विशेष रिपोर्ट – महविश फ़िरोज़
रंग बिरंगे परिधानों से समृद्ध है पहाड़ का जीवन
विविधताओं का देश है भारत , जहाँ थोड़ी सी दूरी पर बदल जाते हैं रस्म और रिवाज़ , खान पान और वेशभूषा , ऐसे में आज हम आपको देवभूमि उत्तराखंड के बारे में कुछ रोचक जानकारी दे रहे हैं। आपको बताएंगे की पहाड़ में कौन सा पहनावा और वेशभूषा पारम्परिक सस्कृति को संजोये हुए है।
उत्तराखंड यूँ तो एक खूबसूरत प्राकृतिक सौंदर्य से लकदक राज्य है| ये राज्य परम्परा और संस्कृति के लिहाज़ से आज दो हिस्सों में बंटा हुआ माना जाता है | कुमाँऊ और गढ़वाल , ये उत्तराखंड के दो हिस्से है और इन्ही हिस्सों से यहाँ हर चीज़ बाटी जाती है| यह दो भाषा भी है कुमाउनी और गढ़वाली| भाषा के अलावा यह की वेश-भूषा और परिधान भी इन्ही दो क्षेत्रों के हिसाब से विभतीज है| तो चलिए अब आपको यह के पहनावे के बारे में कुछ विशेष बताते है|जैसा कि हम और आप जानते हैं कि हर राज्य का अपना विशेष परिधान होता है| उत्तराखंड में भी यही पहचान आज विशेष स्थान रखती है। देवभूमि में दो प्रकार के परिधान पाए जाते है| जिसमे से एक होता है कुमाउनी परिधान(Kumauni Apparel) और दूसरा होता है गढ़वाली परिधान( Garhwali Apparel)| जैसा की हमने आपको पहले ही बतया था की उत्तराखंड दो भागो में विभाजित है कुमाँऊ और गढ़वाल , इसीलिए यहा के पारम्परिक वेश भूषा भी मूलतः दो भाग में बटी हुई है|
कुमाउनी पुरुष वेश-भूषा: यह के पुरुष पारम्परिक तौर पर धोती, कुर्ता,पैजामा,सुराव, कोट,भोटू,कमीज़, टांक यानि साफ़ और टोपी आदि को अपने पहनावे में शामिल करते है|
कुमाऊनी महिला और बच्चों की वेशभूषा: अगर यह की महिलाओं के पहनावे की बात करे को वो घगरा, लहंगा,आंगड़ी, खानू, चोली, धोती, आदि पहाना पसंद करती है। और अगर यहां के बच्चों की बात करें तो उनके परिधान में झागुली, झागुल कोर्ट, संतराथ आदि शामिल है।
गढ़वाली पुरुषों के परिधान: धोती,चूड़ीदार पजामा, सफेद टोपी, पगड़ी, वास्कट, गुलबंद, मिरजईआदि शामिल है|
गढ़वाली स्त्रियों और बच्चों के परिधान: अगर हम गढ़वाली क्षेत्र के स्त्रियों और बच्चों के पहनावे की बात करें तो इसमें स्त्रियां आंगड़ी,गाती, धोती, पिछवाड़ा आदि जैसे वस्त्र इनके पहनावे में शामिल है।
वहीं दूसरी ओर अगर बच्चों की बात करें तो इसमें झगुली,घाघरा, कोर्ट, चूड़ीदार पजामा, संतराथ आदि जैसे कपड़े शामिल है। अगर आप पहाड़ से जुड़े हैं तो ये जानकारी आपके लिए पुरानी कहानी को दोहराने जैसी है लेकिन जो पहाड़ को करीब से जानना और समझना चाहते हैं उनके लिए हमारा ये ज्ञानवर्धक लेख बड़े काम का है।