अरशद मलिक “” न्यूज़ वायरस नेटवर्क
100 और 200 मीटर दौड़ में देश की झोली में डाले रजत पदक
जिला सहारनपुर के लाल शुभम चौधरी ने अंतरराष्ट्रीय स्तरीय एथेटिक्स खेलों में दो रजत पदक जीतकर इतिहास रच दिया है। गांव मोहम्मदपुर कंधेला निवासी शुभम चौधरी ने चीन में आयोजित एशियन गेम्स में देश का मान बढ़ाया है। उन्होंने 100 व 200 मीटर स्पर्धा में दो रजत पदक झटक कर अपने गांव प्रदेश व देश का नाम रोशन किया है।
शुभम चौधरी आर्थिक रूप से बेहद कमजोर परिवार से हैं। शुभम चौधरी ने संघर्ष की कहानी बताते हुए कहा कि गांव में ही वो आर्मी की तैयारी करते थे। उसके बाद मुझको पता चला की जिला सहारनपुर में आर्मी की तैयारी कराई जाती है। फिर मैंने सहारनपुर में आर्मी एकेडमी में एडमिशन कराया। उसके बाद आर्मी के साथ स्पोर्ट्स की भी शुरू कर दी। मुझे लगा की में खेल में और अच्छा कर कर सकता हूं, तो दिन रात मेहनत की। उसके बाद मैं दौड़ की ट्रेनिंग के लिए पंचकूला चला गया। जहां पर तीन साल लगातार कड़ी मेहनत के साथ और काफी चुनौतियों का सामना करते हुए ट्रेनिंग पूर्ण की। जिसके बाद दिल्ली लवली यूनिवर्सिटी में एडमिशन लिया। कोच गजेंद्र सिंह ने बदली जिंदगी
लवली यूनिवर्सिटी में 8 महीने पढ़ाई करने के बाद एक कोच गजेंद्र सिंह ने शुभम को प्रशिक्षण दिया। उन्होंने ट्रेनिंग कराई और बहुत सपोर्ट किया। उसके बाद मेरा और मेरे साथ तैयारी कर रही सिमरन का एशियन गेम्स में सलेक्शन हुआ 16 अक्टूबर को हम इंडिया से चीन के लिए रवाना हो गए। चाइना जाने के बाद 3 दिन हमने ग्राउंड में ट्रेनिंग की फिर 24 अक्टूबर 100 मीटर की दौड़ में हमने रजत पदक जीता। 26 अक्टूबर को 200 मीटर की दौड़ में भी रजत पदक जीता। शुभम बोले मेरा यही सपना ही में अपने देश के लिए और अच्छा खेलूंगा और अगली बार गोल्ड मेडल लेकर लौटेंगा।
लवली यूनिवर्सिटी में 8 महीने पढ़ाई करने के बाद एक कोच गजेंद्र सिंह ने शुभम को प्रशिक्षण दिया। उन्होंने ट्रेनिंग कराई और बहुत सपोर्ट किया। उसके बाद मेरा और मेरे साथ तैयारी कर रही सिमरन का एशियन गेम्स में सलेक्शन हुआ 16 अक्टूबर को हम इंडिया से चीन के लिए रवाना हो गए। चाइना जाने के बाद 3 दिन हमने ग्राउंड में ट्रेनिंग की फिर 24 अक्टूबर 100 मीटर की दौड़ में हमने रजत पदक जीता। 26 अक्टूबर को 200 मीटर की दौड़ में भी रजत पदक जीता। शुभम बोले मेरा यही सपना ही में अपने देश के लिए और अच्छा खेलूंगा और अगली बार गोल्ड मेडल लेकर लौटेंगा।
मम्मी पापा ने बढ़ाया हौसला
शुभम चौधरी ने बताया की मुझे मेरे मम्मी पापा ने बहुत सपोर्ट किया। मुझे आगे बढ़ाने के लिए हरसंभव प्रयास किया। खुद भूखे रहे लेकिन खेलों की तैयारी में किसी चीज की कमी नहीं होने दी। मम्मी पापा के साथ साथ शुभम चौधरी ने अपने दोस्त डॉ. साकिब मलिक का जिक्र किया। जो की दोनों एक ही गांव के रहने वाले हैं। उन्होंने बताया मेरे इस सफर में मेरे दोस्त डॉ. साकिब मलिक की एक बहुत बड़ी अहम भूमिका है। इन्होने मुझे बहुत सपोर्ट किया मेरी हर चीज में मदद की और मेरी हर परेशानी में मेरे साथ खड़े रहे। आज में जिस मकाम पर खड़ा हु मेरे दोस्त का बहुत बड़ा हाथ है। उन्होंने डॉ. साकिब का धन्यवाद किया।