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उत्तराखंड चारा विकास नीति बनेगी वरदान – सौरभ बहुगुणा , पशुपालन मंत्री 

न्यूज़ वायरस के लिए आशीष तिवारी की रिपोर्ट 

वेबसाइट www.adh.uk.gov.in पर जनता के सुझाव मांगे

उत्तराखंड चारा विकास निधि 2022 डॉक्टर अजय पाल सिंह अस्वाल तथा मुख्यमंत्री राज्य पशुधन मिशन डॉ आर नेगी द्वारा राज्य के प्रगतिशील किसानों एवं प्रतिष्ठित पशुपालकों के साथ प्रदेश के कैबिनेट मंत्री सौरभ बहुगुणा ने प्रेजेंटेशन देखा और बताया कि केंद्र पोषित योजनाओं की gap filling प्रदेश को हेतु राज्य को चारा उत्पादन पशुधन के उत्पादों पर आत्मनिर्भर बनाने पशुधन में उत्पादकता बढ़ाने एवं रोजगार सर्जन करने के लिए जल्द ही इन नीतियों को कैबिनेट में पारित करने के लिए प्रस्ताव लाया जाएगा।

पशुपालन मंत्री बहुगुणा ने इस दौरान राज्य की जनता से भी अनुरोध किया है कि विभागीय वेबसाइट www.adh.uk.gov.in पर उपलब्ध उत्तराखंड चारा विकास  नीति 2022 एवं मुख्यमंत्री राज्य पशुधन मिशन की प्रस्तावित नीति का संज्ञान लेते हुए अगले 15 दिन में अपने बहुमूल्य सुझाव विभागीय मेल द्वारा या लिखित रूप से निदेशालय पशुपालन विभाग पशुधन भवन मथुरा वाला देहरादून को ज़रूर भेजें।

सचिव पशुपालन ने प्रस्तावित नीति को प्रत्येक जिले में विभागीय अधिकारी द्वारा अपने अपने क्षेत्र में प्रगतिशील पशुपालन को ऐसे सुझाव भेजने के लिए  प्रचार प्रसार करने निर्देश दिए हैं। उत्तराखंड में पशुधन की गणना 2019 के अनुसार प्रदेश में 43.83 लाख पशुधन है पशुधन की उत्पादकता को बढ़ाने के लिए अनुवांशिक सुधार के साथ-साथ पर्याप्त मात्रा में पौष्टिक चारे की आवश्यकता है। वर्तमान में आवश्यकता के सापेक्ष हरे चारे में 31% तथा सूखे चारे में 17% की कमी है। पर्वतीय क्षेत्रों में अक्टूबर से मार्च तक मैदानी क्षेत्रों में मई से जून तथा सितंबर से नवंबर तक चारे की कमी बनी रहती है चारे की कमी की पूर्ति मुख्यता पंजाब एवं हरियाणा से आने वाले गेहूं के भूसे से की जाती है। भौगोलिक संरचना के कारण प्रदेश आपदा संभावित है जिसके कारण भी चारे की उपलब्धता बाधित होती है।

उत्तराखंड चारा  विकास नीति का उद्देश्य राज्य के पशुपालकों को पशुधन हेतु  सुगमता से वर्ष भर में गुणवत्ता युक्त पर्याप्त मात्रा में जारी की उपलब्धता को सुनिश्चित करते हुए प्रति पशु उत्पादकता में वृद्धि करना तथा चारा विकास में रोजगार सर्जन एवं उद्यमिता का विकास करना है।

चारा  नीति  के सफल क्रियान्वयन के लिए नोडल पशुपालन विभाग होगा। कृषि विभाग कोऑपरेटिव विभाग दुग्ध उत्पादक सहकारिता , संघ मंडी परिषद एवं वन विभाग सहायक विभाग होंगे उत्तराखंड चारा नीति के मुख्य बिंदु निम्नानुसार  है।

1 – राज्य के पशुपालकों एवं चारा उत्पादक संगठनों को चारा उत्पादन हेतु पर्याप्त मात्रा में चारा फसलों के प्रमाणित चारा बीज निशुल्क उपलब्ध कराना पशुपालकों को प्रमाणित चारा बीज उत्पादन हेतु प्रोत्साहित करने हेतु आधारीय बीज प्रदान किया जाएगा । अकर्षीकृत  भूमि में नेपियर इत्यादि चारा घाटों के रोपण को बढ़ावा देने हेतु रूट स्ट्रोक चारा बीज प्रदान किया जाएगा।

2 – हरे चारे से साइलेज के उत्पादन को बढ़ावा देना एवं पशुपालक के द्वारा पर साइलेंट उपलब्ध कराकर साइलेज के उपयोग को बढ़ावा देना।

3 – शैलेश निर्माण में प्रयोग होने वाले हरा चारा को उपलब्ध कराना वाले साइलेज कोऑपरेटिव फेडरेशन में पंजीकृत कर सको को प्रति एकड़ हरा चारा उत्पादन पर रुपए 1000.00 प्रतिवर्ष प्रोत्साहन राशि प्रदान करना पर्वतीय जनपदों में चारा उत्पादन  है तो प्रति नाली रुपए 1000.00 प्रोत्साहन धनराशि उपलब्ध कराई जाएगी ।

4  –  पर्वतीय क्षेत्रों के पशुपालकों को साइलेज के परिवहन पर 75 प्रतिशत तथा मैदानी क्षेत्रों हेतु 25 प्रतिशत अनुदान प्रदान करना।

5  –  दुग्ध उत्पादन में प्रतिदिन 3.5 लाख अतिरिक्त दुग्ध का उत्पादन होगा चारा भेली निर्माण चारा उत्पादन साइलेज निर्माण दूध प्रसंस्करण  एवं पैकेजिंग तथा चारा भेली साइलेज हरा चारा दूध दुग्ध जनित उत्पाद के विपगण के क्षेत्रों में नवाचार के भारी अवसर पैदा होंगे

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