‘पति पत्नी और वो’ ये फिल्म तो आपने देखी ही होगी। ये काल्पनिक कहानी बताती है कि कैसे किसी रिश्ते में ऊपरी तौर पर खुश रहने के बावजूद एक आकर्षक शख्स के लिए झुकाव महसूस कर सकता है ,यही है माइक्रो चीटिंग इस शब्द से ही समझ आता है कि ये चीटिंग इतनी छोटी होती है कि कई बार हमें नजर ही नहीं आती। इस बारे में साइकियाट्रिस्ट बताते हैं कि चीटिंग को लेकर सोसाइटी ने एक परिभाषा गढ़ दी है, जिसमें ये माना जाता है कि किसी से शारीरिक रिश्ते बनाना ही धोखा देना होता है, जबकि चीटिंग पर ये परिभाषा फिट नहीं बैठती।
कौन होते हैं माइक्रो चीटिंग का शिकार?
माइक्रो चीटिंग का शिकार वो लोग ही होते हैं, जो रिश्ते में हैं। दरअसल किसी कमिटेड रिश्ते को ख़राब किए बिना, जब कोई शख्स गुपचुप एक नया रिश्ता बनाता है या अपने बीते कल के किसी रिश्ते में इंटरेस्ट दिखाने लगता है, तब वो अपने पार्टनर से ‘माइक्रो चीटिंग’ कर रहा होता है। बस इस चीटिंग का खुलासा कम ही हो पता है, क्योंकि कमिटेड पार्टनर को चीट करने वाला पार्टनर अपनी करतूत की हवा भी नहीं लगने देता और जब लाइफ बिल्कुल अच्छी चल रही हो, तब कोई जासूसी करेगा भी क्यों?
क्या होता है माइक्रो चीटिंग में?
डॉ सिंह बताते हैं, जब कोई महिला या पुरुष अपने पार्टनर के होते हुए किसी अपोजिट जेंडर की तरफ आकर्षित होता है। उसे लेकर इंटिमेट या इरोटिक एनर्जी महसूस करता है और उसके साथ होना चाहता है, तब असल में वो पार्टनर पर माइक्रो चीटिंग कर रहा होता है। इसके अलावा अपने एक्स से बार-बार कांटेक्ट करना, उसके साथ इमोशनल कनेक्ट फील करना, उसे सोशल मीडिया पर ढूंढना भी एक तरह की माइक्रो चीटिंग है।
एक्सपर्ट से जानें कैसे चलेगा चीटिंग का पता?
हर बात पर डिफेंसिव होना – देखा जाता है कि अपने पार्टनर को चीट करने वाले डिफेंसिव होते हैं। वो हर बात पर अपनी सफाई देते हैं और किसी तरह के सवाल से बचते नजर आते हैं।
दूसरों के अच्छे दिखने के हिंट देना – इनकी एक कमी ये होती है कि ऐसे लोग दूसरों को दिखाकर हिंट देते हैं। जैसे वो महिला कितनी फिट है या वो आदमी कितना स्मार्ट है। इससे पता चलता है कि अपने रिलेशन में उसका इंटरेस्ट कम, जबकि दूसरे लोगों पर उसका इंटरेस्ट ज्यादा देखी जाती है।