पहाड़ों में क्यों फटता है बादल – जानिए इस खबर में

न्यूज़ वायरस के लिए संजय कुमार की रिपोर्ट

आए दिन हम खबर बादल फटने की घटनाओं से होने वाले जानमाल की हानि से जुडी खबरें पढ़ते हैं लेकिन अक्सर लोग जानना चाहते हैं कि आखिर बादल फत्ते क्यों हैं ? उनके फटने की मुख्य वजह क्या है ? न्यूज़ वायरस टीम आपके इन्हीं सवालों का जवाब इस खबर में दे रहा है।

बादल फटना क्या होता है?

बादल फटना बारिश का एक चरम रूप है। स्पष्ट रूप से कहे तो बादल फटने का अर्थ है अत्यधिक मात्रा में बारिश इस घटना में बारिश के साथ कभी कभी गड़गड़ाहट के साथ ओले भी पड़ते हैं। आम तौर पर कुछ मिनट तक की मूसलाधार बारिश को बादल फटना कहा जाता है। बादल फटना इसलिए बोलते है क्योंकि इस दौरान इतना पानी बरसता है कि क्षेत्र में बाढ़ जैसी स्थिति उत्पन्न हो जाती है। बादल फटने की घटना आमतौर पर पृथ्वी से 15  किलोमीटर की ऊंचाई पर घटती है। इसके कारण होने वाली वर्षा लगभग 100 मिलीमीटर प्रति घंटा की गति से होती है। कुछ ही मिनट में 2 सेंटीमीटर से अधिक वर्षा हो जाती है, जिस कारण भारी तबाही होती है। इसलिए बादल फटने के ज्यादा खबर पहाड़ी इलाको से ही अति है। केदारनाथ , अमरनाथ जैसी जगहों और पहाड़ी इलाको में ही क्यों बादल फटा जाता है ?

इसका कारण यह है कि पहाड़ी क्षेत्रों में कभी-कभी बारिश में गाढ़ापन हो जाता है, जिस कारण बदल तर-बतर हवा के बहुत गर्म प्रवाह के ऊपर की ओर नहीं बढ़ पाते जिस कारण वह नीचे ही रेह जाते है और मौजूदा वर्षा की बूँदें आकार में बढ़ जाती हैं। एक बिंदु के बाद, बारिश की बूँदें इतनी भारी हो जाती हैं कि बादल अपने ऊपर टिके नहीं रह पाता और वे एक साथ झटपट नीचे गिर जाती हैं।2020 में प्रकाशित एक अध्ययन ने केदारनाथ क्षेत्र में बादल फटने के पीछे के मौसम संबंधी कारकों की जांच की, जहां एक बादल फटने से 2013 की विनाशकारी बाढ़ में मदद मिली। इसमें पाया गया कि बादल फटने के दौरान कम तापमान और धीमी हवाओं के साथ सापेक्षिक आर्द्रता और बादलों का आवरण अधिकतम स्तर पर था। टीम ने लिखा, “यह उम्मीद की जाती है कि इस स्थिति के कारण बहुत अधिक मात्रा में बादल बहुत तेजी से संघनित हो सकते हैं और इसके परिणामस्वरूप बादल फट सकते हैं।”

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