विशेष रिपोर्ट – फ़िरोज़ गाँधी
उत्तराखंड में हालांकि अभी लगभग 30 दिन बचे हैं ,जब लोग अपने मतदान के अधिकार का प्रयोग कर पहाड़ में नयी सरकार चुनेंगे। वैलेंटाइन डे यानी 14 फरवरी को उत्तराखंड की सभी 70 सीटों पर मतदान होना है। लेकिन लगता है निर्वाचन आयोग , राज्य सरकार और स्थानीय प्रशासन की लाख कोशिशों के बाद भी अपेक्षित वोटर्स पोलिंग बूथों तक बमुश्किल ही पहुँच पाएंगे। एक तरफ पहाड़ के दुर्गम रास्ते और खस्ताहाल रास्ते , उसपर बड़े पैमाने पर हुयी बर्फ़बारी ने कोढ़ में खाज का काम किया है।
ऐसे में जानकार भी मानते हैं कि पहाड़ का मौसम मतदान प्रतिशत में बड़ा फैक्टर साबित हो सकता है। प्रदेश के बड़े जनपद में शामिल उत्तरकाशी की बात करें तो यहाँ तीन विधानसभाओं में 113 बूथों पर मतदान सबसे बड़ी चुनौती साबित हो सकती है क्योंकि मौसम की बेरुखी और ताज़ा स्थितियां हालात को बयान कर रही हैं। बागेश्वर में चुनाव को लेकर वोटरों की सामने आ रही सुस्ती भी चुनाव अधिकारीयों के लिए किसी मुसीबत से कम नहीं है। लिहाज़ा बीते समय से ही चुनाव आयोग बर्फ को पार करते हुए जागरूकता मुहिम चला रहा है।
तीन विधानसभाओं के बूथ, जो बर्फ से ढके हैं
उत्तरकाशी के पुरोला-राप्रावि सांखाल, कामरा, सरगांव, डिगाड़ी, पौण्टी (बडियाड़), किमडार, चिवां, वलावट, मौण्डा, धारा, टिकोची, किराणू, माकुड़ी, दुचाणू, आराकोट डामटी, कलीच, देवती, भूटाणू, दणगाणगांव, कलाप, नूराणू, खेडमी, लिवाडी, कासला, राला, फिताड़ी, जखोल, धारा गांव, सुनकुण्डी, पांव मल्ला, सांकरी, कोटगांव, सटूड़ी, सावणी, सिरगा, ओसला, पवाणी, गंगाड, तालुका, बरी, हडवाडी, सेवा, दोणी, खन्ना, मसरी, भितरी, खन्यासणी, पुजेली, कन्सोला, जखाली, बनाल, कफनौल, हिमरोल, मुगरसन्ती आदि ऐसे गाँव हैं। अब देखना ये है कि लोकतंत्र के इस महापर्व में देवभूमि की जनता कुदरत की इन चुनौतियों से लड़ते हुए पोलिंग बूथ तक पहुँच पायेगी या मतदान प्रतिशत पर इसका प्रभाव पड़ेगा।