शख्सियत पहाड़ की : इंडिया ओपन एकल स्पर्धा जीतने वाले लक्ष्य सेन की कहानी

विशेष रिपोर्ट – आशीष तिवारी
भारत के युवा बैडमिंटन खिलाड़ी लक्ष्य सेन ने पुरुष एकल फाइनल में मौजूदा वर्ल्ड चैम्पियन लोह कीन येव को हराकर इंडिया ओपन का खिताब जीता है।20 वर्षीय सेन ने 54 मिनट तक चले मुकाबले को सीधे गेम में 24-22, 21-17 से जीतकर अपना पहला सुपर-500 खिताब जीता। उत्तराखंड के अल्मोड़ा में रहने वाले देश के शानदार बैडमिन्टन  पर देश भर से शुभकामनाएं मिल रही हैं। उत्तराखंड सरकार के तमाम  सहित  अध्यक्ष ने इस होनहार खिलाड़ी को बधाई दी है।
 
इंडिया ओपन जीतने वाले तीसरे पुरुष एकल विजेता बने लक्ष्य –


उत्तराखंड के अल्मोड़ा में जन्में सेन, प्रकाश पादुकोण और श्रीकांत किदांबी के बाद इंडिया ओपन खिताब जीतने वाले सिर्फ तीसरे भारतीय पुरुष एकल खिलाड़ी हैं। पादुकोण ने 1981 में जबकि श्रीकांत ने 2015 में यह खिताब जीता था।

यह सेन के करियर का सबसे बड़ा खिताब है। इससे पहले उन्होंने 2019 में बेल्जियम, स्कॉटलैंड और बांग्लादेश में तीन इंटरनेशनल चैलेंज जीते थे। इसके अलावा वह डच ओपन और सारलोरलक्स ओपन के रूप में दो सुपर-100 खिताब जीत चुके हैं।लक्ष्य के बैडमिंटन विरासत में मिला है.उनके दादाजी वहां बैडमिंटन खेला करते थे. उनके पिता डीके सेन भी बैडमिंटन कोच हैं, लेकिन लक्ष्य के खेल का ललक लगी अपने भाई चिराग को देखकर.चिराग 13 साल की उम्र में नेशनल रैंकर बन गए थे..घर में बैडमिंटन का माहौल था और फिर बड़े भाई को देखकर लक्ष्य ने भी इस खेल में रूचि दिखाई..उनके दादाजी जब खेलने जाते तो वह लक्ष्य को अपने साथ ले जाते और फिर पिता ने उनको इस खेल का बारीकियां सिखाने शुरू कर दीं.15 साल की उम्र में लक्ष्य ने नेशनल जूनियर अंडर-19 का खिताब अपने नाम किया. 2015 में लक्ष्य ने अंडर-17 नेशनल का खिताब जीता..2016 में उन्होंने दोबारा अंडर-19 में गोल्ड मेडल अपने नाम किया.उन्होंने 17 साल की उम्र में 2017 में सीनियर नेशनल फाइनल्स खेल और खिताब जीता.2018/19 में वह दोबारा सीनियर नेशनल फाइनल्स में खेले लेकिन इस बार उनके हिस्से सिर्फ रजत पदक आया.जूनियर स्तर पर लक्ष्य कमाल दिखा रहे थे.

2018 में एशियाई जूनियर चैंपियनशिप में स्वर्ण पदक जीता उन्होंने जूनियर विश्व चैंपियन थाईलैंड के विटिड्सारन को को हराया. उन्होंने 2018 में यूथ ओलंपिक गेम्स में रजत पदक भी जीता.लक्ष्य की कामयाबी का ये शानदार सफर लगातार जारी है.इस मेहनत के पीछे अगर लक्ष्य का पसीना है तो देश और गृह प्रदेश उत्तराखंड के लाखों लोगों की दुआएं भी शामिल हैं।

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