[ad_1]
उत्तराखंड सरकार ने कोरोना संबंधी लॉकडाउन में राहत देने के लिए जो एसओपी जारी किया, उसमें पर्यटन क्षेत्र को बड़ी राहतें दीं, लेकिन दूसरी तरफ, धार्मिक पर्यटन या यात्राओं पर फिलहाल प्रतिबंध जारी हैं. आगामी 25 जुलाई से 6 अगस्त के बीच होने वाली कांवड़ यात्रा रद्द कर दिए जाने से बताया जा रहा है कि राज्य के धार्मिक पर्यटन उद्योग को एक बार फिर झटका लग सकता है. झटका इसलिए भी तय है क्योंकि हाई कोर्ट के आदेश के बाद चार धाम यात्रा भी जल्द शुरू होने के आसार नहीं दिख रहे हैं.
ये भी पढ़ें : उत्तराखंड कांग्रेस अध्यक्ष प्रीतम सिंह नेता प्रतिपक्ष बनने को राजी, पर शर्त के साथ
कांवड़ यात्रा के दौरान कांवड़ों में गंगाजल लेकर जाने के लिए परंपरा अनुसार भारी संख्या में श्रद्धालु उत्तराखंड के हरिद्वार व ऋषिकेश जैसे पवित्र माने जाने वाले स्थानों पर पहुंचते हैं.
कितना है कांवड़ यात्रा का कारोबार?
कांवड़ यात्रा राज्य में बेहद लोकप्रिय धार्मिक परंपरा है, जिसके चलते हरिद्वार और ऋषिकेश के होटल, आश्रम, गेस्ट हाउस और धर्मशालाओं समेत भोजनालयों में हर साल कांवड़ियों की इतनी भीड़ उमड़ती रही है कि जगह कम पड़ने की नौबत पेश आती थी. पीटीआई की एक खबर की मानें तो कांवड़ यात्रा के दौरान दो हफ्तों के भीतर हरिद्वार में 150 करोड़ रुपये का राजस्व पैदा होता था, जो कि अब शून्य रह जाएगा. अगर ऋषिकेश, गौमुख और गंगोत्री के कारोबार को भी हरिद्वार के आंकड़ों में जोड़ा जाए तो करीब 500 करोड़ सालाना का राजस्व हुआ करता है.
ये भी पढ़ें : चमोली में फरवरी में क्यों आई थी बाढ़? GSI को पता चल गई वजह
यही नहीं, कांवड़ यात्रा के रद्द होने से उत्तर प्रदेश, दिल्ली और हरियाणा के उन छोटे दुकानदारों का भी बड़ा नुकसान होगा, जो इस दौरान अपनी दुकानें लगाया करते थे. बता दें कि उत्तराखंड की अर्थव्यवस्था में धार्मिक पर्यटन उद्योग का बड़ा हिस्सा है, लेकिन इस साल भी महामारी के प्रकोप के चलते राज्य को बड़ा झटका लगना तय है.
[ad_2]
Source link