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सखी जलायेगी आपका चूल्हा ! धामी सरकार की पहल

अगर आपके घर कोई मेहमान आ जाये और चूल्हा न जले तो क्या होगा ? आप सोचिये कि घरवाले खाना खा रहे हैं लेकिन सिलेंडर खत्म हो जाये और कोई विकल्प न हो तो क्या हो ? यही हालात पहाड़ों में अक्सर तब हो जाती है जब सिलेंडर बड़ी मुश्किल से मिलता है और खत्म होने पर लम्बा इंतज़ार करना पड़ता है लेकिन अब उत्तराखंड के दुर्गम और मुश्किल रास्तों पर बसे गाँव और कस्बों में धामी सरकार की सखी आपका चूल्हा जलायेगी वो भी झटपट

ग्राम्य विकास विभाग की मिनी गैस एजेंसी योजना

जी हाँ पहाड़ की महिलाओं को रसोई गैस सिलिंडर खत्म होने पर अब लंबा इंतजार नहीं करना पड़ेगा। राज्य सरकार मिनी गैस एजेंसी के माध्यम से इस कमी को दूर करने जा रही है। मिनी गैस एजेंसी का संचालन स्वयं सहायता समूह से जुड़ी महिलाएं करेंगी, इन्हें ईंधन सखी नाम दिया गया है। पायलट प्रोजेक्ट के तौर चार जिलों में यह योजना शुरू हो चुकी है। इसके लिए सरकार ने एचपी कंपनी से करार किया है। प्रदेश में प्रधानमंत्री उज्ज्वला योजना शुरू होने के बाद घर-घर गैस सिलिंडर तो पहुंच गए हैं, लेकिन खासकर पर्वतीय क्षेत्रों में अब भी सिलिंडर रिफिल कराने के लिए लंबा इंतजार करना पड़ता है या कई किमी दूर जाना पड़ता है। इस समस्या से पार पाने के लिए ग्राम्य विकास विभाग ने मिनी गैस एजेंसी योजना शुरू की है। एचपी कंपनी की ओर से महिलाओं को मिनी गैस एजेंसी संचालन की ट्रेनिंग दी जाएगी। अभी तक उत्तरकाशी की 40, टिहरी की 16 और हरिद्वार की पांच महिलाओं सहित कुल 61 ईंधन सखी तैयार हो चुकी हैं। मिनी गैस एजेंसी में हर वक्त पांच भरे हुए गैस सिलिंडर उपलब्ध रहेंगे। कंपनी की ओर से हर सिलिंडर पर ईंधन सखी का 20 रुपये तक कमीशन मिलेगा। बर्नर, चूल्हा, इसकी सर्विस, गैस पाइप, नए कनेक्शन देने, डीबीसी कनेक्शन पर भी कंपनी की ओर से कमीशन दिया जाएगा। गांव-गांव में प्रचार प्रसार करने पर एक हजार रुपये अलग से मिलेंगे।

अपर सचिव एवं आयुक्त ग्राम्य विकास विभाग आनंद स्वरूप, के मुताबिक योजना के दो उद्देश्य हैं। पहला स्वयं सहायता समूह की महिलाओं की आय बढ़ाना और दूसरा सुदूर क्षेत्रों में आसानी से गैस पहुंचाना। शीघ्र ही योजना अन्य जिलों में भी शुरू होगी। अब देखना होगा कि पहाड़ों में धामी सरकार की ये अनोखी सखी कितना फायदा मातृशक्ति को पहुंचा पायेगी।

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