इस बार सूर्य 17 अगस्त को कर्क राशि को छोड़कर सिंह में प्रवेश करेगा। इसे भारत के अन्य राज्यों में सिंह संक्रांति के नाम से भी जाना जाता है, लेकिन उत्तराखंड में सिंह संक्रांति को घी संक्रांति के रूप में जाना जाता है और कुमाऊं संभाग में इस त्योहार को घी के नाम से जाना जाता है। टायर। आगे जानिए घी संक्रांति का महत्व और अन्य खास बातें…
घी संक्रांति में घी खाने का विशेष महत्व माना जाता है। हालांकि ये परंपरा उत्तराखंड में निभाई जाती है। ऐसा कहा जाता है कि जो भी व्यक्ति घी संक्रांति पर भोजन में घी का प्रयोग करता है, उसकी याददाश्त, बुद्धि, बल और ऊर्जा में वृद्धि होती है। भोजन में गाय के घी का उपयोग करने से वात, कफ और पित्त दोष जैसी परेशानियां नहीं होती। ऐसा भी कहा जाता है कि घी संक्रांति पर घी खाने से कुंडली में राहु-केतु दोष से भी मुक्ति मिलती है। घी त्यार (घी संक्रांति) देवभूमि उत्तराखंड में सभी लोक पर्वों की तरह प्रकृति एवं स्वास्थ्य को समर्पित पर्व है।
सीएम पुष्कर सिंह धामी ने ट्वीट कर दी बधाईसीएम पुष्कर सिंह धामी ने ट्वीट कर लिखा, “आप समस्त प्रदेशवासियों को प्रकृति एवं उत्तम स्वास्थ्य को समर्पित लोकपर्व घी संक्रांति (घ्यू त्यार) की हार्दिक बधाई एवं शुभकामनाएं. लोकपर्व हमारी संस्कृति का अभिन्न अंग है इसलिए आइए हम सभी पूरे हर्षोल्लास के साथ यह पर्व मनाते हुए विश्व में हमारी पहचान को स्थापित करें.”