आज के दौर में जीत उसी की होती है जो अपनी बात मनवाना जानता है। उसे विजेता नहीं कहा जाता, जो अपनी बात सबसे पहले रखता है, बल्कि विजेता उसे कहा जाता है जो अपनी बात मनवाना जानता है. वहीं बहुत से लोग ऐसे होते हैं जिन्हें लोगों की भीड़ में अपनी बात मनवाना नहीं आता है. अगर आपके साथ भी ऐसा है तो आइए बताते हैं ऐसी साइकोलॉजिकल ट्रिक्स, जिसके दम पर आप लोगों से अपनी बात मनवाने के साथ किसी भी महफिल को अपने नाम कर सकते हैं.
इन बातों का रखें ध्यान
1. ऐसे शब्द का करें इस्तेमाल- अगर आपको किसी से अपनी बात मनवानी है तो अपनी बातचीत के बीच में एक मैजिकल शब्द का इस्तेमाल करें. ये शब्द है ‘Because’ जिसका इस्तेमाल करने से सामने वाला अक्सर आपकी बात काटने के बजाए मान जाता है. बताते चलें कि हार्वर्ड यूनिवर्सिटी की मनोविज्ञान की प्रोफेसर Ellen Langer ने अपने एक शोध में बताया था कि जब भी आप किसी बातचीत के दौरान ‘Because’ शब्द का प्रयोग करते हैं तो ज्यादातर समय ऐसा होता है कि सामने वाला व्यक्ति आपकी बात मान जाता है यानी आप जीत जाते हैं.
2.अलग हटकर साइड में बैठें- अगर आप किसी डिबेट या चर्चा के लिए बैठे हैं तो कोशिश करें कि जो भी शख्स आपके विचारों से सहमत नहीं होता है और बात-बात पर आपकी या किसी की भी आलोचना करता है तो आप उसके ठीक सामने न बैठकर कुछ अलग हटकर साइड में बैठें. क्योंकि जब आप दोनों के शरीर की दिशा समान होती है यानी आप जब अपने धुर विरोधी या आलोचक के पास एक दो लोगों को छोड़कर बगल में बैठे होते हैं तब आपका विरोधी या आलोचक अपनी बात को रखने या आपकी बात काटने में खुद को असहज महसूस करता है. ऐसा करने से आपका प्रतिद्वंदी आपकी बात नहीं काट पाएगा और आप उसका फायदा उठाते हुए अपनी बात दमदार तरीके से रख सकेंगे.
3. किसी की बात न दोहराई- किसी भी चर्चा या फिर ग्रुप डिस्कशन में आप सामने वाले के किसी भी एक्शन को फौरन कॉपी न करें. बल्कि कोशिश ये रहे कि संवाद के दौरान उसकी जैसी शैली एक बार भी न अपनाई जाए. यानी प्रतिद्वंदियों की मनोदशा को समझने के बाद ही अपनी बात की शुरुआत करें. अपने हाव-भाव सही रखने के साथ दूसरे की कमजोरी समझते हुए अपनी बात रखेंगे तो उसे काटना सामने वाले के लिए मुश्किल होगा और आपकी जीत के चांस बढ़ जाएंगे.
4. सबसे पहले या सबसे पहले जाए- अगर आप चाहते हैं कि किसी डिबेट या ग्रुप डिस्कशन में लोग आपकी बात को बड़े ध्यान से सुने और उससे प्रभावित भी हो जाएं तो आपको ये कोशिश करनी चाहिए कि या तो आप बात की शुरुआत करें या किसी भी चर्चा के समय अपनी बात को सबसे आखिरी में कहें. दरअसल मनोवैज्ञानिक मानते हैं कि हमारे दिमाग में किसी भी इवेंट की शुरुआत और अंत हमारे दिमाग में ज्यादा देर तक रहता है. ऐसे में अगर आप किसी इंटरव्यू में बैठे हैं तो कोशिश करें या तो आप सबसे पहले इंटरव्यू देने जाएं या सबसे बाद में.