लघु फिल्म निर्माण की क्वालिटी को लेकर यूपी सूचना विभाग गंभीर,कार्यशाला में चैनल वालो और फिल्म बनाने वालो का किया मार्गदर्शन

संजय प्रसाद,प्रमुख सचिव सूचना,उ.प्र :लघु फिल्मों के कार्य में लगे विशेषज्ञ अपनी प्रतिभा को एक अलग स्तर पर ले जायें, जिससे लोगो को इसका लाभ मिल सके।

शिशिर,सूचना निदेशक,उ.प्र: अच्छी फिल्में बनाएं विभाग हमेशा आपके सहयोग के लिए तत्पर रहेगा

मनीष चंद्रा
न्यूज वायरस नेटवर्क

सरकार की योजनाओं की पूरी जानकारी संक्षिप्त और सटीक तरीके से लघु फिल्मों के जरिए जनता तक पहुंचे इस बारे में एक बेहतर कार्यशाला का आयोजन सूचना निदेशालय लखनऊ में किया गया। सूचना निदेशालय का फोकस गुणवत्ता परक लघु फिल्म निर्माण विषय पर पूरी कार्यशाला में प्रभावी रहा।

                  संजय प्रसाद,प्रमुख सचिव,सूचना,उ.प्र.

लघु फिल्मों का क्राफ्ट कैसा हो

चयनित विषय पर बनाई जाने वाली लघु फिल्म का संदेश इसकी स्क्रिप्ट में छुपा होता है इसलिए यह अमुख संदेश जितना संक्षिप्त सटीक और मनोवैज्ञानिक प्रभाव वाला हो इस बात का ध्यान स्क्रिप्ट राइटर को लघु फिल्म लिखते समय ध्यान रखना चाहिए, कथानक के अनुसार संवाद छोटे और भावनात्मक हो जिसको टारगेट लक्ष्य तुरंत समझ सके ऐसी शैली को अपने लेखनी में समावेश करके लघु फिल्म निर्माण करना चाहिए और व्यर्थ की स्किन ड्यूरेशन से बचना चाहिए इन सभी बातों का ध्यान रखने के लिए निदेशालय में आमंत्रित विशेषज्ञों ने ज़ोर दिया।

                     शिशिर,निदेशक,सूचना विभाग,उ.प्र.

फुटेज कलेक्शन और लोकेशन

प्रस्तावित विषय पर फुटेज ओरिजिनल हों और शूटिंग वास्तविकता में सब्जेक्ट के अनुसार लोकेशन पर की गई हो तो ज्यादा अच्छा लगता है इसके साथ ही विषय की कंटिन्यूटी को ध्यान में रखते हुए स्टॉक फुटेज को उसे करते वक्त देशकाल भाव स्थिति और मौसम का भी ध्यान रखा जाना चाहिए।

वॉइस ओवर और म्यूजिक

एक ही वाक्य को कहने और उच्चरित करने के तरीके अलग-अलग होते हैं इसलिए अर्थ के अनुसार ही आवाज में माड्यूलेशन और रेलीवेंट म्यूजिक का ही उपयोग करना चाहिए।

चर्चा हुई AI पर भी

विशेषज्ञों ने आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस पर भी अपने विचार रखते हुए कहा कि आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस का उपयोग हमें अपने सब्जेक्ट को आकर्षक बनाने के लिए करना चाहिए ना की उसको पूरा कॉपी करना चाहिए बल्कि सूझबूझ का इस्तेमाल करते हुए जो भी डाटा हो उसे पर पूरा रिसर्च खुद का और स्वाभाविक होना चाहिए हम ए आई की मदद अपने विवेकानुसार ले सकते हैं परंतु इसकी परख और फैक्टस को रिचेक जरूर कर लें।

इस विषय पर आयोजित कार्यशाला में आए हुए तमाम मीडिया समूह, प्रोडक्शन हाउस और पत्रकारों ने अपने विचार व्यक्त करते हुए सीधा संवाद भी विशेषज्ञों से किया।

प्रमुख सचिव सूचना संजय प्रसाद ने सूचना एवं जनसम्पर्क विभाग उ.प्र. लखनऊ के सभागार में गुणवत्तापरक लघु फिल्म निर्माण के सम्बन्ध में आयोजित कार्यशाला का शुभारम्भ किया। उन्होंने कार्यशाला में आये फिल्म निर्माण विशेषज्ञों द्वारा अपने अनुभव शेयर करने के लिए धन्यवाद दिया। उन्होंने कहा कि गुणवत्तापरक लघु फिल्म बनाने के लिए प्लान के तहत कार्य करें, जिससे कि लघु फिल्म को बेहतर से बेहतर बनाया जा सके। उन्होंने कहा कि फिल्म बनाना एक कला है, जिसके लिए निरन्तर कार्य कर इसे और निखारा जा सकता है। प्रदेश सरकार की योजनाओं को अन्तिम व्यक्ति तक पहुंचाने में लघु फिल्म अपना महत्वपूर्ण योगदान दे सकती है। उन्होने कहा कि लघु फिल्मों मे सरकार की योजनाओं एवं उसकी उपयोगिता पर प्रकाश डालते हुए इसके महत्व को लोगो तक पहुंचाने का कार्य किया जाय। लघु फिल्मों में स्क्रीप्ट राइटिंग का भी महत्वपूर्ण रोल होता है। उन्होंने कहा कि लघु फिल्मों के कार्य में लगे विशेषज्ञ अपनी प्रतिभा को एक अलग स्तर पर ले जाएं, जिससे लोगो को इसका लाभ मिल सके।

