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जन्मदिन विशेष – साधारण से असाधारण बने CM पुष्कर सिंह धामी की कहानी 

देहरादून से कार्यकारी संपादक आशीष तिवारी की विशेष रिपोर्ट – 

वफादार सिपाही  , समर्पित कार्यकर्ता और आज्ञाकारी शिष्य जब अपने ज़िंदगी को समाज और अपने लोगों के लिए पेश करता है तो वो पुष्कर सिंह धामी बन जाता है।

खटीमा जैसी सामान्य सीट से देवभूमि के मुख्यमंत्री की सीट पर बिठा दिया जाता है क्योंकि उसके क़दमों में रफ़्तार होती है , आंखो में बेहतर कल के ख्वाब होते हैं और खुद को साबित करने का जूनून होता है। आज जब पुष्कर सिंह धामी ने टपकेश्वर महादेव मंदिर में आराधना की तब उन्होंने ज़रूर खुद के लिए हौसला और सूबे के लिए खुशहाली मांगी होगी। बात थोड़ी पुरानी की जाए तो जिस दिन तीरथ सिंह रावत की जगह पुष्कर सिंह धामी के नाम का एलान हुआ उस दिल उस घड़ी परिवार को बिलकुल अंदाजा नहीं था कि पुष्कर सिंह धामी उत्तराखंड के नए मुख्यमंत्री बन सकते हैं ..

जैसे ही यह खबर धामी की मां और पत्नी को पता चली तो उनकी आंखों में खुशी के आंसू आ गए। एक तरफ बीजेपी कार्यकर्ता अपने सीएम के घर के सामने नाचते-गाते रहे, वहीं सीएम की मां बिशना धामी और पत्नी गीता धामी भावुक थीं। मां ने कहा कि हम तो नहीं जानते थे, लेकिन आसपास के लोग कहते थे कि आपका बेटा एक दिन सीएम जरूर बनेगा और वो ख्वाब समय से कहीं पहले साकार हो गया

स्नातक करने के दौरान उन्होंने राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ की शाखा को ज्‍वाइन कर लिया।  उनकी विनम्रता और कुशल व्यवहार और समझदारी को देख महाराष्ट्र के राज्यपाल और उस समय यहां संघ के प्रचारक की भूमिका में रहे भगत सिंह कोश्यारी काफी प्रभावित हुए , यही वो दौर था जब राजनीती के के चाणक्य को उनका चन्द्रगुप्त धामी की शक्ल में मिल चूका था , और फिर तो युवा पुष्कर के समर्पण को भगत दा का ऐसा आशीर्वाद मिला जिसके बाद उन्होंने कई जिम्मेदारियों का निर्वह्न किया।

जब भगत दा सीएम बने तो 2002 तक उन्हें अपना ओएसडी बनाया। उस ओएसडी बनने के दौरान धामी ने जिस प्रशासनिक क्षमता का एहसास कराया। उससे भाजपा के शीर्ष नेतृत्व तक यह संदेश चला गया कि आने वाले समय में पुष्कर सिंह धामी एक बड़ा कद होंगे। उसके बाद नेतृत्व का गुण देखते हुए युवा मोर्चा का प्रदेश अध्यक्ष बनाया। यहां भी उन्होंने बखूबी जिम्‍मेदारियां निभाईं। नेतृत्व क्षमता का एहसास खुद धामी ने भाजपा हाईकमान को करा भी दिया।

इसी का परिणाम रहा कि भाजपा ने खटीमा विधानसभा क्षेत्र से 2012 में इनको टिकट दे दिया। पहले ही चुनाव में जीत हासिल कर अपनी क्षेत्रीय पकड़ का अहसास कराया। तब से वह लगातार विधायक हैं।

यूं तो पुष्कर सिंह धामी के अंदर नेतृत्व करने का गुण बचपन से ही था, लेकिन 28 जनवरी 2011 को  विवाह बंधन के बाद  धामी का सियासी सितारा तेज़ी से चमकने लगा था , पहले विधायक बने और आज  सीएम की कुर्सी पर है।

मुख्यमंत्री धामी को करीब से समझने वाले बताते हैं कि विवाह के बाद तब धामी के दिमाग में एक चिंता थी कि पारिवारिक जिम्मेदारियों में वह सामाजिक कार्य को कैसे समय और समर्पण दे पाएंगे। लेकिन वह खुद भी कई मौके पर कह चुके हैं यह उनका सौभाग्य है कि धर्मपत्नी गीता धामी उनके सियासी भाग्य को जगाने में बड़े सहायक की भूमिका में रहीं हैं। गीता धामी ने पारिवारिक जिम्मेदारियों के साथ पति की सामाजिक प्रतिष्ठा में कोई कमी न आए इसके लिए उन्हें भरपूर सहयोग दिया है।

इस बात को क्षेत्रवासी भी स्वीकार करते हैं कि विधायक पुष्कर सिंह धामी क्षेत्र में हो या न हों लेकिन उनकी समस्या का समाधान कराने में उनकी पत्नी की पूरी सहभागिता रहती है। वह उसी सम्मान के साथ स्वागत करती हैं और पीड़ितों की बात सुन निराकरण करने का पूरा प्रयास करती हैं।

मुख्यमंत्री बनने के साथ ही पुष्कर सिंह धामी ने सबसे पहले राज्य की ब्यूरोक्रेसी में काबिल ईमानदार और रिजल्ट ओरिएंटेड अफसरों की टीम तैयार की। अहम कुर्सियों पर आई ए एस की तैनाती की और सख्त इशारा दे दिया कि वो दबाव या प्रभाव में नहीं बल्कि त्वरित सार्थक और कड़े फैसले लेकर व्यवस्था में सुधार करने का इरादा लेकर आये हैं। युवाओं के रोज़गार , बंद पड़ी भर्तियाँ , कोरोना से निपटने की व्यवस्था और सैन्य धाम को अनेक योजनाओं की सौगात देकर इस छोटे से कार्यकाल को धामी सरकार मील का पत्थर बनाने की और बढ़ रही है। 

आज प्रदेश चुनाव के मुहाने पर खड़ा है और राजनैतिक घटनाक्रम के साथ साथ चुनावी समीकरण बदलने लगे हैं। जिस तरह से दूसरे दलों के बड़े नेता , विधायक आज उत्तराखंड भाजपा की टीम में शामिल हो रहे हैं उसके पीछे भी दिग्गज गुरु भगत दा का फार्मूला और युवा धामी की रणनीति को ही बड़ी वजह बताया जा रहा है।

टीवी न्यूज़ वायरस और हिंदी दैनिक न्यूज़ वायरस भी सीएम पुष्कर सिंह धामी और उनकी सरकार को बेहतरीन कार्यकाल की शुभकामना देता है और जन्मदिन की अनंत बधाइयां

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