देखा जाए तो सड़क पर दौड़ने वाले सभी वाहनों के पहियों में रबर के टायर लगे होते हैं या तक विमान में भी रबर के टायर होते है। तो सोचने वाली बात ये है की पटरियों पर चलने वाली ट्रेनों और मेट्रो के टायर में रबर क्यों नहीं होते ये क्यों धातु के पहियों से चलती हैं. इसके पीछे विज्ञान छिपा है. साइंस एबीसी वेबसाइट की रिपोर्ट के मुताबिक, पहियों पर रबर लगाने या न लगाने की वजह घर्षण (Friction), स्पीड और वो सतह है जिस पर वाहन चलता है. इन्हीं कारणों के आधार पर पहियों में टायर लगाए जाते हैं.
दरअसल, ट्रेनों में काफी ज्यादा वजन होता है. इसके साथ ही ये लंबा सफर तय करती हैं. इसे देखते हुए ही ट्रेन के पहियों को डिजाइन किया जाता है. ट्रेन के पहिये और पटरी दोनों ही ठोस धातु के बने होते हैं. इसके अलावा पटरी बिल्कुल सपाट होती है, उसमें किसी तरह का उभार या दबाव नहीं होता है. इस वजह से जब ट्रेन पटरियों पर चलती है, तो घर्षण काफी कम हो जाता है.
विज्ञान कहती है कि जितना कम घर्षण होगा उतनी ही तेजी से वाहन चल सकता है. अगर ट्रेन के पहियों में टायर लगा दिया जाए, तो घर्षण के कारण काफी दिक्कत आएगी. ट्रेन के इंजन की पूरा पावर ट्रेन के टायरों को घुमाने में लग जाएगी. ज्यादा घर्षण की वजह से ट्रेन के टायरों में आग भी लग सकती है. वहीं ट्रेनों में टायर न लगाए जाने की दूसरी वजह है उसका वजन. अगर इतनी वजनदार ट्रेनों में रबर वाले टायर लगाए जाएं, तो उनके फटने की भी संभावना काफी बढ़ जाएगी.
अब ये सवाल आता है कि कार समेत सड़क पर चलने वाले वाहनों में रबर के टायर क्यों लगाए जाते हैं. इसकी वजह है कि कार को सड़क पर कई बार ब्रेक लगानी पड़ती है. इसके साथ ही सड़कें ऊंची-नीची बनी होती हैं. ऐसे में अगर कार के पहियों में टायर न हों, तो ब्रेक लगाने पर भी उसे रोकना मुश्किल होगा, साथ ही कार का कंट्रोल भी खो सकता है. ऐसा होने पर बड़ा सड़क हादसा हो सकता है.