कार्यशाला को सम्बोधित करते हुए निदेशक सूचना शिशिर ने कहा कि सूचना विभाग विभिन्न क्षेत्रों में लघु फिल्म बनाने का अवसर प्रदान करता है। उन्होंने लघु फिल्म बनाने वाले लोगों से कहा कि अच्छी फिल्मे बनायें विभाग हमेशा आपके सहयोग के लिए तत्पर रहेगा। उन्होंने कहा कि लघु फिल्म के लिए सटीक स्क्रिप्ट, उपयुक्त स्थान, संगीत, पटकथा, और अभिनय महत्वपूर्ण होती हैं।

कार्यशाला में आये फिल्म निर्माण से जुड़े विशेषज्ञों ने व लघु निर्माण फिल्म के सभी पहलूओं पर विस्तार से चर्चा की। कार्यशाला में गुणवत्तापरक फिल्म बनाने के लिए विभिन्न चरणों का पालन करने पर जोर दिया गया, जिसमे बताया कि एक रुचिकर कहानी चुनें जो दर्शकों को आकर्षित करे और उन्हें संवेदनशील बनाये। स्क्रिप्ट लिखें जिसमें कहानी, पात्रों के विकास, और दृश्यों का विवरण हो। निर्माण की योजना बनाएं और उपकरण, स्थान, कला, और अभिनेताओं को संगठित करें। कहानी को फिल्म के रूप में निर्माण करें। इसमें अभिनय, पटकथा, चित्रण, ध्वनि, और संपादन शामिल हो सकते हैं। अपनी फिल्म को प्रमोट करने के लिए प्रसारण कार्यक्रम योजित करें। सोशल मीडिया, फिल्म फेस्टिवल, और मीडिया के माध्यम से अपनी फिल्म को प्रसारित करें।

स्क्रिप्ट राइटिंग विषय पर ललित सिंह पोखरिया, अमरेन्द्र सहाय, राजीव सिंह, राजवीर रतन ने, प्री प्रोडक्शन एवं पोस्ट प्रोडक्शन विषय पर अंकुर सिंह ने, निर्देशन विषय पर सुशील कुमार सिंह, दिनेश खन्ना, श्रीमती रमा अरूण त्रिवेदी ने, सम्पादन विषय पर मो0 जुबैर खान, डा0 आसिफ खान ने पार्श्व संगीत विषय पर उत्तम चटर्जी ने, छायांकन विषय पर दिनेश जोशी ने तथा पार्श्व स्वर विषय पर जे0पी0 पाण्डेय, डा0 जया तिवारी ने प्रकाश डाला एवं विचार रखे।

इस मौके पर न्यूज़ वायरस प्रोडक्शन हाउस के प्रतिनिधि एम चंद्रा और माइंड मेर्क्स प्रोडक्शंस ने कहा कि पहली बार खासतौर से देश के किसी भी राज्य सरकार के अधिकारियों ने इतनी बारीकी से सरकारी योजनाओं की डॉक्यूमेंट्री पर अपने खुद के विचार तो प्रकट ही किए हैं बल्कि देश भर के डॉक्यूमेंट्री फिल्म मेकर्स को यहां पर बुलाकर उनकी बातें सुनने का एक अभूतपूर्व प्रयास किया है जिससे लगता है की सरकार खुद अपनी बात ही नहीं कहना चाहती है बल्कि डॉक्युमेंट्री मेकर्स की बात भी अपने एजेंडा में कहीं ना कहीं क्रिएटिविटी के माध्यम से रखना चाहती है जिसके लिए सरकार का अच्छा प्रयास है..

कार्यशाला में अपर निदेशक सूचना अंशुमान राम त्रिपाठी, उप निदेशक सूचना प्रभात शुक्ला, सेवानिवृत्त उप निदेशक सूचना कुमकुम शर्मा, सहायक निदेशक सतीश चन्द्र भारती, प्रशासनिक अधिकारी इलेक्ट्रानिक मीडिया युवराज सिंह परिहार, प्रधान सहायक इलेक्ट्रानिक मीडिया उपेन्द्र, सहयोगी सुनील बत्ता, अभिजीत, पवन सिंह, रियाज सिद्दीकी सहित विभिन्न फिल्म निर्माण से जुड़े विशेषज्ञ एवं मीडिया प्रतिनिधिगण उपस्थित रहें।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back To Top