उत्तराखंड में नशे की लत के संबंध में, जानिए बाल अधिकार संरक्षण आयोग की संयुक्त कार्य योजना

देश में बच्चों में बढ़ती नशे की लत एक गंभीर समस्या बन चुकी है। भारत सरकार के इस सर्वेक्षण में खुलासा हुआ है कि 10 से 17 वर्ष आयु समूह के लगभग 1.48 करोड़ बच्चे और किशोर अल्कोहल, अफीम, कोकीन, भांग सहित कई तरह के नशीले पदार्थों का सेवन कर रहे हैं। ऐसे में आजा बच्चों को नशे की लत से दूर रखने के लिए बाल अधिकार संरक्षण आयोग की तरफ से एक विचार-गोष्ठी आयोजन किया गया.बच्चों में नशे की प्रवृत्ति को रोका जा सके और उन्हें नशे के दलदल में पड़ने से बचाया जा सके। इसके लिए संयुक्त कार्य योजना के तहत स्कूलों में शिक्षकों को प्रशिक्षण भी दिया जा रहा है। इसके साथ ही हर स्कूल में बच्चों का एक छोटा सा प्रेशर ग्रुप बनाया जा रहा है. जिन्हें शिक्षा विभाग द्वारा प्रशिक्षण दिया जा रहा है।उत्तराखंड बाल अधिकार संरक्षण आयोग की अध्यक्ष डॉ. गीता खन्ना का कहना है कि राज्य में दवा की 80 फीसदी दुकानों पर सरकार की ओर से कैमरे लगवाए गए हैं, जो कफ सिरप और नींद की गोलियां बेच रहे हैं. दवाएं बेची जाती हैं। इसके अलावा दवाओं के स्टॉक को डिजिटाइज किया जा रहा है। ताकि यह देखा जा सके कि दवा की दुकान में किस तरह की खरीद या दवा का इंजेक्शन, नींद की दवा या कफ सिरप बेचा जा रहा है।

डॉक्टर गीता खन्ना ने बताया कि हर स्कूल में बच्चों का प्रेशर ग्रुप बना दिया गया है. जिसके तहत बच्चों को प्रशिक्षण दिया जा रहा है। ये बच्चे अपने शिक्षकों को सूचित करेंगे कि शायद यह बच्चा नशे की ओर बढ़ रहा है। इसके अलावा शिक्षकों के प्रशिक्षण के बाद शिक्षक ऐसे बच्चे के व्यवहार को पहचान सकेंगे, जो नशे की चपेट में आ रहा है.

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