है। इसके लिए क्या-क्या करना होगा, कौन-सी दवाई देनी है कौन सी नहीं। जब डॉक्टर या मेडिकल स्टाफ अपनी ड्यूटी सही तरीके से नहीं निभाता तो इसे इलाज में लापरवाही माना जा सकता है।
सवाल– मेडिकल नेगलिजेंस को लेकर कोई कानून है या नहीं ?
जवाब– हां, इसके लिए कानून है। कई बार स्किल्ड डॉक्टर से भी लापरवाही हो जाती है। ये लापरवाही किसी व्यक्ति के जीवन और मौत से जुड़ी है। इसलिए इससे अपराध माना गया है। ऐसे मामलों में डॉक्टर, हॉस्पिटल, नर्सिंग होम या हेल्थ सेंटर के खिलाफ केस किया जा सकता है।
सवाल– मेडिकल नेगलिजेंस की शिकायत कैसे दर्ज करा सकते हैं?
जवाब- इन तरीकों से शिकायत कर सकते हैं.
मेडिकल सुपरिडेंट को लिखित शिकायत कर सकते हैं।
शिकायत करने के बाद इसकी कॉपी CMO (चीफ मेडिकल ऑफिसर) को देनी होगी।
अगर CMO का कोई जवाब नहीं आ रहा है या फिर आप उनके जवाब से संतुष्ट नहीं हैं तो आप अपने राज्य के मेडिकल काउंसिल में शिकायत कर सकते हैं।
अगर मेडिकल नेगलिजेंस की वजह से जान चली जाती है या जान को खतरा होता है तो स्थानीय पुलिस थाने में शिकायत दर्ज कराई जा सकती है।
डॉक्टर इलाज में लापरवाही करता है तो उस पर क्रिमिनल और सिविल दोनों तरह का केस बनता है।
डॉक्टर के खिलाफ कंज्यूमर कोर्ट में उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम के अंतर्गत भी मुकदमा किया जा सकता है।
क्रिमिनल केस के मामले में अपराध के इरादे को साबित करना बहुत जरूरी होता है।
जब डॉक्टर क्रिमिनल केस में दोषी साबित हो जाता है, तब उसे जेल की सजा हो सकती है।
सिविल केस में पीड़ित नुकसान की क्षतिपूर्ति के लिए मुआवजे का दावा कर सकता है।