जोशीमठ की धरती तेजी से धंसती जा रही है और सड़क से लेकर घरों तक में दरारें पड़ रही हैं। जोशीमठ तबाह होने की ओर लगातार अग्रसर है। इसका खुलासा इसरो की सैटेलाइट तस्वीरों से हुआ है, जिससे भयावह संकेत मिल रहे हैं। सालों से बिगड़ रहे थे जोशीमठ शहर के हाल उत्तराखंड (Uttarakhand) के जोशीमठ (Joshimath) शहर के तबाही की खबर इस दिनों सभी जगह चर्चा का विषय बनी हुई है. दिन-प्रतिदिन यहाँ के हाल ख़राब हो रहे हैं और अभी तक पूरे शहर में मकानों और ऐतिहासिक स्थलों में बड़ी-बड़ी दरारें आ चुकी है. वहीं इस बीच जोशीमठ के बिगड़े हालात को लेकर को लेकर एक बड़ी खबर सामने आई है.
हर साल धंस रहा है जोशीमठ शहर
जहां जोशीमठ में बिगड़े हालात को लेकर 47 साल पहले ही तत्कालीन गढ़वाल कमिश्नर महेश चंद मिश्रा की अध्यक्षता वाली कमेटी ने दे दी थी. वहीं इस बीच अब कहा जा रहा है कि जोशीमठ शहर और उसके आसपास का एरिया हर साल तेजी से नीचे की तरफ धंस रहा है. स्टडी के मुताबिक, यह एरिया हर साल 2.5 इंच जमीन के अंदर समा रहा है…. भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) के नेशनल रिमोट सेंसिंग सेंटर ने जोशीमठ शहर की सैटेलाइट तस्वीरें जारी की हैं। इन तस्वीरों में बताया गया है कि जोशीमठ में कैसे धीरे-धीरे जमीन धंसने का सिलसिला जारी है। सैटेलाइट तस्वीरों से पता चला है कि जोशीमठ सिर्फ 12 दिनों में ही 5.4 सेंटीमीटर तक धंस गया।बदल रहा था जोशीमठ का पहाड़ का नजारा
जोशीमठ और उसके आसपास के इलाके के पहाड़ो के अंदर का नजारा तेजी से बदल रहा है. इसका अंदाजा उन सैटेलाइट इमेज से लगता है, जो जुलाई 2020 से मार्च 2022 के दौरान क्लिक की गई हैं. इन तस्वीरों में पूरा एरिया धीरे-धीरे अंदर धंसता दिखाई दे रहा है. बता दें, दो साल की यह स्टडी देहरादून स्थित इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ रिमोट सेंसिंग (Indian Institute of Remote Sensing) ने की है जिसमे जोशीमठ को लेकर ये बड़ा खुलासा हुआ है.सैटेलाइट तस्वीरों से पता चलता है कि आर्मी हेलीपैड और नरसिंह मंदिर सहित सेंट्रल जोशीमठ में सबसिडेंस जोन स्थित है। सबसे ज्यादा धंसाव जोशीमठ-औली रोड के पास 2,180 मीटर की ऊंचाई पर स्थित है। आपको बता दें कि बीते साल 2022 में अप्रैल और नवंबर के बीच जोशीमठ में 8.9 सेमी का धीमा धंसाव दर्ज किया गया।सैटेलाइट सेंसिंग इमेज में हुआ खुलासा
इसी के साथ IIRS की इस स्टडी के दौरान क्लिक की गई सैटेलाइट सेंसिंग इमेज में जमीन के अंदर की टेक्टोनिक एक्टिविटीज भी रिकॉर्ड की गई हैं. इनसे साफ सामने आ रहा है कि जोशीमठ के भूगर्भ में बेहद संवेदनशील गतिविधियां चल रही हैं. वहीं इस स्टडी से सामने आया है कि जोशीमठ और उसके आसपास का एरिया हर साल 6.5 सेंटीमीटर या 2.5 इंच तक अंदर धंस रहा है. इस स्टडी में साफ दिख रहा है कि समस्या केवल जोशीमठ शहर तक ही सीमित नहीं है बल्कि यह पूरी घाटी के पहाड़ के अंदर फैल चुकी है.