वो मुस्लिम राजकुमारी, जो देश की पहली महिला पायलट बनी

आबिदा सुल्तान भोपाल रियासत की राजकुमारी थीं. वह देश की एक पहली थीं, जिन्हें विमान उड़ाने के लिए पायलट का लाइसेंस मिला. 28 अगस्त को उनका जन्मदिन था . देश के आजाद होने से कुछ साल पहले ही वह महिला पायलट बन गईं थीं.

भोपाल रियासत की इस राजकुमारी का जन्म 28 अगस्त 1913 को हुआ तो मृत्यु: 11 मई 2002 में. उन्हें 25 जनवरी 1942 को उड़ान लाइसेंस मिला. उनके पिता हमीदुल्लाह ख़ान भोपाल रियासत के अंतिम नवाब थे. आबिदा बड़ी संतान थी. बहुत कम उम्र में ही उन्होंने ड्राइविंग के अलावा घोड़े, पालतू चीतल जैसे जानवरों की सवारी और शूटिंग कौशल में खुद को एक्सपर्ट कर लिया. उस जमाने में वह बगैर नकाब के कार चलाती थीं.

भोपाल रियासत जब तक उनके पिता के पास थी और वह उसका कामकाज देखते थे, तब वह मुस्लिम राजनीति में सक्रिय भूमिका ही अदा नहीं करती थीं बल्कि पिता के कैबिनेट की अध्यक्ष और मुख्य सचिव की जिम्मेदारी संभाली थी. आबिदा पोलो और स्क्वेश जैसे खेल खेला करती थीं. 1949 में वह अखिल भारतीय महिला स्क्वैश की चैंपियन रहीं. उन्होंने प्लेन उड़ाना बॉम्बे फ्लाइंग क्लब और कोलकाता फ्लाइंग क्लब से भी सीखा था.

बंटवारे के बाद भारत छोड़ दिया

आबिदा का निकाह 18 जून, 1926 को कुरवाई के नवाब सरवर अली ख़ान के साथ हुआ. देश के विभाजन की उथल-पुथल के बाद सन् 1949 में उन्होंने भारत छोड़ दिया. दरअसल वह जिन्ना के संपर्क में थीं, जब उनके पिता ने भारत विलय पर रजामंदी जाहिर करके विलय पत्र पर साइन कर दिया तो उन्होंने इसका विरोध किया. जिन्ना ने आबिदा से वादा किया था कि अगर वो पाकिस्तान आ जाएं तो वह उन्हें वहां की राजनीति से ही नहीं जोड़ेंगे बल्कि उन्हें उस मुल्क में पूरी इज्जत भी मिलेगी.

कराची में शानो शौकत से रहती थीं

पाकिस्तान चली गई. वहां वह कराची में शानदार महलनुमा मकान में रहने लगीं. वहां भी राजनीति में उनकी ना केवल दखल हुई बल्कि पाकिस्तान सरकार में रूतबा मिला था, जिसके उन्होंने संयुक्त राष्ट्र में पाकिस्तान का प्रतिनिधित्व किया. चीन का सरकारी दौरा भी किया. कराची में वह शानो शौकत की जिंदगी जीती थीं.

उनके पिता ने कई बार भारत लौटने को कहा

जब पाकिस्तान में 1960 में मार्शल लॉ लागू हुआ तो उन्होंने जिन्ना की बहन फातिमा के साथ इसका विरोध किया. हालांकि उनके पिता ने भी शुरू में अपनी रियासत को भारत में नहीं मिलने देने के लिए विद्रोही रुख अख्तियार किया था लेकिन बाद में उन्हें भारत में विलय करना पड़ा. वह भारत में ही रहे. अपनी बेटी को भी भारत लौट आने को कहते रहे. लेकिन उन्होंने ये बात नहीं मानी. वह भारत तब लौटीं जब उनके पिता का इंतकाल हुआ. उनके बेटे शहरयार खान पाकिस्तान के विदेश मंत्री भी बने और पाकिस्तानी क्रिकेट बोर्ड के अध्यक्ष भी.

उनके पाकिस्तान जाने पर छोटी बहन बनी थी शासिका

अक्टूबर 2001 तक वह कई बीमारियों से घिर गईं. वह अस्पताल में भर्ती हुईं लेकिन उन्हें बताया नहीं जा सका. चूंकि वह पाकिस्तान जाकर बस गईं थी, इसलिए उनके पिता ने उनकी मंझली बेटी साजिदा सुल्तान को भोपाल का शासक नियुक्त किया. साजिदा बेगम की शादी पटौदी राजघराने के नवाब इफ़्तिख़ार अली ख़ान के साथ हुई थी. मंसूर अली ख़ान पटौदी उनके बेटे थे. बाद में भोपाल रियासत में प्रापर्टी विवाद को लेकर काफी विवाद भी चला. जो अब भी जारी है.

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