SPG : दुनिया के सबसे घातक हथियारों से लैस हैं मोदी के कमांडो – जानिए एसपीजी की अहमियत

देहरादून से आशीष तिवारी की विशेष रिपोर्ट –
बीते दिनों पंजाब में पीएम मोदी की सुरक्षा मामले में उठे सवाल के बाद राजनीती तेज़ है।  आरोप प्रत्यारोप के बीच पीएम की सुरक्षा व्यवस्था पर भी सवाल उठाये जा रहे है लेकिन एक दीवार ऐसी है जिसका काम ही ऐसी चुनौतियों से निपटना होता है नाम है SPG ये वही कमांडो हैं, जो सूट-बूट में काला चश्मा लगाए प्रधानमंत्री को घेरे रहते हैं। एक अलग चाल ढाल , रुआब और एकाग्रता के साथ अपने वीवीआईपी को ऎसी सुरक्षा देना जिसमें गलती की कोई गुंजाइश भी न हो।
ऐसे में अगर पंजाब में हालात कुछ और होते भी तो जरूरत पड़ने पर ये जवान अपने अत्याधुनिक हथियारों से दुश्मन को पलभर में ढेर कर देते और प्रधानमंत्री को सुरक्षित वहां से निकाल ले जाते। आइये जानते है इस अभेद दीवार एसपीजी की कहानी –

देश में एक समय ऐसा भी आया जब दुश्मनों ने तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की 1984 में सुरक्षा दीवार तोड़ते हुए निर्मम हत्या कर दी थी। उस वक़्त सरकार और सुरक्षा एजेंसियों को एक ख़ास व्यवस्था की सख्त ज़रूरत महसूस हुई और इस जघन्य हत्याकांड के बाद 1985 में SPG बनी। 1988 में स्पेशल प्रोटेक्शन ग्रुप एक्ट, 1988 पारित करके इसका औपचारिक गठन किया गया। केंद्रीय सशस्त्र पुलिस बल यानी CAPF और रेलवे सुरक्षा बल (RPF) के जवान SPG में शामिल होने की इच्छा जता सकते हैं। केंद्रीय सशस्त्र बलों का कोई भी जवान अपने करियर में केवल एक बार 5 साल के लिए SPG में जा सकता है। SPG के जवान और अफसरों पर किसी मीडिया हाउस से संपर्क करने या SPG में अपने कार्यकाल पर कोई किताब लिखने की पाबंदी होती है।इन दिनों SPG में 3000 से ज्यादा जवान और अफसर हैं। SPG को एक IPS ऑफिसर कमांड करता है, जो देश के कैबिनेट सेक्रेटेरिएट को रिपोर्ट करता है।

SPG की 4 ब्रांच हैं…

1. ऑपरेशन्स यानी ग्राउंड पर जाकर पीएम की सुरक्षा करने वाले जवान या अफसर। इनमें भी आगे टेक्निकल विंग, कम्युनिकेशन विंग और ट्रांसपोर्टेशन विंग जैसे हिस्से होते हैं।

2. ट्रेनिंग : इस ब्रांच के पास SPG के जवानों को ट्रेनिंग देने का जिम्मा होता है। SPG जवानों को करीब से लड़ने, हथियार चलाने, वीआईपी की सुरक्षा, बिना हथियारों के लड़ने, प्राथमिक चिकित्सा देने, अलग-अलग तरह की गाड़ियों को चलाना सिखाया जाता है।

3. इंटेलिजेंस एंड टूर: यह SPG की इंटेलिजेंस विंग है। इसका काम जोखिम को आंकना, संदिग्ध लोगों की जांच करना, नए भर्ती जवानों का बैकग्राउंड चेक करने जैसे काम होते हैं।

4. एडमिनिस्ट्रेशन: इस ब्रांच के हवाले प्रशासनिक काम जैसे फाइनेंस, ड्यूटी, हथियारों की खरीद आदि काम होते हैं।

करीब 600 करोड़ है SPG का बजट –

2020-21 के बजट में SPG के लिए 592.55 करोड़ दिए गए थे। पिछले वित्त वर्ष यानी 2019-20 के मुकाबले यह रकम 10% ज्यादा थी। साफ है कि पीएम मोदी की सुरक्षा पर रोज करीब 1.62 करोड़ रुपए खर्च होते हैं। ऐसे में कोई भी दुश्मन गलत इरादे से इस अभेद दीवार को पार कर सके इसकी संभावना ही नहीं है।

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