आपको शायद ही यकीन होगा कि हाईटेक हो चुके भारत के डिजिटल स्कूलों में भले ही स्मार्ट क्लास चलायी जा रही है , भले ही ऑनलाइन क्लास का फार्मूला देश की युवा स्टूडेंट विंग ने सीख ली हो लेकिन आज भी न जाने कितने ऐसे सरकारी और प्राइवेट स्कूल हैं जो बदहाल और खतरनाक स्थिति में चल रहे हैं। देश और प्रदेशों की सरकार ने शिक्षा के क्षेत्र में सुधार के लिए भले ही बजट से लेकर योजनाओं की घोषणा तक लाख दावे किये हों और अंग्रेजी माध्यम के स्कूल खोलकर वाहवाही भी लूट ली हो , लेकिन विद्यालयों में बुनियादी सुविधाओं का अभाव होने से विद्यार्थी शिक्षण कार्य का बहिष्कार कर रहे है।
ऐसा ही वाकया खानपुर के महात्मा गांधी अंग्रेजी माध्यम के स्कूल में सामने आया जब कक्षा 6 व 10 के विद्यार्थियों ने प्रधानाचार्य को लिखित में अवगत कराया कि कक्षाओं में प्रतिदिन पानी का भराव होने के साथ मच्छर काटने से शिक्षण कार्य नहीं कर कक्षाओं का बहिष्कार कर दिया। कार्यवाहक प्रधानाचार्य नरेश कुमार ने इसकी सूचना मुख्य ब्लॉक शिक्षा अधिकारी को दी। पत्र सोशल मीडिया पर वायरल होने पर तहसीलदार भरत कुमार यादव ने विद्यालय में पहुंचकर पटवार घर की छत के पानी की समुचित निकासी व विद्यालय नाली काटकर पानी की निकासी कराने के निर्देश दिए।
उत्तराखंड में भी हैं स्कूलों में मुश्किलों का ढेर –
पहाड़ के सरकारी स्कूल हों या गाँव कस्बों में खुले अंग्रेजी माध्यम के रंग बिरंगे कान्वेंट , फीस , किताबें और ड्रेस के नाम पर अभिभावकों से फीस तो मोटी वसूलते हैं लेकिन जब बात सुविधाओं की करें तो हालात दयनीय नज़र आते हैं। पहाड़ों में आज भी बच्चे जान जोखिम में डाल कर लम्बी दूरी तय कर पढ़ने जाते हैं। न जाने कितने स्कूल ऐसे हैं जहाँ ऑनलाइन क्लास के फार्मूले से अनजान बच्चे स्मार्ट क्लास का मतलब ही नहीं जानते हैं। ऐसे में ये कहना कि डिजिटल इंडिया में ये नया भारत , उभरता भारत है तो कहीं न कहीं वायरल होती ये दरख्वास्त हकीकत बयां कर ही देती है।