आप भी बन सकते हैं अमीर , बस ये 10 फार्मूले अपना लीजिये

क्या अमीर बनने का कोई फॉर्मूला हो सकता है? इसका उत्तर हां भी है और ना भी। हम यहां कुछ कदमों की चर्चा कर रहे हैं, जिस पर अमल कर आप चाहें तो अमीर बन सकते हैं। लेकिन भारत में तो बीते साल जमकर महंगाई भी बढ़ी और रोज़गार में भी किल्लत जैसा माहौल रहा है। । जाहिर है कि इन सब का असर हमारी जेब पर पड़ना तय है। इन हालात में जानिए वो 10 टिप्स जो आपको अमीर बनाने में बेहद कारगर साबित हो सकते हैं।

निवेश वहीं करें जिसकी पूरी समझ हो

साल 2022 की शुरुआत में क्रिप्टोकरंसी ने युवाओं को इसका दीवाना बना दिया। लेकिन साल जाते-जाते इसका खुमार उतरता दिखा। नए साल के लिए ये सबक मिला कि कोई भी इस तरह का निवेश, जो सरकारी अथॉरिटी से रेगुलेटेड न हो, भरोसे की मांग करता है। निवेश उसी इंस्ट्रूमेंट में करें, जिसकी पूरी समझ हो, उसका रिस्क सहने की क्षमता हो और यह वित्तीय लक्ष्यों के मुताबिक हो।

लगातार निवेश करना संपत्ति बनाने का रहस्य

इस साल की शुरुआत में शेयर बाजार में तेज गिरावट दर्ज हुई। लेकिन, बाद के दिनों के दौरान स्टॉक एक्सचेंजों में तेज रिकवरी भी दर्ज हुई। साल के आखिर में कोरोना की वजह से बाजार में फिर डर दिखा। इक्विटी बाजार में उतार-चढ़ाव का यह चक्र पुराना है, कारण अलग-अलग हो सकते हैं। यहां सबक यह है कि स्थितियों की परवाह किए बिना लगातार निवेश करना संपत्ति बनाने का रहस्य है।

बनाएं खास रणनीति

अपने यहां करीब दो साल तक कम ब्याज दरों का दौर रहा। इसके बाद रिजर्व बैंक ने रेपो रेट में बढ़ोतरी शुरू की। इसका असर बैंको के ब्याज दर पर भी दिखने लगा। नतीजतन होम लोन, ऑटो लोन और पर्सनल लोन महंगे ही होते जा रहे हैं। हो सकता है कि लोन की महंगाई का यह सिलसिला आगे भी जारी रहे। इस स्थिति में लोन के एक हिस्से का प्रीपेमेंट एक बढ़िया रणनीति के तौर पर देखा जाता है।

अपनाएं सीढ़ी का फॉर्मूला

ब्याज दरों में बढ़ोतरी का फायदा फिक्स्ड डिपॉजिट के इनवेस्टर्स को मिला। लेकिन, यहां सवाल यह उठता है कि जब-जब ब्याज दर बढ़ती है तो क्या पुरानी एफडी तोड़ दें? अगर आप ऐसा करेंगे तो आपको ब्याज दरों का नुकसान होता है। इस स्थिति में काम आता है सीढ़ी का फॉर्मूला। मसलन, तीन लाख का फिक्स्ड डिपॉजिट करना हो तो पहले एक लाख रुपये एक साल के लिए, फिर एक लाख रुपये दो साल के लिए, आखिर में बचे एक लाख रुपये तीन साल के लिए लगाएं।

फिक्स्ड डिपॉजिट पर नज़र

फिक्स्ड डिपॉजिट करते हुए महंगाई दर के महत्व को पहचानना जरूरी है। लंबी अवधि में फिक्स्ड डिपॉजिट में पैसा बढ़ता हुआ दिख सकता है, लेकिन चेक करें कि क्या इसका रिटर्न महंगाई को मात दे रहा है। अगर फिक्स्ड डिपॉजिट का रिटर्न 6 फीसदी सालाना हो और महंगाई दर 7 फीसदी हो तो आपके निवेश की कीमत घट जाती है और एक नजरिये से आपको मूलधन का नुकसान होता है। इसलिए निवेश में कुछ वैसे साधन भी शामिल करें जो महंगाई की दर को मात देती हो।इमरजेंसी फंड का इंतजाम

टेक्नॉलजी सेक्टर में छंटनी के साथ मंदी की आहट तेज हो रही है। 2020 में जब कोरोना से हमारा सामना हुआ तो इसने इमरजेंसी फंड की अहमियत को अच्छी तरह समझा दिया था। जब भी कोई आर्थिक संकट हो, उसे सुलझाने के लिए लंबी अवधि के नजरिये से संचय किए गए धन पर नजर डालना ठीक नहीं है। बेहतर हो कि एक इमरजेंसी फंड का इंतजाम रखा जाए, जिसमें साल भर का घर का खर्च रखा जाए।

पर्याप्त स्वास्थ्य और जीवन बीमा भी रखें

सिर्फ निवेश करके या पैसे बचाकर ही कोई अमीर नहीं बन सकता। एक रिपोर्ट के मुताबिक, कोरोना के कारण दुनिया में गरीबी दर 7.8 पर्सेंट से बढ़कर 9.1 पर्सेंट हो गई। एक अनुमान के मुताबिक, हेल्थकेयर पर अचानक बड़े खर्च के कारण देश में हर साल 5 करोड़ से ज्यादा लोग गरीब हो जाते हैं। निवेश बचा रहे, इसके लिए परिवार के लिए पर्याप्त स्वास्थ्य बीमा और जीवन बीमा भी होना चाहिए।

साइबर फ्रॉड से बचाव के लिए बीमा

कैश का प्रचलन कम नहीं हो रहा, लेकिन ऑनलाइन बैंकिंग तेजी से पैर पसार रही है। हम ई-रुपये की दुनिया में कदम रख चुके हैं। इसी के साथ साइबर ठगी में हर रोज लाखों रुपये गंवाने की घटनाएं सामने आती हैं। सिर्फ एक क्लिक में पूरे जीवन की कमाई पूंजी लुट जाती है। साइबर फ्रॉड से बचाव के लिए बीमे को भी एक विकल्प के तौर पर खंगाला जाना चाहिए।निवेश के लिए ले सकते हैं सलाह

बीत रहा साल सोशल मीडिया के उन स्टार्स के भी नाम रहा, जो वित्तीय मामलों पर ज्ञान देते हैं। दुनिया भर में मार्केट रेगुलेटर इनके लिए कायदे तय करने पर विचार कर रहे हैं। खुद से ज्ञान हासिल कर निवेश का फैसला अगर आप नहीं कर सकते तो उन फीस आधारित सलाहकार से परामर्श करें, जो मार्केट रेगुलेटर सेबी से रजिस्टर्ड हों।

बजट पर रखें नज़र

2024 में आम चुनाव से पहले 2023 का बजट आखिरी पूर्ण बजट होगा। इसमें टैक्स के नियमों में बदलाव हो सकते हैं। देश में बड़ी संख्या में लोग सिर्फ टैक्स बचत के आधार पर निवेश का फैसला करते हैं, भले ही यह उनके लक्ष्य से मैच न करता हो। निवेश से पहले अपने लक्ष्यों की सूची बनाएं। शॉर्ट टर्म और लॉन्ग टर्म लक्ष्यों के निवेश कैसे अलग होंगे, अपने वित्तीय सलाहकार से पूछें।

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