अच्छी खबर – यूक्रेन से लौटे मेडिकल छात्रों की पढ़ाई अब भारत में होगी पूरी !

विशेष रिपोर्ट – आशीष तिवारी
देश लौट रहे मेडिकल स्टूडेंट्स को पहले जानमाल का खतरा सता रहा था और अब उन्हें भविष्य की चिंता है। ऐसा नहीं है कि मोदी सरकार इस गंभीर समस्या से अनजान है क्योंकि अब भारतीय मेडिकल छात्रों को भारत के कॉलेजों में दाखिला दिलाने की केंद्र सरकार तैयारी कर रही है। केंद्रीय स्वास्थ्य व परिवार कल्याण मंत्रालय के सूत्रों का कहना है कि संभव है कि शुक्रवार को इस मुद्दे पर अहम बैठक हो सकती है। दरअसल सरकार चाहती है कि यूक्रेन से लौटे इन छात्रों की पढ़ाई पर असर न हो। इसके लिए केंद्र सरकार फॉरेन मेडिकल ग्रेजुएट लाइसेंसिएट रेगुलेशन (एफएमजीएल) एक्ट में बदलाव पर विचार कर रही है।

इससे पहले स्वास्थ्य मंत्रालय की ओर से नेशनल मेडिकल कमीशन (एनएमसी) को एक चिट्‌ठी लिखी जा रही है, जिसमें कहा जाएगा कि एफएमजीएल रेगुलेशन एक्ट-2021 में बदलाव किया जाए ताकि बाहर से आने वाले स्टूडेंट्स को दाखिला मिल सके। अभी तक फॉरेन मेडिकल कॉलेज से पढ़ाई करने वाले छात्रों को कोर्स की पूरी अवधि के अलावा ट्रेनिंग और इंटर्नशिप भारत सेे बाहर ही करनी होती है। यूक्रेन में 6 साल में एमबीबीएस होता है। फिर 2 साल इंटर्नशिप होती है। ऐसे में पढ़ाई बाधित हुई तो हजारों बच्चों का भविष्य संकट में पड़ जाएगा।छात्रों को निजी व डीम्ड कॉलेज में दे सकते हैं एडमिशन

यूक्रेन से लौटे मेडिकल छात्रों के दाखिले का रास्ता कैसे निकलेगा?
स्वास्थ्य मंत्रालय के एक अधिकारी ने बताया कि भारत के किसी भी मेडिकल कॉलेज में दाखिले के लिए उसी वर्ष नीट परीक्षा पास करनी होती है जबकि भारत के बाहर के मेडिकल कॉलेज में नीट परीक्षा पास करने के तीन वर्ष के अंदर कभी भी दाखिला ले सकते हैं। विदेशों से जितने भी मेडिकल छात्र देश में आ रहे हैं उनमें ज्यादातर एमबीबीएस स्टूडेंट्स ही हैं।


इन छात्रों को क्या सरकारी कॉलेज में एडमिशन मिल सकता है?

फॉरेन मेडिकल छात्रों को सरकारी कॉलेज में एडमिशन की संभावना नहीं। निजी, डीम्ड कॉलेज में दाखिला मिल सकता है।

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